अजीत पवार और एनसीपी के आठ विधायक पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुए थे. कुछ ही समय बाद पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था.
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजीत पवार के गुट को पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ के इस्तेमाल की इजाज़त दे दी है.
रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार (6 फरवरी) को आयोग का आदेश आया है.
अजीत पवार और एनसीपी के आठ विधायक पिछले साल जुलाई में महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हुए थे. कुछ ही समय बाद पवार को उपमुख्यमंत्री बना दिया गया था.
चुनाव आयोग ने पिछले छह महीनों में दोनों गुटों के बीच कानूनी विवाद को लेकर लगभग दस सुनवाई की थी. इसने बुधवार (7 फरवरी) दोपहर 3 बजे तक अजीत पवार गुट को उनके समूह के लिए एक नाम और तीन विकल्प देने को कहा था.
चुनाव आयोग का आदेश एनसीपी के संस्थापक और अजीत के चाचा शरद पवार के लिए एक झटका होगा.
शरद पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने द वायर से कहा कि चुनाव आयोग ने ‘सत्ता में बैठे लोगों के राजनीतिक दबाव में’ एक ‘अनुचित’ आदेश पारित किया है.
देशमुख ने कहा, ‘चुनाव आयोग ने आज अजीत पवार को (पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न) सौंप दिया है. ऐसा ही निर्णय शिवसेना के मामले में भी दिया गया था. सब जानते हैं कि पार्टी किसने बनाई और पार्टी किसकी है. लेकिन सत्ता में बैठे लोगों के राजनीतिक दबाव में चुनाव आयोग ने एक बार फिर अनुचित आदेश पारित किया है. यह एक बार फिर लोकतंत्र की मौत है.’
उन्होंने जोड़ा, ‘कल ही चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह देश में लोकतंत्र की मौत नहीं होने देगा. और आज, महाराष्ट्र में, आपके पास [चुनाव आयोग] द्वारा दिया एक और अनुचित आदेश है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.’
शरद पवार गुट के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि चुनाव आयोग के आदेश से कोई ‘हैरानी’ नहीं हुई.
एएनआई ने उनके हवाले से बताया, ‘शरद पवार एनसीपी के प्रमुख हैं जिसकी मौजूदगी 28 राज्यों में हैं… उनमें से 25 ने शरद पवार का समर्थन किया है. अब सुप्रीम कोर्ट को ही सच बताना होगा.’
महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि चुनाव आयोग का आदेश ‘स्क्रिप्टेड’ था, जो ‘केंद्र सरकार ने इसे दिया था.’ उन्होंने कहा, ‘चुनाव आयोग ने इसे केवल जनता के लिए पढ़कर सुनाया है.’
पटोले ने आगे कहा, ‘कुछ महीने पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया था कि क्षेत्रीय दलों का सफाया होना तय है. और तब से मोदी सरकार- गुप्त एजेंसियों और चुनाव आयोग के साथ मिलकर- एक-एक करके सभी क्षेत्रीय दलों को मिटाने की राह पर है. पहले शिवसेनाऔर अब एनसीपी. दिनदहाड़े लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. मोदी सरकार और चुनाव आयोग न केवल विपक्ष को ख़त्म कर रहे हैं, बल्कि देश में लोकतंत्र को भी ख़त्म कर रहे हैं.’
इससे पहले रविवार (4 फरवरी) को पुणे के बारामती में एक सार्वजनिक रैली में अजीत पवार पर परोक्ष टिप्पणी करते हुए कहा था कि शरद पवार 2024 के आम चुनाव को अपना आखिरी चुनाव बताते हुए भावनात्मक अपील कर रहे थे.
इसके बाद शरद पवार के गुट ने अजीत पवार के बयान का विरोध करते हुए उन पर ‘अमानवीय’ होने और ‘संस्थापक की मृत्यु की प्रार्थना करने’ का आरोप लगाया था.
ज्ञात हो कि 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट के खिलाफ एनसीपी के शरद पवार गुट द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए महाराष्ट्र स्पीकर राहुल नार्वेकर को और समय दिया था. अब स्पीकर को 15 फरवरी 2024 तक का समय मिला है.