पंजाब के राज्यपाल और पद से इस्तीफ़ा देने वाले बनवारीलाल पुरोहित ने कुछ हफ्ते पहले चंडीगढ़ तमिल संगम कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तमिलनाडु को देश की ‘शीतकालीन राजधानी’ बनाए जाने का सुझाव दिया था, जिसे दक्षिण भारतीय राज्यों में भाजपा के राजनीतिक विस्तार के प्रयासों से जोड़कर देखा जा रहा है.
नई दिल्ली: बनवारीलाल पुरोहित ने भले ही पंजाब के राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया हो, लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने जो सुझाव दिया था – तमिलनाडु में ‘शीतकालीन राजधानी’ में संसद सत्र आयोजित करना – वह राजनीतिक हलकों में जोर पकड़ने लगा है, क्योंकि भाजपा के दक्षिणी राज्य में अपने राजनीतिक आधार का विस्तार करने के प्रयास लगातार जारी हैं.
द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब में राजभवन में नियुक्त होने से पहले पुरोहित 2017 से 2021 तक तमिलनाडु के राज्यपाल थे. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ बैठक के एक दिन बाद 3 फरवरी को पुरोहित ने पंजाब के राज्यपाल और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक पद से इस्तीफा दे दिया था.
उन्होंने कुछ हफ्ते पहले पोंगल त्योहार के दौरान आयोजित चंडीगढ़ तमिल संगम कार्यक्रम के दौरान ‘शीतकालीन राजधानी’ के संबंध में सुझाव दिया था, जिसे आम चुनाव से पहले प्रमुख दक्षिणी राज्य में पैठ बनाने के भाजपा के प्रयासों की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है, जहां राजनीति में बड़े पैमाने पर क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व रहा है.
पुरोहित ने सभा को संबोधित करते हुए कहा था, ‘चार साल तक मैं तमिलनाडु में था, बहुत आनंद आया, वहां बहुत स्नेही लोग थे, संस्कृति बहुत समृद्ध है, लोग सरल हैं… अपने इधर तो ज्यादा ठंडा है न, दिल्ली राजधानी है… थोड़ा सा चाबी घुमाओ तमिलनाडु में भी कि दूसरी राजधानी तमिलनाडु में पहुंच जाए… मोदी जी कर भी देंगे… जोर से आवाज आने दो वहां से, गर्मी में वहां (तमिलनाडु), सर्दी में यहां (दिल्ली)… एक सत्र वहां (तमिलनाडु में) भी हो जाए.’
द हिंदू ने राजनीतिक जानकारों के हवाले से लिखा है कि 2024 के संसदीय चुनाव से पहले आने वाली राज्यपाल की टिप्पणी तमिलनाडु में अपना आधार बढ़ाने की भाजपा की महत्वाकांक्षा से जुड़ी हुई प्रतीत होती है.
चंडीगढ़ के इंस्टिट्यूट ऑफ डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (आईडीसी) के निदेशक प्रमोद कुमार ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि भाजपा आम चुनाव से पहले तमिलनाडु पर ध्यान केंद्रित कर रही है और पुरोहित की टिप्पणी इसका संकेत है. ऐसे बयान आम तौर पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर सार्वजनिक किए जाते हैं. यह दक्षिण भारत पर जीत हासिल करने की भाजपा की रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है, क्योंकि पार्टी वहां अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘संसद का सत्र आयोजित करने का कदम निश्चित रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों के लोगों के लिए एक राहत होगा, अगर वहां एक सत्र होता है और किसी प्रकार का सचिवालय स्थापित होता है, तो लोगों को लाभ होगा. दक्षिण भारतीय राज्यों की राजनीति में क्षेत्रीय दलों का वर्चस्व है और यह कदम क्षेत्रीय राजनीति को राष्ट्रीय राजनीति में एकीकृत करने की योजना हो सकती है. सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर यह एक अच्छा एकीकृत कदम है. यह लोगों तक पहुंचने का एक प्रयास है.’
द हिंदू के मुताबिक, तमिलनाडु के रहने वाले और वर्तमान में पंजाब में सेवारत वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जेएम बालामुरुगन ने कहा कि सकारात्मक कार्रवाई पर आधारित सामाजिक न्याय और सामाजिक क्षेत्र का विकास उदारीकरण के बाद के युग में तमिलनाडु के शानदार विकास की नींव रहा है.
उन्होंने कहा, ‘अगर तमिलनाडु में दूसरी राजधानी बनती है, तो यह एक अभूतपूर्व कदम होगा जो भारत को सामाजिक न्याय के साथ विकास के बहुत ऊंचे पथ पर ले जाएगा, सात ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण को साकार करेगा और जल्द ही भारत को ‘विश्वगुरु’ की उसकी सही स्थिति में लाएगा.’