सीबीआई को सूचना के अधिकार अधिनियम से पूरी छूट प्राप्त नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीईसी) के नवंबर 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर यह आदेश पारित किया. सीईसी के फैसले में एजेंसी को भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी को कथित भ्रष्टाचार संबंधित मामले की कुछ जानकारी देने का निर्देश दिया गया था.

दिल्ली हाईकोर्ट. (फोटो साभार: Ramesh Lalwani/Flickr, CC BY 2.0)

दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीईसी) के नवंबर 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर यह आदेश पारित किया. सीईसी के फैसले में एजेंसी को भारतीय वन सेवा के एक अधिकारी को कथित भ्रष्टाचार संबंधित मामले की कुछ जानकारी देने का निर्देश दिया गया था.

दिल्ली हाईकोर्ट. (फोटो साभार: Ramesh Lalwani/Flickr, CC BY 2.0)

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आरटीआई अधिनियम के दायरे से पूरी तरह छूट नहीं है और यह पारदर्शिता कानून उसे भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघनों पर जानकारी प्रदान करने की आज्ञा देता है.

एनडीटीवी के मुताबिक, सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम की धारा 24 (कुछ संगठनों पर लागू नहीं होने वाला अधिनियम) का अवलोकन करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि यह दिखाता है कि भले ही संगठन (सीबीआई) का नाम कानून की दूसरी अनुसूची में उल्लेखित है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पूरा अधिनियम ऐसे संगठनों पर लागू नहीं होता है.

30 जनवरी को पारित आदेश, जो 2 फरवरी को उपलब्ध कराया गया, में जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा, ‘धारा 24 का प्रावधान भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी आवेदक को उपलब्ध कराने की अनुमति देता है और इसे आरटीआई अधिनियम की दूसरी अनुसूची में उल्लिखित संगठनों को प्रदान किए गए अपवाद में शामिल नहीं किया जा सकता है.’

हाईकोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के नवंबर 2019 के फैसले को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका पर आदेश पारित किया. सीईसी के फैसले में एजेंसी को भारतीय वन सेवा (आईएफएस) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी को कुछ जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया गया था.

चतुर्वेदी ने एम्स के जय प्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के मेडिकल स्टोर के लिए खरीदी गई कुछ सामग्री में कथित भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी मांगी थी.

वे उस समय एम्स के मुख्य सतर्कता अधिकारी थे, जब उन्होंने ट्रॉमा सेंटर के लिए की जा रही खरीदारी में कथित भ्रष्टाचार के संबंध में रिपोर्ट भेजी थी. इसके अलावा, चतुर्वेदी ने मामले में सीबीआई जांच से संबंधित फाइल नोटिंग, दस्तावेजों या पत्राचार की प्रमाणित प्रति भी मांगी थी.

अधिकारी के मुताबिक, चूंकि सीबीआई ने उनके द्वारा दी गई जानकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की, इसलिए उन्होंने जांच एजेंसी के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी (सीपीआईओ) से संपर्क किया.

सीबीआई द्वारा जानकारी देने से इनकार करने के बाद, उन्होंने सीआईसी से संपर्क किया जिसने केंद्रीय एजेंसी को जानकारी साझा करने का आदेश दिया. इसके बाद सीबीआई ने सीआईसी के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

सीबीआई ने तर्क दिया कि आरटीआई कानून की धारा 24 पूर्ण प्रतिबंध के रूप में कार्य करती है और एजेंसी को अधिनियम के प्रावधानों से छूट प्राप्त है.

इसने तर्क दिया कि धारा 24 का नियम सीबीआई पर लागू नहीं होता है और एजेंसी अपने द्वारा की गई जांच के विवरण का खुलासा नहीं कर सकती है.

सीबीआई ने कहा कि भ्रष्टाचार के अपराधों की उसकी जांच में खुफिया जानकारी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील मामले खुफिया इनपुट के आधार पर दर्ज किए गए हैं. इसलिए, वह चतुर्वेदी को जांच के विवरणों का खुलासा नहीं कर सकती.

हाईकोर्ट ने कहा कि चतुर्वेदी ने भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए जो जानकारी मांगी थी, उस मामले में ऐसा नहीं था कि संवेदनशील जानकारी एकत्र की गई हो और जिसका खुलासा हानिकारक होगा.

अदालत ने कहा, ‘यह ऐसा मामला भी नहीं है जहां जानकारी इतनी संवेदनशील हो कि इसे जनता के साथ साझा नहीं किया जा सकता. प्रावधान का मूल उद्देश्य आवेदक को भ्रष्टाचार और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों से संबंधित जानकारी प्रदान करना है.’

अदालत ने कहा कि वह इस मामले के तथ्यों पर सीबीआई के तर्क को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है.

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