उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपे जाने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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​नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पर चर्चा और पारित करने के लिए उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र बुलाने से तीन दिन पहले मसौदा संहिता पर काम कर रही पांच सदस्यीय समिति ने शुक्रवार (2 फरवरी) को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी. सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक महत्वपूर्ण कदम में समिति की रिपोर्ट में उन आदिवासियों को छूट देने की सिफारिश की गई है, जो यूसीसी के खिलाफ अपनी असहमति व्यक्त कर रहे हैं, उन्हें विशेष दर्जा दिए जाने के कारण विधेयक के दायरे से बाहर कर दिया गया है. उत्तराखंड में 2.9 प्रतिशत आदिवासी आबादी है और उल्लेखनीय समूहों में जौनसारी, भोटिया, थारू, राजिस और बुक्सा शामिल हैं. सूत्रों ने कहा कि रिपोर्ट के प्रमुख पहलुओं में हलाला, इद्दत और तीन तलाक – जो कि मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार विवाह और तलाक को नियंत्रित करने वाली प्रथाएं हैं – को दंडनीय अपराध बनाना था. इसके अलावा इसमें बहुविवाह पर भी रोक लगाने की सिफारिश की गई है.

वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को तत्काल कोई राहत देने से इनकार कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वादी शैलेंद्र पाठक का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों द्वारा ‘इस आधार पर अपील की स्थिरता पर ‘प्रारंभिक आपत्ति’ उठाई गई थी कि 17/01/2024 के मूल आदेश को चुनौती नहीं दी गई है’. जिला अदालत द्वारा 17 जनवरी को पारित आदेश में आचार्य वेद व्यास पीठ मंदिर के मुख्य पुजारी पाठक द्वारा दायर मामले में वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने का रिसीवर नियुक्त किया गया था. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा, ‘प्रतिवादी अपीलकर्ता की ओर से उपस्थित विद्वान वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह अपील में संशोधन के लिए आवेदन दाखिल करेंगे और आदेश 40 नियम 1 सीपीसी के तहत वादी द्वारा दिए गए आवेदन पर वाराणसी जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश दिनांक 17/01/2024 को चुनौती देंगे.’ ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने जिला न्यायाधीश एके विश्वेशा के आदेश को चुनौती दी थी, जिन्होंने बीते 31 जनवरी को मस्जिद परिसर के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी थी. मामले को अब नए सिरे से 6 फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि असम सरकार विधानसभा के आगामी बजट सत्र के दौरान राज्य में बहुविवाह (Polygamy) को समाप्त करने के लिए एक विधेयक पेश करेगी. एनडीटीवी के अनुसार, एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में कानून विभाग द्वारा विधेयक के मसौदे की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा, ‘हम विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्य में बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक अधिनियम तैयार कर रहे हैं. यह जांच के लिए कानून विभाग के पास है.’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर कानून की प्रतीक्षा कर रही है, जिस पर 5 फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा के चार दिवसीय विशेष सत्र के दौरान विचार किया जाएगा. उन्होंने कहा, ‘हम विधेयक की निगरानी करेंगे और देखेंगे कि क्या हम इसे पूरी तरह से लागू कर सकते हैं. हमारे पास इसकी जांच करने और उसके अनुसार आगे बढ़ने का समय है.’ असम विधानसभा का बजट सत्र 5 फरवरी से शुरू होकर 28 फरवरी को समाप्त होगा.

आम आदमी पार्टी (आप) के अनुसार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब समाप्त हो चुकी दिल्ली शराब नीति से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए शुक्रवार को ईडी के सामने पेश नहीं होंगे. द हिंदू के अनुसार, पिछले चार महीनों में चार समन में शामिल नहीं होने के बाद ईडी ने बीते 31 जनवरी को केजरीवाल को एक नया और पांचवां समन जारी किया था. समन को ‘अवैध’ बताते हुए पार्टी ने कहा कि ईडी अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए बार-बार नोटिस भेज रही है. आप ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा केजरीवाल को गिरफ्तार करवाकर दिल्ली में उनकी सरकार गिराना चाहती है. पार्टी ने कहा कि आम आदमी पार्टी ऐसा नहीं होने देगी. केजरीवाल 2023 में 2 नवंबर और 21 दिसंबर और इस साल 3 जनवरी और 18 जनवरी के लिए ईडी द्वारा भेजे गए समन के बाद उसके सामने उपस्थित नहीं हुए. उन्होंने इन नोटिसों को ‘अवैध’ बताया था. यह आरोप लगाया गया है कि शराब व्यापारियों को लाइसेंस देने के लिए दिल्ली सरकार की 2021-22 की उत्पाद शुल्क नीति ने गुटबंदी की अनुमति दी और कुछ डीलरों का पक्ष लिया, जिन्होंने कथित तौर पर इसके लिए रिश्वत दी थी. इस आरोप का आप ने बार-बार खंडन किया है.

राजस्थान के कोटा शहर में बीटेक अंतिम वर्ष के एक छात्र ने अपने पेइंग गेस्ट रूम में छत के पंखे से लटककर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. नूर मोहम्मद (27 वर्ष) ने बुधवार (31 जनवरी) को किसी समय यह कदम उठाया, लेकिन उनका शव गुरुवार (1 फरवरी) रात शहर के विज्ञान नगर इलाके में उनके कमरे से बरामद किया गया. आउटलुक की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है. उत्तर प्रदेश के गोंडा के मूल निवासी मोहम्मद चेन्नई के एसआरएम विश्वविद्यालय से बीटेक की डिग्री ले रहे थे और यहां पेइंग गेस्ट के रूप में रहते थे. पुलिस ने बताया कि मोहम्मद ने 2016 से 2019 तक प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए कोटा में कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई की और एसआरएम विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के बाद वह कोटा से ही ऑनलाइन कक्षाएं लेते थे. इस साल के दो सप्ताह में कोटा में अब तक तीन आत्महत्याएं हो चुकी हैं. बीते 29 जनवरी को जेईई की तैयारी कर रही 18 वर्षीय निहारिका सिंह ने कोचिंग हब कहे जाने वाले कोटा स्थित अपने घर पर कथित तौर पर फांसी लगा ली थी. 23 जनवरी को 19 वर्षीय मोहम्मद ज़ैद का शव कोटा में अपने हॉस्टल के कमरे में लटका हुआ पाया गया था. वह मेडिकल प्रवेश परीक्षा एनईईटी की तैयारी के लिए एक साल पहले उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले से यहां आए थे. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2023 में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे 26 छात्रों ने आत्महत्या की थी, जो 2015 के बाद से सबसे अधिक है.