केंद्रीय बजट 2024-25: चालू वर्ष में संशोधित राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत, आयकर में कोई बदलाव नहीं

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आख़िरी बजट पेश किया. सरकार ने मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये, जबकि जनगणना के लिए महत्वपूर्ण कमी के साथ 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. बजट में ग्रामीण विकास पर 2,65,808 करोड़ रुपये ख़र्च करने की उम्मीद है.

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बजट पेश करने से पहले बृहस्पतिवार सुबह नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय के कार्यालय के बाहर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ. (फोटो साभार: पीआईबी)

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आख़िरी बजट पेश किया. सरकार ने मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये, जबकि जनगणना के लिए महत्वपूर्ण कमी के साथ 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. बजट में ग्रामीण विकास पर 2,65,808 करोड़ रुपये ख़र्च करने की उम्मीद है.

बजट पेश करने से पहले बृहस्पतिवार सुबह नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय के कार्यालय के बाहर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ. (फोटो साभार: पीआईबी)

नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार (1 फरवरी) को नरेंद्र मोदी सरकार का 10वां केंद्रीय बजट पेश किया, हालांकि यह अंतरिम है, अगले कुछ महीनों में संसदीय चुनाव होने की उम्मीद है.

यह नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट भी है. यह अंतरिम बजट है. मई में लोकसभा चुनाव के बाद जो नई सरकार आएगी, वह आम बजट पेश करेगी.

यह बजट केवल चुनाव तक के लिए योजना बना रहा है, विशेषज्ञों ने बताया है कि चुनाव पूर्व अंतरिम बजट का उपयोग अक्सर उन क्षेत्रों के लिए बड़ी घोषणाएं करने के लिए किया जाता है, जिनके बारे में सरकार का मानना ​​है कि वे सत्तारूढ़ पार्टी के लिए वोटों में तब्दील हो सकते हैं.

अगले पांच वर्षों के लिए एक दृष्टिकोण पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने अभूतपूर्व वृद्धि की भविष्यवाणी की. उन्होंने अगले वित्तीय वर्ष के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की घोषणा की, जो चालू वित्तीय वर्ष से 11 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है.

इस वित्तीय वर्ष के लिए संशोधित राजकोषीय घाटा 5.8 प्रतिशत है. सीतारमण ने कहा, ‘2024-25 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत होने का अनुमान है, जो 2025-26 तक घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत तक लाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है.’

उन्होंने कहा कि सरकार 2025-26 में राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत तक कम करने के लिए राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के पथ पर आगे बढ़ेगी.

इस बजट में करदाताओं को कोई नई छूट नहीं दी गई है. यानी इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. वित्त मंत्री सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में कोई बदलाव का प्रस्ताव नहीं कर रही हैं.

हालांकि, उन्होंने कहा कि वह ‘करदाताओं की सेवाओं में सुधार करेंगी’ और 2009-10 के लिए 25,000 रुपये तक और 2010 से 2015 की अवधि के लिए 10,000 रुपये तक की बकाया प्रत्यक्ष कर मांगों को वापस ले लेंगी. इससे 1 करोड़ करदाताओं को फायदा होगा.

मनरेगा के लिए 86,000 करोड़ रुपये का आवंटन

सशक्तिकरण और समावेशन पर सीतारमण की तमाम बातों के बावजूद बढ़ती मांग और खर्च हमेशा आवंटन से ऊपर रहने पर भी मोदी सरकार ने मनरेगा खर्च को लगातार कम किया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए 86,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ वित्त वर्ष 2024-25 के लिए योजना के बजट में 2023-24 के बजट अनुमान की तुलना में 26,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है. हालांकि यह चालू वित्त वर्ष (2023-24) के संशोधित अनुमान के समान है. इसलिए इस योजना का शुद्ध लाभ शून्य या नकारात्मक भी हो सकता है.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, इस योजना पर अब तक कुल खर्च 88,309.72 करोड़ रुपये रहा है. कुछ अनुमानों के मुताबिक, 1 फरवरी तक केंद्र पर राज्य सरकारों का 16,000 करोड़ रुपये का वेतन बकाया है.

सरकार ने तर्क दिया है कि मनरेगा एक गतिशील योजना है और बकाया का भुगतान चक्रीय रूप से किया जाता है. हालांकि पिछले दो वर्षों से केंद्र ने योजना के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार का दावा करते हुए पश्चिम बंगाल में कार्यक्रम रोक दिया है. केंद्र पर राज्य का लगभग 7,000 करोड़ रुपये बकाया है.

