झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन के विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव जीतने के दौरान सदन में मौजूद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब भाजपा राजनीतिक रूप से कुछ करने में सक्षम नहीं होती है, तो पीछे का दरवाजा लेती है और अपने प्रतिद्वंद्वी की पीठ पर हमला करती हैं.
नई दिल्ली: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बीते सोमवार (6 फरवरी) को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव आसानी से जीत लिया. 81 सदस्यीय सदन में उसके पक्ष में उम्मीद के मुताबिक 47 वोट मिले. झामुमो के एक विधायक बीमारी के कारण उपस्थित नहीं हो पाए.
भाजपा के 29 वोटों के प्रबंधन के साथ झामुमो ने अपने नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के लिए केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला करने के लिए प्रस्ताव का इस्तेमाल किया और इसे आदिवासियों को निशाना बनाना बताया.
भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हेमंत सोरेन के इस्तीफे और गिरफ्तारी से ठीक पहले उनके द्वारा चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने के कारण विश्वास मत की आवश्यकता थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक विशेष अदालत द्वारा विश्वास प्रस्ताव पर मतदान करने की अनुमति मिलने के बाद मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता भाजपा के अमर बाउरी और कांग्रेस के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम के अलावा हेमंत सोरेन ने एक भावनात्मक भाषण में सदन को संबोधित किया.
सोरेन ने कसम खाई कि अगर भाजपा ने विधानसभा में उनकी 8 एकड़ जमीन के कथित अवैध अधिग्रहण के संबंध में कोई सबूत पेश किया तो वह राजनीति से इस्तीफा दे देंगे.
सोरेन ने कहा, ‘अगर हिम्मत है तो वो (भाजपा) कागज पटक के दिखाएं कि 8.5 एकड़ की जमीन हेमंत सोरेन के नाम पर है. अगर है तो मैं राजनीति से इस्तीफा दे दूंगा… राजनीति से संन्यास क्या, झारखंड ही छोड़ के चले जाएंगे.’
ईडी ने एक अन्य मामले में दो बार पूछताछ करने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच में सोरेन को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था, जिसमें झारखंड कैडर के आईएएस अधिकारी छवि रंजन भी आरोपी हैं. सोरेन ने उन्हें जारी किए गए 10 समन में से आठ को नजरअंदाज कर दिया था.
उन्होंने कहा कि उसी भाजपा ने, जिसने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद राम राज्य की कसम खाई थी, बिहार में सरकार गिरा दी थी और झारखंड में भी ‘वही कोशिश कर रही थी’.
उन्होंने दावा किया कि उनकी पांच दिन की ईडी हिरासत जारी है और अधिकारियों ने उन्हें मतदान की कार्यवाही के दौरान सदन में नहीं बोलने के लिए कहा था. उन्होंने कहा, ‘मैंने उनसे कहा कि वे अध्यक्ष के पास आएं और उनसे लिखित आदेश लें.’
राज्यपाल पर सीधा हमला बोलते हुए सोरेन ने बीते 31 जनवरी की उस रात को ‘देश के लोकतंत्र में काली रातों और काले अध्यायों में सबसे नई घटना’ बताया, जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
इसे झामुमो के आदिवासी पार्टी होने से जोड़ते हुए पूर्व मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा, ‘मैं आदिवासी समुदाय से आता हूं और हमारे पास विपक्ष के रूप में ‘बौद्धिक क्षमता’ नहीं है. हालांकि, हम सही और गलत के बीच का अंतर जानते हैं. यहां तक कि जानवर भी इसे जानते हैं. पूर्व नियोजित तरीके से 2022 से एक साजिश लिखी जा रही थी… आधे-अधूरे तथ्यों के साथ… और उन्होंने मुझे गिरफ्तार कर लिया.’
बाबा साहब भीमराव आंबेडकर का जिक्र करते हुए सोरेन ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी ने विभिन्न धर्मों, जातियों के बीच समानता का सपना देखा था, ‘लेकिन आंबेडकर को बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा और ऐसा लगता है कि आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों का भी यही हश्र होगा. इन समुदायों के खिलाफ नफरत है, और मुझे नहीं पता कि वे (भाजपा) हमसे इतनी नफरत कैसे पाले हुए हैं.’
सोरेन ने कहा कि आंबेडकर की तरह आदिवासियों, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्ग के लोगों को भी अब भाजपा के ‘अत्याचारों’ के कारण बौद्ध धर्म अपनाना पड़ रहा है. सोरेन ने हाल ही में एक मीडियाकर्मी की सोरेन पर की गई टिप्पणी के संदर्भ में कहा कि सामंती मानसिकता वाले लोग कहते हैं कि आदिवासियों को जंगल में रहना चाहिए.
सोरेन ने कहा कि जब भाजपा राजनीतिक रूप से कुछ करने में सक्षम नहीं होती है, तो पीछे का दरवाजा लेती है और अपने प्रतिद्वंद्वी की पीठ पर हमला करती हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं आंसू नहीं बहाऊंगा और इसे समय के लिए रखूंगा. आप लोगों के पास आंसुओं का कोई मोल नहीं. आपके लिए आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के आंसुओं की कोई कीमत नहीं है. समय आने पर हम उनके सवालों और साजिश का जवाब पूरे अधिकार और स्पष्टता के साथ देंगे.’
उन्होंने कहा, ‘हम जंगल से बाहर आ गए और इनके बराबर बैठने लगे तो इनके कपड़े मैले होने लगे. ये हमें अछूत के रूप में देखते हैं. और इन्हीं चीजों को तोड़ने के लिए हमने एक प्रयास किया. इनका (भाजपा) बस चले तो हम 50-100 साल पुराने जंगल में चले जाएं.’
