लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की घोषणा

भारत रत्न सम्मान को स्वीकार करते हुए भाजपा के संरक्षक लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी है, जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा करने का प्रयास किया. उन्होंने इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी. (फोटो साभार: एक्स/@narendramodi)

भारत रत्न सम्मान को स्वीकार करते हुए भाजपा के संरक्षक लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी है, जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा करने का प्रयास किया. उन्होंने इसके लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी. (फोटो साभार: एक्स/@narendramodi)

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (3 फरवरी) को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संरक्षक लाल कृष्ण आडवाणी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा की.

प्रधानमंत्री ने सोशल साइट एक्स पर लिखा, ‘मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. मैंने उनसे बात की और इसके लिए उन्हें बधाई दी. हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक, भारत के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है.’

मोदी ने कहा कि उनका जीवन जमीनी स्तर पर काम करने से शुरू होकर हमारे उप-प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा करने तक का है.

पीएम मोदी ने कहा, ‘उन्होंने हमारे गृह मंत्री और सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में भी अपनी पहचान बनाई. उनके संसदीय हस्तक्षेप हमेशा अनुकरणीय और समृद्ध अंतर्दृष्टि से भरे रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘सार्वजनिक जीवन में आडवाणी जी की दशकों लंबी सेवा को पारदर्शिता और अखंडता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता द्वारा चिह्नित किया गया है, जिसने राजनीतिक नैतिकता में एक अनुकरणीय मानक स्थापित किया है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘उन्होंने राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान को आगे बढ़ाने की दिशा में अद्वितीय प्रयास किए हैं. उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत भावुक क्षण है. मैं इसे हमेशा अपना सौभाग्य मानूंगा कि मुझे उनके साथ बातचीत करने और उनसे सीखने के अनगिनत अवसर मिले.’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इसके बाद एक बयान में आडवाणी ने कहा कि वह अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ इस सम्मान को स्वीकार करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी है, जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा करने का प्रयास किया. जब से मैं 14 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुआ, तब से मैंने केवल एक ही चीज में इनाम में मांगा है – जीवन में मुझे जो भी कार्य सौंपा गया है, उसमें अपने प्यारे देश के लिए समर्पित और निस्वार्थ सेवा हो.’

उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्हें 2015 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने कहा कि वह ‘लाखों पार्टी कार्यकर्ताओं, स्वयंसेवकों और अन्य लोगों के लिए दीन दयाल थे जिनके साथ मुझे सार्वजनिक जीवन में अपनी यात्रा के दौरान काम करने का सौभाग्य मिला.’

आडवाणी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को भी धन्यवाद दिया और अपनी दिवंगत पत्नी कमला को श्रद्धांजलि दी.

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने परिवार के सभी सदस्यों, विशेषकर अपनी प्रिय दिवंगत पत्नी कमला के प्रति भी अपनी गहरी भावनाएं व्यक्त करता हूं. वे मेरे जीवन में शक्ति और जीविका का सबसे बड़ा स्रोत रहे हैं.’

लाल कृष्ण आडवाणी की राजनीतिक यात्रा

लाल कृष्ण आडवाणी ने अपना संसदीय कार्यकाल 1970 में शुरू किया, जब वे राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 1989 में नई दिल्ली से लड़ा और मोहिनी गिरी को हराया था.

1991 में उन्होंने दो निर्वाचन क्षेत्रों, गुजरात के गांधीनगर और नई दिल्ली से चुनाव लड़ा और दोनों में जीत हासिल की थी. बाद में उन्होंने गांधीनगर का प्रतिनिधित्व करने का विकल्प चुना. उन्होंने अपना आखिरी चुनाव 2014 में इसी सीट से लड़ा था.

1990 के दशक की शुरुआत में आडवाणी ने अयोध्या के राम मंदिर के लिए अपनी रथ यात्रा के साथ भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई थी.

भाजपा के कट्टर वैचारिक धड़े का प्रतिनिधित्व करने के लिए जाने जाने वाले आडवाणी को हवाला डायरियों के सिलसिले में नाम आने के बाद लोकसभा से इस्तीफा देना पड़ा था.

हालांकि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध थे, लेकिन 2005 में अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान उन्हें संघ परिवार का क्रोध झेलना पड़ा, जहां उन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की प्रशंसा कर दी थी. इस हंगामे के कारण कराची में पैदा हुए आडवाणी को भाजपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था.