झारखंड: हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी के बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने में देरी पर सवाल उठे

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को गिरफ़्तार कर लिया. गुरुवार को सोरेन ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गिरफ़्तारी से पहले सोरेन ने पार्टी विधायकों की एक बैठक ली, जिसमें राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता घोषित किया गया.

(फोटो साभार: एक्स)

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को गिरफ़्तार कर लिया. गुरुवार को सोरेन ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. गिरफ़्तारी से पहले सोरेन ने पार्टी विधायकों की एक बैठक ली, जिसमें राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता घोषित किया गया.

(फोटो साभार: एक्स)

नई दिल्ली: आठ घंटे से अधिक समय तक प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में रहने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भूमि घोटाले से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में बीते बुधवार (31 जनवरी) को गिरफ्तार कर लिया गया.

इस बीच, रिपोर्ट्स के मुताबिक, सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के परिवहन मंत्री चंपई सोरेन को झामुमो विधायक दल का नेता घोषित किया है और वह मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन की जगह लेने के लिए तैयार हैं.

इस बीच कांग्रेस ने गुरुवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन को शपथ दिलाने में देरी पर सवाल उठाया है. कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा है कि हेमंत सोरेन को इस्तीफा दिए 18 घंटे से अधिक हो चुके हैं और अब तक नए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण नहीं हो सका है.

कांग्रेस ने कहा कि इस देरी का कारण क्या है? क्या आप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कार्यालय के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं? या आप विधायकों के पाला बदलने और खरीद-फरोख्त का इंतजार कर रहे हैं?

इससे पहले मंगलवार (30 जनवरी) को हेमंत सोरेन ने पार्टी विधायकों की एक बैठक का नेतृत्व किया था. ऐसी रिपोर्ट है कि बैठक में सभी विधायकों से दो रिक्त प्रस्तावों पर हस्ताक्षर कराए गए, जिनमें हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी की स्थिति में क्रमश: उनकी पत्नी कल्पना सोरेन और चंपई सोरेन को अगले मुख्यमंत्री के रूप में समर्थन देने की बात है.

हेमंत सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा भेज दिया है, जबकि उनकी पार्टी के विधायक मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन का समर्थन करने के लिए राज्यपाल से मुलाकात का करते रहे.

यह अनुमान लगाते हुए कि उन्हें 31 जनवरी को गिरफ्तार किया जा सकता है, जब ईडी उनसे पूछताछ करने आएगी, सोरेन ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने तक गिरफ्तारी ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया.

ईडी के अधिकारी बाद में उन्हें राज्यपाल के घर ले गए, जहां उन्होंने अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिससे चंपई सोरेन के लिए सरकार बनाने का दावा पेश करने का रास्ता खुल गया.

सूत्रों ने बताया कि हेमंत सोरेन को डर था कि उनकी गिरफ्तारी से केंद्र सरकार संवैधानिक मशीनरी की विफलता के आधार पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुमति दे सकती है.

सोरेन ने कथित तौर पर उन्हें प्रताड़ित करने के लिए ईडी अधिकारियों के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम भी लगाया है.

झामुमो विधायकों ने ईडी की कार्रवाई की निंदा की और दावा किया कि कि छापेमारी और मुख्यमंत्री की संभावित गिरफ्तारी ‘उच्च स्तर’ से थी और इसमें राजनीतिक साजिश की बू आती है.

चंपई सोरेन को हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है और वह सरायकेला सीट से विधायक हैं. वह अपनी सीट पर बेहद लोकप्रिय हैं.

राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने मीडिया से पुष्टि की कि हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया गया है.

झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को 81 सदस्यीय विधानसभा में 49 विधायकों का बहुमत प्राप्त है. बताया जाता है कि सभी विधायक हेमंत सोरेन की जगह चंपई सोरेन को चुनने पर एकमत हैं.

इसमें झामुमो के 29, कांग्रेस के 16, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) उदारवादी [सीपीआई(एमएल)एल] के एक और एक विधायक राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के शामिल हैं.

चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने में देरी पर कांग्रेस ने सवाल उठाए

कांग्रेस ने गुरुवार (1 फरवरी) को राज्य के नए मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन को शपथ दिलाने में देरी पर सवाल उठाया.

नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि पड़ोसी राज्य बिहार में जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल के बीच गठबंधन समाप्त होने और भाजपा के साथ एक नए गठबंधन के गठन के कुछ ही घंटों के भीतर नीतीश कुमार ने शपथ ले ली थी, जबकि झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने अभी तक राज्य में सरकार बनाने के चंपई सोरेन के प्रस्ताव पर कार्रवाई नहीं की है.

उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक सत्तावादी, निरंकुश और एकतंत्रीय व्यवस्था बनाई है. मैं एक मौलिक संवैधानिक कानूनी प्रश्न पूछना चाहता हूं, जिसको लेकर हमें पिछले 18 घंटों से केवल आश्चर्यजनक चुप्पी मिली है. दुनिया जानती है कि झारखंड विधानसभा में कल 47 या 48 का बहुमत का आंकड़ा था और विपक्ष के पास लगभग 33 या 32 विधायक थे. जब माननीय मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था और ज्ञात संख्या के साथ एक नया मुख्यमंत्री प्रस्तावित किया गया था, तो राज्यपाल पिछले 18 घंटों से निष्क्रिय क्यों बने हुए हैं?’

