द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.
भाजपा शासित उत्तराखंड समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है. अमर उजाला के मुताबिक, विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ, जिसे अब राज्यपाल और राष्ट्रपति के पास जाएगा. सदन की कार्यवाही के बाद मीडिया से बात करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव के समय उनकी पार्टी ने इस कानून को लेकर संकल्प लिया था और इस कदम को आगामी चुनाव के नजरिये से न देखा जाए. विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है. सदन में बिल पेश होने के बाद विपक्ष ने मांग की थी कि इसे पहले विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेजा जाए. विधेयक में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है.
तमिलनाडु की मुख्य विपक्षी पार्टी अन्नाद्रमुक ने लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन से इनकार करते हुए कहा कि उसने भाजपा के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस टिप्पणी के बाद कि ‘भाजपा के दरवाजे अन्नाद्रमुक के लिए खुले हैं’, पार्टी के वरिष्ठ नेता डी. जयकुमार ने बुधवार को कहा कि भाजपा के शीर्ष नेता ने अपनी पार्टी का रुख बता दिया है. जहां तक हमारी पार्टी के रुख की बात है तो भाजपा कभी दोस्त थी. पर अब यह एक ऐसी पार्टी है जिसका हम खुलकर विरोध करते हैं. तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई का नाम लिए बिना अन्नाद्रमुक नेता ने आरोप लगाया कि उन्होंने द्रविड़ दिग्गज सीएन अन्नादुरई और दिवंगत अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे. जयललिता को उन्होंने नीचे दिखाया. उनकी पार्टी के इस बात की निंदा करने के बावजूद ने इन बड़े नेताओं की आलोचना जारी रखी थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक ऋण मामले में चंदा कोचर और उनके पति की गिरफ्तारी को ‘अवैध’ बताया है. रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई और जस्टिस एनआर. बोरकर ने मंगलवार को उसी अदालत के लेकिन एक अन्य पीठ के पिछले आदेश को बरकरार रखा. हाईकोर्ट ने जनवरी 2023 में पारित एक अंतरिम आदेश में दोनों को गिरफ्तारी के तुरंत बाद जमानत दे दी थी. कोचर दंपति को सीबीआई ने दिसंबर 2022 में वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक लोन मामले में गिरफ्तार किया था. कोचर परिवार के अलावा सीबीआई ने मामले में वीडियोकॉन समूह के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को भी गिरफ्तार किया था. उन्हें भी हाईकोर्ट ने जनवरी 2023 में अपने अंतरिम आदेश में जमानत दी थी.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में हिंदुत्ववादियों की काशी-मथुरा की मांग की तरफ इशारा करते हुए कहा कि पांडवों ने कौरवों से सिर्फ पांच गांव मांगे थे लेकिन सैकड़ों वर्षों से यहां की आस्था केवल तीन (अयोध्या, काशी और मथुरा) के लिए बात कर रही है. न्यूज़18 की खबर के अनुसार, उन्होंने कहा कि ‘सदियों तक अयोध्या कुत्सित मंशा के लिए अभिशप्त थी और वह एक सुनियोजित तिरस्कार भी झेलती रही. …अयोध्या के साथ अन्याय हुआ.’ सीएम ने आगे जोड़ा, ‘जब मैं अन्याय की बात करता हूं तो हमें पांच हजार वर्ष पुरानी बात भी याद आने लगती है. उस समय पांडवों के साथ भी अन्याय हुआ था. …यही तो हुआ था अयोध्या के साथ. यही हुआ था काशी के साथ और यही हुआ था मथुरा के साथ भी. यहां की आस्था केवल तीन के लिए बात कर रही है. … वे विशिष्ट स्थल हैं. वे सामान्य नहीं हैं. ईश्वर की धरती हैं लेकिन एक जिद है और इस जिद में जब राजनीतिक तड़का पड़ने लगता है और वोट बैंक बनाने की राजनीति होने लगती है तो वहीं से विवाद की स्थिति खड़ी होने लगती है.’
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि मैला ढोने (मैनुअल स्केवेंजिंग) के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवारों को 20 लाख रुपये अतिरिक्त दिए जाएं. रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने कहा कि जब कोई व्यक्ति कोर्ट में आकर अपने पक्ष में आदेश हासिल कर लेता है, तो यह उम्मीद की जाती है कि सरकार उनके समान स्थिति वाले सभी व्यक्तियों को समान लाभ देगी और उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि यह अदालत उम्मीद करती है कि सरकार मैनुअल स्केवेंजिंग में जान गंवाने वाले व्यक्तियों के परिवार के सदस्यों को कोर्ट जाने के लिए मजबूर करने के बजाय सभी समान व्यक्तियों को 20 लाख रुपये की शेष राशि का भुगतान करेगा. पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने सीवर में होने वाली मौतों के मामलों में मुआवजा राशि 10 लाख रुपये प्रति पीड़ित से बढ़ाकर 30 लाख रुपये कर दी थी. अदालत ने यह भी कहा था कि स्थायी विकलांगता के मामले में मुआवजा राशि 20 लाख रुपये की जानी चाहिए और अन्य प्रकार की विकलांगता के लिए 10 लाख रुपये दिए जाने चाहिए.