मनरेगा योजना के लिए साल दर साल आवंटन (करोड़ रुपये में). (साभार: द हिंदू)

हालांकि, 2024 का बजट मनरेगा बजट में कटौती की निरंतर प्रवृत्ति को तोड़ता है. 2023 के बजट में केवल 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, जो कि 73,000 करोड़ के बजट अनुमान से 18 प्रतिशत कम था और योजना के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 89,000 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से 33 प्रतिशत कम था.

हालांकि कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने कहा कि आवंटन अभी भी मनरेगा के कुशल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक राशि से काफी कम है.

द हिंदू से बातचीत में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजेंद्रन नारायणन ने कहा, ‘संशोधित अनुमानों का मिलान ग्रामीण संकट की एक मौन स्वीकृति है, लेकिन इसे कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाता. सरल गणना से पता चलता है कि योजना के तहत 5.6 करोड़ परिवारों को पंजीकृत करने पर विचार करते हुए यह राशि एक वर्ष में अधिकतम 25 से 30 दिनों के लिए काम प्रदान कर सकती है.’

आवंटन पिछले बकाया को चुकाने के लिए बजट का 15 से 20 प्रतिशत खर्च करने की प्रवृत्ति को आगे बढ़ाता है. वर्तमान मामले में इसमें पश्चिम बंगाल सरकार का 7,000 करोड़ रुपये शामिल है.

जनगणना के लिए महत्वपूर्ण कमी के साथ 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, अंतरिम बजट 2024-25 में जनगणना के लिए 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो 2021-22 से एक महत्वपूर्ण कमी है, जब 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे और एक संकेत है कि यह अभ्यास तीन साल की देरी के बाद भी नहीं किया जा सकता है.

24 दिसंबर 2019 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक बैठक में 8,754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना 2021 आयोजित करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अद्यतन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी.

जनगणना का मकान सूचीकरण चरण और एनपीआर को अपडेट करने की कवायद 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2020 तक देश भर में की जानी थी, लेकिन कोविड​​-19 महामारी के प्रकोप के कारण यह स्थगित कर दी गई.

जनगणना का काम अभी भी रुका हुआ है और सरकार ने अभी तक नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है.

अधिकारियों ने कहा कि चूंकि इस साल आम चुनाव होने हैं, इसलिए जनगणना 2024 में होने की संभावना नहीं है.

अंतरिम बजट के अनुसार, जनगणना सर्वेक्षण और सांख्यिकी के लिए 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं (2023-24 में 520.96 रुपये आवंटित थे).

अधिकारियों ने कहा कि पूरी जनगणना और एनपीआर प्रक्रिया पर सरकार को 12,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने की संभावना है.

ग्रामीण विकास पर 2,65,808 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद

वित्त वर्ष 2025 में सरकार को ग्रामीण विकास पर 2,65,808 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है. 2024 के संशोधित अनुमानों की तुलना में आवंटन में मामूली रूप से 26,824 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई.

हालांकि, ग्रामीण विकास पर कुल खर्च में वृद्धि, जब संशोधित अनुमानों से तुलना की जाती है, तो इस छत्र के अंतर्गत आने वाली प्रमुख योजनाओं के बीच समान रूप से वितरित नहीं की जाती है.

सरकार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना पर 2,027 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान की तुलना में इतनी ही राशि है. इस योजना के तहत 40-79 वर्ष की आयु वर्ग की और गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की विधवाओं को केंद्रीय सहायता प्रदान की जाती है.

सरकार को वित्त वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) पर 12,000 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान की तुलना में 5,000 करोड़ रुपये कम है. यह योजना निर्दिष्ट जनसंख्या आकार की सभी पात्र बस्तियों को हर मौसम में सड़क कनेक्टिविटी प्रदान करती है.

दूसरी ओर सरकार को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (पीएमएवाईजी) पर 54,500 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 (संशोधित अनुमान) की तुलना में 22,500 करोड़ रुपये की वृद्धि है. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में समाज के गरीब वर्गों को बुनियादी सुविधाओं के साथ आवास प्रदान करना है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में घोषणा की कि अगले पांच वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत 2 करोड़ और घर बनाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार इस योजना के तहत 3 करोड़ घरों का लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार है.

सरकार को दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) पर 15,047 करोड़ रुपये खर्च करने की उम्मीद है, जो वित्त वर्ष 2024 (संशोधित अनुमान) की तुलना में 918 करोड़ रुपये की वृद्धि है.

इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना और उन्हें तब तक समर्थन देना है, जब तक कि वे समय के साथ आय में उल्लेखनीय वृद्धि प्राप्त न कर लें.

पीएम-किसान का आवंटन 60,000 करोड़ रुपये

सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, किसान हमारे अन्नदाता हैं. हर साल पीएम-किसान सम्मान योजना के तहत सीमांत और छोटे किसानों सहित 11.8 करोड़ किसानों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.

हालांकि, वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पीएम-किसान का आवंटन 60,000 करोड़ रुपये रखा है, जो चालू वर्ष (2023-24) के बजटीय आवंटन और संशोधित अनुमान के बराबर है. यह उनके पिछले बजट के विपरीत है, जब उन्होंने पीएम-किसान के आवंटन में 13 प्रतिशत की कटौती की थी.

आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के लिए आयुष्मान भारत योजना

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को घोषणा की कि सरकार 9 से 14 साल की लड़कियों में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए टीकाकरण को प्रोत्साहित करेगी और आशा तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को कवर करने के लिए आयुष्मान भारत बीमा योजना का विस्तार करेगी.

यह योजना जो देश के सबसे गरीब 40 प्रतिशत लोगों को 5 लाख रुपये का पारिवारिक कवर प्रदान करती है, अब आशा कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी राहत होगी, जिन्हें भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य के चौथे स्तर के रूप में जाना जाता है और जो इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं.

दूसरी ओर, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं बच्चों की देखभाल और पोषण सेवाएं प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं. दोनों ही कोविड वर्षों के दौरान सामुदायिक रोकथाम और उपचार अभियान के दौरान महत्वपूर्ण थे.

निजी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन

निजी क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने की पहल में सीतारमण ने 1 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय कोष की स्थापना की घोषणा की, जो अनुसंधान के उद्देश्यों के लिए कम लागत या शून्य-ब्याज ऋण प्रदान करेगा.

सीतारमण ने कहा कि निजी कंपनियां इस नए तंत्र के माध्यम से 50 वर्षों तक ब्याज मुक्त ऋण का लाभ उठा सकती हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमारे तकनीक प्रेमी युवाओं के लिए यह एक स्वर्ण युग होगा. 50 साल की ब्याज मुक्त ऋण सुविधा से एक लाख करोड़ रुपये का कोष स्थापित किया जाएगा. यह कोष लंबी अवधि और कम या शून्य ब्याज दरों के साथ दीर्घकालिक वित्तपोषण या पुनर्वित्त प्रदान करेगा. इससे निजी क्षेत्र को बढ़ते हुए क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. हमें ऐसे कार्यक्रम बनाने की जरूरत है, जो हमारे युवाओं और प्रौद्योगिकी की शक्तियों को मिलाएं.’

बजट 2024-25 दस्तावेजों से कुछ निष्कर्ष

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य और शिक्षा बजट आवंटन आम तौर पर भारत की जरूरत से बहुत कम है, लेकिन संशोधित अनुमान बताते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष में उन लक्ष्यों को भी पूरा नहीं किया गया है.

सरकार को शिक्षा पर 1,16,417 करोड़ रुपये खर्च करने थे, लेकिन उसने 1,08,878 करोड़ रुपये खर्च किए. इसी तरह स्वास्थ्य पर इसने 88,956 करोड़ रुपये खर्च करने का बजट रखा, लेकिन वास्तव में केवल 79,221 करोड़ रुपये खर्च किए.

एससी, एसटी और अल्पसंख्यकों जैसे हाशिये पर मौजूद वर्गों के लिए मुख्य योजनाओं के आवंटन में भी इसी तरह की कटौती देखी जा सकती है.

उदाहरण के लिए अनुसूचित जाति के विकास के लिए अम्ब्रेला योजना के लिए संशोधित अनुमान 9,409 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 6,780 करोड़ रुपये है. एसटी के लिए संशोधित अनुमान 4,295 करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 3,286 करोड़ रुपये है.

अल्पसंख्यकों के लिए गिरावट सबसे तेज रही है. वित्त वर्ष 2024 में 610 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 555 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान तक.

अन्य कमजोर समूहों के विकास के लिए अम्ब्रेला कार्यक्रम के लिए संशोधित अनुमान 1,918 करोड़ रुपये है, जो 2,194 करोड़ रुपये के बजट अनुमान से कम है.

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