सिंघवी ने कहा, ‘बमुश्किल एक सप्ताह पहले पड़ोसी राज्य बिहार में कितनी जल्दी राज्यपाल ने माननीय श्री पलटू कुमार (नीतीश कुमार) को 9वीं बार शपथ दिला दी. इसमें कितना समय लगा? कुछ सेकंड्स, कुछ मिनट… अभी हमारे यह बोलते समय 18 घंटे हो चुके हैं. इस देरी का कारण क्या है? क्या आप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री कार्यालय के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं? या आप विधायकों के पाला बदलने और खरीद-फरोख्त का इंतजार कर रहे हैं? क्या आप लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को हटाने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाने का इंतजार कर रहे हैं?’

अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए ईडी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हेमंत सोरेन

इस बीच, हेमंत सोरेन ने कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए सोरेन ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दायर की. सीजेआई ने इसे कल (2 फरवरी) को सुनवाई के लिए निर्धारित किया है.

लाइव लॉ के मुताबिक, सिब्बल ने कहा, ‘इस अदालत को पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम) की धारा 19 की रूपरेखा तय करनी है. किसी व्यक्ति को इस तरह कैसे गिरफ्तार किया जा सकता है. यह देश की राजनीति को प्रभावित करता है.’

शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए सिब्बल की याचिका के जवाब में ईडी की ओर से पेश वकील तुषार मेहता ने कहा कि इसी तरह की एक याचिका झारखंड हाईकोर्ट के समक्ष भी दायर की गई है. इस पर सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट के समक्ष याचिका वापस ले ली जाएगी और शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई करने का अनुरोध किया.

बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी ने कई नोटिस भेजे थे, लेकिन उन्होंने सहयोग करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने दावा किया था कि केंद्र सरकार राज्य में विपक्षी सरकार को अस्थिर करने के लिए एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है, वो भी उस केस में जिसे आदर्श रूप से सिविल कोर्ट में सुना जाना चाहिए.

हालांकि, ईडी ने 30 जनवरी को मुख्यमंत्री के नई दिल्ली आवास पर छापा मारा था, जहां इसने जब्त की गई 36 लाख रुपये की नकदी, एक कथित बेनामी बीएमडब्ल्यू कार और कुछ ‘आपत्तिजनक दस्तावेज’ प्रदर्शित किए. सोरेन ने कहा है कि नकदी और कार उनकी नहीं है.

इस बीच, भाजपा ने हेमंत सोरेन को ‘लापता व्यक्ति’ घोषित कर दिया था, क्योंकि वह अपने दिल्ली आवास पर उपस्थित नहीं थे. हालांकि, कुछ घंटों बाद मुख्यमंत्री ने भविष्य की रणनीति तय करने के लिए विधायक दल की बैठक की और कहा कि वह पूर्व-निर्धारित बैठकों और बजट की तैयारियों में व्यस्त थे.

विपक्ष की सरकारों को अस्थिर करने का भाजपाई काम जारी: खरगे

यह मामला मोदी सरकार और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक विवादों का एक और उदाहरण है, जो अक्सर विपक्षी नेताओं के खिलाफ ईडी की ऐसी कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सोरेन के खिलाफ कार्रवाई ‘संघवाद को खंड-खंड करने’ के लिए है.

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘पीएमएलए के प्रावधानों को कठोर बनाकर विपक्ष के नेताओं को डराना-धमकाना, भाजपा की टूल किट का हिस्सा है. षड्यंत्र के तहत एक-एक करके विपक्ष की सरकारों को अस्थिर करने का भाजपाई काम जारी है. भाजपा की वॉशिंग मशीन में जो चला गया वो सफेदी की चमकार से साफ है, जो नहीं गया वो दागदार है.’

राहुल गांधी ने कहा, ‘ईडी, सीबीआई, आईटी आदि अब सरकारी एजेंसी नहीं रहीं, अब यह भाजपा की ‘विपक्ष मिटाओ सेल’ बन चुकी हैं. खुद भ्रष्टाचार में डूबी भाजपा सत्ता की सनक में लोकतंत्र को तबाह करने का अभियान चला रही है.’

शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा कि ईडी, सीबीआई और आईटी एजेंसीज नहीं रहीं, बल्कि भाजपा के दरबार में दरबारी बनकर रह गई हैं.

वहीं, सोरेन की गिरफ्तारी पर चर्चा के लिए इंडिया गठबंधन के नेताओं ने बुधवार शाम दिल्ली में खरगे के घर पर बैठक भी की. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उपस्थित लोगों में सोनिया गांधी, सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और डीएमके नेता टीआर बालू शामिल थे.

विपक्षी नेताओं ने कहा कि वे गुरुवार को विरोध प्रदर्शन करेंगे. राज्य के कई आदिवासी अधिकार संगठनों ने भी गुरुवार को ‘झारखंड बंद’ की घोषणा की.

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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