वाराणसी कोर्ट के ज्ञानवापी के तहखानों के एएसआई सर्वे की याचिका स्वीकारने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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वाराणसी की एक अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे बने चार तहखानों में से एक में पूजा की अनुमति देने के बाद अब अदालत ने शेष तहखानों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की मांग वाली एक और याचिका स्वीकार कर ली है. द हिंदू के अनुसार, अब मामले की सुनवाई आगामी 15 फरवरी को होगी. याचिका ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में पक्षकार और विश्व वैदिक सनातन संघ की सदस्य राखी सिंह दायर की है, जिसमे कहा गया है कि तहखानों के अंदर ‘गुप्त तहखाने’ हैं और उनका भी सर्वेक्षण करना जरूरी है ताकि ‘ज्ञानवापी मस्जिद का पूरा सच सामने आ सके.’ उधर, अंजुम इंतजामिया मस्जिद कमेटी के वकीलों ने कहा कि वे इस पर आपत्ति दर्ज कराएंगे.

उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) में 21 वर्ष से कम उम्र के लिव-इन जोड़ों के लिए माता-पिता की सहमति से जिला अधिकारियों के साथ खुद को पंजीकृत (रजिस्टर) करना अनिवार्य कर दिया है. हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, यूसीसी विधेयक में कहा गया है कि दोनों पार्टनरों के साथ रहने आने के एक महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए और ऐसा न करने पर कम से कम तीन से छह महीने की जेल या 25,000 रुपये जुर्माना अथवा दोनों लगाया जा सकता है. इस प्रक्रिया के लिए संबंध में रहने वाले साझेदारों को अपने रहने की स्थिति का विवरण निकटतम रजिस्ट्रार को देना होगा, जो इसकी जांच-पड़ताल करेगा. इसके लिए पूछताछ के दौरान रजिस्ट्रार वेरिफिकेशन के लिए दोनों पार्टनरों को बुला सकता है. इस वेरिफिकेशन के बाद रजिस्ट्रार विवरण जमा करने के 30 दिनों के भीतर, या तो रजिस्ट्रेशन प्रमाणपत्र जारी कर सकता है या रजिस्ट्रेशन से इनकार कर सकता है. इनकार के मामले में अधिकारियों को संबंधित व्यक्तियों को लिखित में इसका कारण बताना होगा.

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दो छात्रों को एक 32 वर्षीय पुरुष डॉक्टर के  कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस मामले के तीन आरोपियों में अंतिम वर्ष के दो छात्र- श्रीमन नारायण शुक्ला और सूरज दुबे शामिल हैं. पुलिस तीसरे व्यक्ति और दो अन्य स्थानीय युवकों की तलाश कर रही है जो कथित तौर पर घटनास्थल पर मौजूद थे. घटना 11 जनवरी को हुई थी लेकिन पीड़ित ने 4 फरवरी को पुलिस में शिकायत की, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई. बताया गया है कि आरोपी और पीड़ित कथित तौर पर दिसंबर 2023 में एलजीबीटीक्यू+समुदाय द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले एक ऐप के जरिये संपर्क में आए थे. पीड़ित डॉक्टर ने दावा किया कि उन्हें एक आरोपी ने मेडिकल इमरजेंसी का दावा करते हुए बुलाया था और कहा था कि उनके रूममेट की हालत बिगड़ रही है. जब डॉक्टर वहां पहुंचे, तो उन्हें कथित तौर पर एक हॉस्टल के कमरे में ले जाया गया, जहां पहले से ही चार लोग मौजूद थे. आरोप है कि उन्होंने डॉक्टर को न केवल निर्वस्त्र कर अप्राकृतिक सेक्स किया गया, बल्कि उनकी सोने की अंगूठी और चेन लूट ली गई. आरोपी ने पूरी घटना की रिकॉर्डिंग भी की और फुटेज को सोशल मीडिया पर अपलोड करने की धमकी देकर डॉक्टर को ब्लैकमेल कर पैसे वसूले. वाराणसी के पुलिस उपायुक्त आरएस गौतम ने कहा है कि गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों ने अपराध कबूल कर लिया है.

मध्य प्रदेश के हरदा में एक पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 11 लोगों की मौत हो गई और 100 अन्य घायल हो गए. एनडीटीवी  अनुसार, घटनास्थल पर भीषण आग के कारण कई विस्फोट हुए, जिससे आसपास के इलाकों में दहशत फैल गई. एक अधिकारी ने बताया कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया है और उनमें से कुछ की हालत गंभीर है. विस्फोटों की तीव्रता इतनी थी कि नर्मदापुरम जिले के निकटवर्ती सिवनी मालवा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि उन्हें झटके महसूस हुए. स्थानीय मीडिया के अनुसार, बचाव कार्य के दौरान भी धमाके हो रहे थे. घटना के एक वीडियो में फैक्ट्री से ऊंची लपटें और धुआं निकलता दिख रहा है और पास की सड़क पर धमाकों की गूंज के बीच लोग डर के मारे भागते नजर आ रहे हैं. बताया गया है कि बचाव अभियान जारी है और एनडीआरएफ को भी बुलाया गया है. आग लगने के बाद भाग निकलने वाले एक फैक्ट्री कर्मचारी ने बताया है कि घटना के समय लगभग 150 कर्मचारी परिसर में थे.

लखनऊ जिला जेल में जेल प्रशासन द्वारा कराए गए मेडिकल टेस्ट के दौरान  कम से कम 63 कैदी एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, जेल अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश संक्रमित कैदियों का ड्रग्स की लत का इतिहास रहा है. उन्होंने दावा किया कि जेल परिसर के बाहर दूषित सीरिंज के इस्तेमाल से कैदी इस वायरस के संपर्क में आए. अधिकारियों का दावा यह भी है कि जेल के अंदर रहने के दौरान कोई भी कैदी इस वायरस की चपेट में नहीं आया और पिछले पांच वर्षों में किसी भी संक्रमित कैदी की मौत नहीं हुई है.