केंद्र पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए केरल सरकार का दिल्ली में विरोध प्रदर्शन

केरल सरकार का समर्थन करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला, डीएमके तथा अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी प्रदर्शन में शामिल हुए थे.

दिल्ली में गुरुवार को आयोजित केरल सरकार के विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर. (फोटो साभार: X/@cpimspeak)

केरल सरकार का समर्थन करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फ़ारूक़ अब्दुल्ला, डीएमके तथा अन्य राजनीतिक दलों के नेता भी प्रदर्शन में शामिल हुए थे.

दिल्ली में गुरुवार को आयोजित केरल सरकार के विरोध प्रदर्शन की एक तस्वीर. (फोटो साभार: X/@cpimspeak)

नई दिल्ली: भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर केरल के साथ भेदभाव करने और गैर-एनडीए राज्यों की अनदेखी करके सहकारी संघवाद को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के नेतृत्व में केरल कैबिनेट ने गुरुवार (8 फरवरी) को दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.

इस मौके पर सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, जम्मू कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और डीएमके तथा अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर केरल सरकार के साथ एकजुटता दिखाई.

संघवाद की रक्षा और संघीय धन वितरण में भेदभाव के खिलाफ किए गए इस विरोध प्रदर्शन में केरल के सत्तारूढ़ दल सीपीआई (एम) के विधायक और सांसद शामिल हुए.

पार्टी कार्यकर्ताओं ने संघवाद के समर्थन में ऐसा ही एक प्रदर्शन पुडुचेरी में भी किया, जिसमें केरल और तमिलनाडु के खिलाफ केंद्र सरकार के भेदभाव की निंदा की गई.

केरल सरकार के इस विरोध प्रदर्शन को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी समर्थन दिया.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इससे पहले बुधवार को विजयन ने नई दिल्ली में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा के विरोध प्रदर्शन से पहले संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि उनकी सरकार ‘राज्यों का अस्तित्व बचाने’ और ‘सभी राज्यों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा’ के लिए दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करेगी.

उन्होंने कहा था, ‘केंद्र सरकार के असंवैधानिक दृष्टिकोण द्वारा उत्पन्न वित्तीय बाधाओं के कारण राज्य में सामाजिक कल्याण और विकास व्यय बाधित हो गया है. इस आंदोलन का उद्देश्य केवल केरल ही नहीं बल्कि सभी राज्यों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है.’

उन्होंने कहा था, ‘इस संघर्ष का उद्देश्य किसी पर जीत पाना नहीं है, बल्कि आत्मसमर्पण करने के बजाय वह हासिल करना है जिसके हम हकदार हैं. हमें विश्वास है कि पूरा देश इस विरोध के समर्थन में केरल के साथ खड़ा होगा.’

वाम दलों ने आप नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत मित्र दलों को आमंत्रित किया था, लेकिन मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा नहीं लिया.

हालांकि, विजयन ने स्पष्ट कर दिया था कि गैर-भाजपा दलों या तथाकथित ‘दक्षिणी गठबंधन’ के एक साथ आने को उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘ जो लोग देश के भविष्य को लेकर चिंतित हैं वे नहीं चाहते कि यह स्थिति जारी रहे. यह पूरे देश से जुड़ा मुद्दा है. यह पंजाब और दिल्ली सहित चिंतित राज्यों का मुद्दा है.’

विजयन ने कहा कि विरोध देश के संघीय ढांचे की रक्षा के लिए है.

उन्होंने कहा, ‘सहकारी संघवाद हमारे देश का प्रकट आदर्श है, फिर भी केंद्र सरकार के हालिया तौर-तरीकों ने इस सिद्धांत को धुंधला कर दिया है. भाजपा 17 राज्यों में स्वतंत्र रूप से या अन्य दलों के साथ गठबंधन में सरकार चलाती है. केंद्र सरकार पूरी तरह से इन 17 राज्यों का पक्ष लेती प्रतीत होती है, जबकि एनडीए के साथ गठबंधन नहीं करने वालों की उपेक्षा करती है.’

यह आरोप लगाते हुए कि केंद्र ने राजकोषीय अनुशासन के लिए असंवैधानिक दृष्टिकोण अपनाया है, विजयन ने कहा, ‘तथ्य यह है कि केंद्र सरकार के पास राज्यों की उधार सीमा निर्धारित करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है. असंवैधानिक और वित्त आयोग की सिफारिशों के विपरीत माने गए इन उपायों को कानूनी प्रक्रिया के अभाव वाली शक्तियों के माध्यम से लागू किया गया है.’

विजयन ने ‘इंडिया’ गठबंधन के बिखरने पर कहा, ‘भाजपा के खिलाफ लड़ाई ‘राज्यवार’ होनी चाहिए, कोई भी पार्टी विपक्षी गठबंधन के स्वामित्व का दावा नहीं कर सकती है.’

उन्होंने ‘इंडिया’ गठबंधन में कांग्रेस के रुख के स्पष्ट संदर्भ में कहा, ‘कोई भी अपना निर्णय दूसरों पर नहीं थोप सकता. अगर हर पार्टी को अपना स्थान मिले, तो मुझे लगता है कि भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी मोर्चा बनाया जा सकता है.’

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