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें अंदाजा है कि विपक्षी भाजपा हताश है. भाजपा में हमेशा लोगों पर कार्रवाई करने की हिम्मत होती है, लेकिन केवल निर्दोष लोगों पर. गैरकानूनी काम को कानूनी तरीके से कैसे किया जाता है यह कोई बीजेपी से सीखे.
उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक आदिवासी मुख्यमंत्री को ‘निगलने’ की कोशिश की.
उन्होंने कहा, ‘चूंकि इस आदिवासी मुख्यमंत्री के पास अधिक हड्डियां हैं और उस हड्डी को बाहर निकालने के लिए ईडी पीछे है. हालांकि, यह आसान काम नहीं होगा, क्योंकि अगर गलती से हड्डी उनके गले में फंस गई तो सारी आंतें बाहर निकल जाएंगी. इसलिए उन्हें निगलते समय सावधान रहना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे इस बात का दुख नहीं है कि ईडी ने मुझे गिरफ्तार किया है, क्योंकि मैं यहां सत्ता के लिए नहीं आया हूं. झारखंड का सम्मान बचाने के लिए झामुमो का गठन हुआ. हम उन्हें उचित जवाब देंगे… राजनीतिक, कानूनी या किसी भी युद्ध के मैदान पर… यह मेरा वचन है.’
उन्होंने कहा: ‘भाजपा के पास भी आदिवासी नेता हैं, लेकिन कितने लोगों ने पांच साल पूरे किए? हम आदिवासी कभी लोगों के सामने नहीं झुके. जब हम सत्ता में आए तो उन्होंने आदिवासियों से सरकार चलाने को कहा. जब मैं पांच सितारा होटलों में रहता हूं, मेरे पास बीएमडब्ल्यू कार होती है या मैं हवाई जहाज से उड़ान भरता हूं, तो उन्हें (भाजपा) दिक्कत होती है.’
उन्होंने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन द्वारा झारखंड सरकार के कामकाज के 32 पेज पढ़ने की भी आलोचना की और कहा कि जब वहां लोकतंत्र नहीं है तो इसका कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि समय सबसे बलवान होता है और एक समय फिर आएगा जब वह फिर से विधानसभा अध्यक्ष के सामने खड़े होंगे.
हेमंत सोरेन ने कहा, ‘इतनी मजबूती के साथ उपस्थित होंगे कि जो षड्यंत्र कर रहे होंगे वो धरे की धरे रहेंगे. और इस देश के आदिवासी, पिछड़े, दलित के लिए जो संघर्ष करना होगा वो करते रहेंगे.’
मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा, ‘लोग खनन घोटाले के बारे में बात करते हैं, लेकिन आदिवासियों और मूल निवासियों ने एक पत्थर को भी नहीं छुआ है और उन्हीं खनिजों का उपयोग गुजरात, दिल्ली और मुंबई में किया गया था. इसका प्रभाव किस पर पड़ा है? इसने आदिवासियों और मूल निवासियों को विस्थापित कर दिया है, जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक उत्पीड़न हुआ है. इन समस्याओं को सुलझाने में हेमंत सोरेन सबसे आगे थे.’
‘हेमंत सोरेन के नंबर 2’ के रूप में खारिज किए जाने का जिक्र करते हुए चंपई ने कहा, ‘मैं यह गर्व के साथ कहता हूं. मैं हेमंत सोरेन का पार्ट 2 हूं. वही गांव जहां अधिकारी नहीं जाते थे, हमने उन्हें सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के माध्यम से योजनाओं से जोड़ा है. क्या यह अपराध है?’
उन्होंने हेमंत सोरेन के खिलाफ कोई सबूत नहीं होने का दावा करते हुए कहा, ‘कृपया बीआर आंबेडकर के संविधान को न मिटाएं और लोकतंत्र की रक्षा करें.’
भाजपा के अमर बाउरी ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों ने लोकतंत्र शब्द का खूब इस्तेमाल किया, लेकिन उन्होंने राज्यपाल को अपना भाषण पूरा नहीं करने दिया.
आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म अपनाने पर बाउरी ने तर्क दिया कि यह ‘एक घरेलू धर्म’ था, ईसाई धर्म या इस्लाम की तरह ‘एक विदेशी धर्म’ नहीं. ‘आंबेडकर ने कोई विदेशी धर्म नहीं चुना’.
उन्होंने अतीत में झामुमो के साथ भाजपा के संबंधों का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला और कहा, ‘मैं विधानसभा को बताना चाहता हूं कि यह कांग्रेस थी जिसने आदिवासी नेताओं शिबू सोरेन, मधु कोड़ा को जेल में डाला था और अब यह हेमंत सोरेन हैं. यह भाजपा थी जिसने शिबू सोरेन को राज्यसभा में भेजा था, यह भाजपा थी जिसने बनाया था हेमंत सोरेन को डिप्टी सीएम (2014 में), कांग्रेस नहीं… चंपईजी, कृपया कांग्रेस से सावधान रहें, वे आपको भी जेल में डाल सकते हैं.’
कांग्रेस के आलमगीर आलम ने टोकते हुए कहा, ‘यह कांग्रेस ही थी जिसने देश को आजादी दिलाई और भाजपा जिन संस्थानों पर गर्व करती है, वे सभी कांग्रेस सरकारों की देन हैं. साथ ही, यह भाजपा ही थी जो पहली बार अपने विधायकों को सुरक्षित रखने के लिए दूसरे राज्य में ले गई… इसलिए उसे विधायकों की शिफ्टिंग को लेकर हम पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है.’