दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक, आम आदमी पार्टी के कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और दिल्ली जल बोर्ड के एक पूर्व सदस्य के परिसरों की तलाशी के अगले दिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा कि एक अयोग्य कंपनी को ठेका देने के लिए दी गई रिश्वत का एक हिस्सा चुनावी फंड के रूप में पार्टी को गया था.
नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सहायक और अन्य के परिसरों की तलाशी के एक दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार (7 फरवरी) को आरोप लगाया कि एक अयोग्य कंपनी को दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) का ठेका देने के लिए दी गई रिश्वत का एक हिस्सा आम आदमी पार्टी (आप) को ‘चुनावी फंड’ के रूप में दिया गया था.
द हिंदू ने अपनी एक रिपोर्ट में इस संबंध में जानकारी दी है.
मंगलवार (6 फरवरी) को ईडी ने केजरीवाल के पीए विभव कुमार, आप कोषाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद एनडी गुप्ता और दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व सदस्य शलभ कुमार के परिसरों की तलाशी ली थी. वाराणसी और चंडीगढ़ में भी कुछ ठिकानों की तलाशी ली गई. यह घटनाक्रम जल बोर्ड के पूर्व मुख्य अभियंता जगदीश कुमार अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल की गिरफ्तारी के कुछ दिनों बाद हुआ.
आम आदमी पार्टी ने आरोपों से इनकार किया है और कहा कि वह मानहानि के लिए ईडी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी.
पार्टी ने एक बयान में कहा, ‘हम दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों या उसके ठेकेदारों द्वारा किए गए किसी भी तरह के गलत काम की निंदा करते हैं, अगर वे सच साबित होते हैं. हम ईडी के इस सरासर झूठे आरोप की भी निंदा करते हैं कि आप या उसके नेताओं का इस मामले से कोई लेना-देना है. जिन आप नेताओं के यहां कल ईडी ने छापा मारा था, उनके पास से एक भी पैसा या सबूत बरामद नहीं हुआ है.’
ईडी की जांच दिल्ली जल बोर्ड के भीतर भ्रष्टाचार की शिकायतों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है. इसमें आरोप लगाया गया था कि जगदीश कुमार अरोड़ा ने एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को 38 करोड़ रुपये का ठेका दिया था, जबकि वह तकनीकी पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करता था.
अपने निष्कर्षों के आधार पर ईडी ने बुधवार को आरोप लगाया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करके अनुबंध हासिल किया था. अरोड़ा कथित तौर पर इस तथ्य से अवगत थे कि कंपनी तकनीकी रूप से बोली के लिए योग्य नहीं थी.
जैसा कि पहले आरोप लगाया गया था, एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर ने अग्रवाल की स्वामित्व वाली कंपनी इंटीग्रल स्क्रूज़ को काम का उप-ठेका दिया. फंड प्राप्त करने के बादअग्रवाल ने कथित तौर पर अरोड़ा को नकदी के रूप में और विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से लगभग 3 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए.
एजेंसी के बयान में कहा गया है, ‘जांच और डिजिटल सबूतों से पता चलता है कि जगदीश कुमार अरोड़ा ने रिश्वत की रकम दिल्ली जल बोर्ड के मामलों के प्रबंधन से जुड़े विभिन्न लोगों को दी, जिनमें आप से जुड़े लोग भी शामिल थे. रिश्वत की रकम आम आदमी पार्टी को भी चुनावी फंड के रूप में दी गई.’
ईडी ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड का ठेका अत्यधिक बढ़ी हुईं दरों पर दिया गया था, ताकि ठेकेदारों से बढ़ी हुई लागत से रिश्वत वसूली जा सके.
इसने कहा, ‘38 करोड़ रुपये के अनुबंध मूल्य के मुकाबले, अनुबंध पर केवल लगभग 17 करोड़ रुपये खर्च किए गए और शेष राशि विभिन्न फर्जी खर्चों की आड़ में गबन कर ली गई. इस तरह के फर्जी खर्चे रिश्वत और चुनावी फंड के लिए दर्ज किए गए थे.’
तलाशी के दौरान ईडी ने 1.97 करोड़ की कीमती चीजों के अलावा कुछ दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य, साथ ही 4 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा भी जब्त की. इसी मामले में ईडी ने पहले 17 नवंबर 2023 और 24 जुलाई 2023 को भी तलाशी ली थी.
ईडी के आरोपों का जवाब देते हुए आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में एजेंसी पर भाजपा के मुखपत्र के रूप में काम करने का आरोप लगाया है.
पार्टी ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि मोदी सरकार हिटलर की विचारधारा में विश्वास रखती है, ‘यदि आप एक झूठ को हजार बार दोहराते हैं, तो लोग उस पर विश्वास करना शुरू कर देंगे’, पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार और उनके ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के ‘मायाजाल’ ने आप नेताओं के खिलाफ 230 से अधिक मामले दर्ज किए हैं. अब तक अदालतों में एक भी साबित नहीं हुआ है.’
पार्टी ने आगे कहा, ‘बिना किसी सबूत के एक बार फिर आप का नाम लेकर ईडी ने साबित कर दिया है कि यह भाजपा के मुखपत्र के अलावा और कुछ नहीं है. हम आप को बदनाम करने के लिए ईडी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे.’
पार्टी ने पूछा, ‘अगर ईडी वास्तव में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए व्याकुल है, तो ऐसा क्यों है कि कैग द्वारा उजागर किए गए मोदी सरकार के घोटालों की कोई जांच नहीं की जा रही है, जैसे कि आयुष्मान भारत घोटाला या भारतमाला परियोजना घोटाला जहां एक किलोमीटर सड़क 18 करोड़ रुपये के बजाय 250 करोड़ रुपये में बनाई गई.’