महाराष्ट्र: सरकारी ठेकेदारों की राज्य सरकार को चेतावनी, धमकी-उगाही से बचाएं; वरना काम रोक देंगे

महाराष्ट्र स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन और स्टेट इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा अजीत पवार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सरकार को एक सख़्त क़ानून पारित करने के लिए क़दम उठाना चाहिए जो ठेकेदारों के ख़िलाफ़ हिंसा को रोक सके.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फोटो साभार: फेसबुक)

महाराष्ट्र स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन और स्टेट इंजीनियर्स एसोसिएशन द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तथा अजीत पवार को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सरकार को एक सख़्त क़ानून पारित करने के लिए क़दम उठाना चाहिए जो ठेकेदारों के ख़िलाफ़ हिंसा को रोक सके.

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता से उत्पन्न धमकियों, जबरन वसूली के फोन और गुंडागर्दी से सुरक्षा की मांग करते हुए विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं में लगे राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित ठेकेदारों और इंजीनियरों के दो संगठनों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और दो उप-मुख्यमंत्रियों को एक संयुक्त पत्र लिखकर कार्यस्थलों पर अपनी सुरक्षा के लिए एक कानून बनाने की मांग की है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने धमकी दी है कि अगर उनकी सुरक्षा के लिए कदम नहीं उठाए गए तो वे फरवरी के अंत से काम बंद कर देंगे.

महाराष्ट्र स्टेट कॉन्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एमएससीए) और स्टेट इंजीनियर्स एसोसिएशन (एसईए) द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजीत पवार को भेजे गए पत्र में कहा गया है, ‘महाराष्ट्र राज्य का हर जिला इसी तरह के पैटर्न का सामना कर रहा है, जहां सत्ताधारी पक्ष के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और स्थानीय स्तर के राजनेता भी चल रहे कार्यों को जबरन रोक रहे हैं, वे ठेकेदार के खिलाफ शारीरिक हिंसा का इस्तेमाल कर रहे हैं और उनसे पैसे की उगाही कर रहे हैं.’

3 फरवरी को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘इन गुटों को सरकारी अधिकारियों द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. शारीरिक हिंसा के साथ धमकी देने की बढ़ती घटनाएं; विरोध दर्ज कराने पर ठेकेदार को पीटने और अपने स्वयं के आदेश मनवाने के मामले पूरे राज्य में बढ़ रहे हैं. ये समूह हर जगह एक समान तरीके से काम कर रहे हैं, जहां वे ठेकेदार के खिलाफ लिखित शिकायत दर्ज करते हैं और बाद में पैसे की मांग करते हैं.’

इसमें कहा गया है कि जो काम ठेकेदारों ने उठाया है, वे उसे पूरा करने के लिए बाध्य हैं, इस कारण चुपचाप सब सह रहे हैं.

पत्र में कहा गया है, ‘सत्तारूढ़ विधायक, सांसद और अन्य निर्वाचित प्रतिनिधि राज्य में भारी मात्रा में विकास कार्यों को मंजूरी दिलाने में कामयाब रहे हैं. इसे क्रियान्वित करते समय विपक्ष में बैठे राजनीतिक समूह यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि काम रुका रहे. ऐसा करने के लिए ये समूह ठेकेदारों और मजदूरों के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं और काम रोकने के लिए उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट कर रहे हैं.’

पत्र के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह शिकायत पर गौर करने और जमीनी प्रतिक्रिया लेने के बाद मामले को देखेगा.

एमएससीए और एसईए दोनों के अध्यक्ष मिलिंद भोसले ने कहा कि सरकार ने विभिन्न विभागों में विकासात्मक कार्य जारी किए हैं और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण इन परियोजनाओं के निष्पादन में बड़ी क्षति के साथ-साथ देरी भी हो रही है.

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘हमारे अनुमान के मुताबिक, राज्य सरकार ने राज्य में एक लाख करोड़ रुपये तक के कार्यों के आदेश जारी किए हैं. हमारे ठेकेदारों को कार्यस्थल के दौरे (साइट विजिट) के दौरान जमीनी स्तर पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जहां स्थानीय सत्ताधारी पक्ष के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शारीरिक हिंसा का इस्तेमाल करके जबरन काम रोक रहे हैं. सरकारी अधिकारी ऐसे मामलों पर आंखें मूंद रहे हैं और हमारे सदस्य अधिक धमकियों के डर से शिकायत दर्ज करने से डरे हुए हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि अंतत: जमीनी हकीकत को समझे बिना परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी के लिए ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाता है.

भोसले ने कहा कि ठेकेदारों के पास आखिरी विकल्प काम पूरी तरह बंद करना ही बचा है.

अपने पत्र में दोनों संघों ने चेतावनी दी कि अगर कोई समाधान नहीं निकला तो ठेकेदार फरवरी के अंत से कोई काम नहीं करेंगे. इसमें कहा गया है, ‘राज्य प्रशासन और मंत्रियों को इस मुद्दे पर गौर करना चाहिए और एक सख्त कानून पारित करने के लिए कदम उठाना चाहिए, जो ठेकेदारों के खिलाफ हिंसा को रोक सके.’