वाराणसी टेंट सिटी परियोजना में मानदंडों के उल्लंघन का आरोप, प्रधानमंत्री ने किया था उद्घाटन

मई 2023 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नियुक्त एक संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट में वाराणसी में गंगा तट पर टेंट सिटी की स्थापना में ‘उल्लंघनों’ को उजागर किया गया है. एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा कि वह यह बताएंगे कि नदी तल/तट पर कंक्रीट संरचनाएं क्यों खड़ी की गईं, जो प्रतिबंधित हैं.

वाराणसी का मुंशी घाट. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिपीडिया/Marcin Białek/CC BY-SA 3.0)

मई 2023 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नियुक्त एक संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट में वाराणसी में गंगा तट पर टेंट सिटी की स्थापना में ‘उल्लंघनों’ को उजागर किया गया है. एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा कि वह यह बताएंगे कि नदी तल/तट पर कंक्रीट संरचनाएं क्यों खड़ी की गईं, जो प्रतिबंधित हैं.

वाराणसी का मुंशी घाट. (प्रतीकात्मक फोटो साभार: विकिपीडिया/Marcin Białek/CC BY-SA 3.0)

नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में गंगा तट पर पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए टेंट सिटी के अधिकारियों से आवश्यक अनुमति नहीं लेने के कारण विवादों में आने के बाद वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने फिलहाल इन अस्थायी संरचनाओं को फिर से खड़ा नहीं करने का फैसला किया है.

मई 2023 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा नियुक्त एक संयुक्त समिति की एक रिपोर्ट में टेंट सिटी की स्थापना के दौरान किए गए ‘उल्लंघनों’ को उजागर किया गया था.

द हिंदू के अनुसार, एनजीटी को सौंपी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘एनएमसीजी (राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन) के संबंध में एनएमसीजी में 02/01/2024 को आयोजित बैठक में टीसीपी (टेंट सिटी प्रोजेक्ट) के प्रस्ताव पर आगे विचार किया गया. वाराणसी विकास प्राधिकरण ने मानसून के बाद 2023-2024 की अवधि के लिए टेंट सिटी को नहीं बढ़ाने का फैसला किया है.

13 जनवरी 2023 को परियोजना का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, ‘टेंट सिटी के साथ काशी आने वाले पर्यटकों और भक्तों को अब आवास का एक अविश्वसनीय साधन मिल गया है.’

क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं का दोहन करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में प्राधिकरण द्वारा टेंट सिटी विकसित किया गया था. ‘शानदार आवास’ सुविधाओं वाली परियोजना को खासकर काशी विश्वनाथ धाम के उद्घाटन के बाद वाराणसी में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को पूरा करने के लिए विकसित किया गया था.

पर्यटक आसपास स्थित विभिन्न घाटों से नावों द्वारा टेंट सिटी तक पहुंच सकते थे. इसे हर साल अक्टूबर से जून तक चालू रखा जाना था और मानसून के दौरान गंगा में जल स्तर बढ़ने पर तीन महीने के लिए इसे बंद कर दिया जाना था.

अक्टूबर 2023 में एनजीटी को सौंपी गई एक रिपोर्ट में एनएमसीजी ने कहा कि ‘टेंट सिटी के परियोजना विकास के पूर्व-अनुति के लिए आवेदन 2022 में परियोजना के लागू होने के बाद किया गया है’.

15 दिसंबर 2023 को एनजीटी ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के सदस्य सचिव को एनजीटी के सामने पेश होने का आदेश दिया और कहा, ‘वह यह भी बताएंगे कि नदी तल/तट पर पर्यावरण कानूनों का इतना बड़ा उल्लंघन क्यों किया गया है, जहां कंक्रीट संरचनाएं खड़ी की गई हैं, जो पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं, उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा चलाने की कार्रवाई आज तक क्यों नहीं की गई है.’

सूत्र ने कहा, जनवरी में बैठकें चल रही थीं क्योंकि प्राधिकरण इस साल टेंट सिटी बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) से अनुमति लेने की कोशिश कर रहा था, लेकिन प्राधिकरण ने अचानक सूचित किया कि वे फिलहाल ऐसा नहीं कर रहे हैं.

एनजीटी को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार, एनएमसीजी ने यह भी निर्देश दिया है कि यदि वाराणसी विकास प्राधिकरण भविष्य में परियोजना को जारी रखना चाहता है तो परिचालन अवधि अक्टूबर से जून के बजाय नवंबर से मई तक रखी जा सकती है.

रिपोर्ट में कहा गया, ‘टेंट सिटी के भीतर केवल आध्यात्मिक/धार्मिक आयोजनों से जुड़ी गतिविधियां ही की जाएंगी. सभी निर्माण सामग्री को वर्ष के 1 जून तक गंगा तट से पूरी तरह हटा दिया जाना चाहिए.’

सूत्र ने कहा, ‘हालांकि अगर प्राधिकरण 2024 के मानसून के बाद फिर से टेंट सिटी स्थापित करना चाहता है, तो उसे एनएमसीजी से नए सिरे से मंजूरी लेनी होगी.’