चुनाव आयोग ने बीते बुधवार को महाराष्ट्र में आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह को ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ का नाम आवंटित किया है. एक दिन पहले आयोग ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता दी थी.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के रूप में मान्यता देने के एक दिन बाद चुनाव आयोग ने बुधवार (7 फरवरी) को महाराष्ट्र में आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के नेतृत्व वाले समूह को ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार’ का नाम आवंटित किया है.
मूल नाम देने के अलावा चुनाव आयोग ने अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुट को आधिकारिक चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ भी दे दिया था.
शरद पवार गुट को बुधवार शाम 4 बजे तक अपने राजनीतिक समूह के लिए तीन संभावित नाम प्रस्तुत करने के लिए कहने के बाद चुनाव आयोग का यह निर्णय आया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों गुटों के बीच विवाद में अपना अंतिम आदेश पारित करते हुए चुनाव आयोग ने शरद पवार से 27 फरवरी को छह राज्यसभा सीटों के चुनाव में गुट द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नाम के लिए तीन प्राथमिकताओं की एक सूची भेजने के लिए कहा था.
अगर राकांपा प्रमुख का गुट कोई विकल्प देने में विफल रहा होता, तो चुनाव आयोग उसके सभी विधायकों को निर्दलीय मान लेता. इसके बाद समूह ने चुनाव आयोग को वरीयता क्रम में तीन नाम सुझाए थे- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदराव पवार, और एनसीपी-शरद पवार और इसके चुनाव चिह्न के रूप में ‘बरगद के पेड़’ की भी मांग की थी.
आयोग ने महाराष्ट्र में छह राज्यसभा सीटों के चुनाव के प्रयोजनों के लिए एक बार के विकल्प के रूप में पहले नाम को स्वीकार कर लिया.
आयोग के फैसले के बाद अपने सहयोगी अजीत पवार को बधाई देते हुए भाजपा नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि एनसीपी विभाजन पर आयोग का फैसला ‘अपेक्षा के अनुरूप’ था जैसा कि 2017 में समाजवादी पार्टी और 2022 में शिवसेना के साथ हुआ था.
हालांकि, शरद पवार गुट के नेताओं ने आयोग के फैसले की तीखी आलोचना की. शरद पवार के पोते विधायक रोहित पवार ने चुनाव आयोग को ‘भाजपा की एक राजनीतिक शाखा’ करार दिया था.
मालूम हो कि पार्टी में विभाजन 2 जुलाई 2023 को सामने आया था, जब शरद पवार के भतीजे अजीत पवार आठ विधायकों के साथ महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे. महीनों तक चली सुनवाई की श्रृंखला के बाद चुनाव आयोग ने फैसला किया कि अजीत पवार को पार्टी के अधिकांश विधायकों का समर्थन प्राप्त है.
अजीत पवार ने उसी दिन 5वीं बार महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और 1978 में इस पद के गठन के बाद से इस पद पर सबसे अधिक संख्या में नियुक्तियों का रिकॉर्ड बनाया था. वह भाजपा के देवेंद्र फड़नवीस के साथ पद साझा कर रहे हैं, जिनके पास गृह और वित्त सहित अन्य विभागों की भी जिम्मेदारी है.
उनके अलावा आठ अन्य एनसीपी विधायक – छगन भुजबल, राकांपा सुप्रीमो के करीबी विश्वासपात्र माने जाने वाले दिलीप वाल्से-पाटिल, हसन मुश्रीफ, आत्राम धरमरावबाबा भगवंतराव, दिवंगत भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे के भतीजे धनंजय मुंडे, अदिति तटकरे, संजय बंसोडे और अनिल पाटिल – मंत्री बनाया गया था.
बीते 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट के खिलाफ एनसीपी के शरद पवार गुट द्वारा दायर अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को और समय दिया था. अब उन्हें फैसला करने के लिए 15 फरवरी 2024 तक का समय मिला है.
इस बीच नार्वेकर ने कहा है कि एनसीपी विभाजन पर उनका निर्णय, जो अगले सप्ताह आने की उम्मीद है, पूरी तरह से योग्यता पर आधारित होगा और इसका चुनाव के फैसले से कोई संबंध नहीं होगा.