किसान मज़दूर संघर्ष समिति के बैनर तले 200 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा के एक गुट ने 13 फरवरी को एमएसपी क़ानून और कृषि ऋण माफ़ी समेत विभिन्न मांगों को लेकर 13 फरवरी को दिल्ली कूच का आह्वान किया है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नित्यानंद राय और पीयूष गोयल किसान प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे थे.
चंडीगढ़: आम चुनाव से कुछ समय पहले ‘किसान मजदूर संघर्ष समिति’ (केएमएससी) के बैनर तले 200 किसान संगठनों और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के एक अलग गुट ने 13 फरवरी को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को वैध बनाने और कृषि ऋण माफी सहित उनकी लंबित मांगों पर राष्ट्रीय राजधानी तक मार्च करने का फैसला किया है.
उनकी दिल्ली यात्रा की तैयारी, जो 2020 के किसानों के विरोध प्रदर्शन जैसी हो सकती है के बीच गुरुवार (8 फरवरी) शाम को तीन केंद्रीय मंत्रियों ने चंडीगढ़ में किसानों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. रात में बैठक समाप्त होने के बाद लगभग 10 बजे बैठक के दौरान मौजूद रहे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मीडिया को बताया कि केंद्र सरकार ने 2020 के प्रदर्शन के समय किसानों पर दर्ज मामलों को वापस लेने सहित कई मांगों पर सकारात्मक संकेत दिया है.
एमएसपी कानून पर मान ने कहा कि मंत्रियों ने कोई वादा नहीं किया है, लेकिन सरकार के उच्च अधिकारियों के साथ इस मामले को विस्तार से उठाने का वादा किया है.
उन्होंने कहा कि आगे और बैठकें हो सकती हैं. सरकार की तरफ से कृषि राज्य मंत्री अर्जुन मुंडा, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल किसान प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे थे.
दूसरी ओर, बैठक के दौरान किसानों की ओर से प्रमुख वार्ताकार रहे एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मीडिया को बताया कि बैठक में भले ही सकारात्मक माहौल था, लेकिन 13 फरवरी को दिल्ली कूच का कार्यक्रम टालने की कोई योजना नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय मंत्रियों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही एक और बैठक करेंगे. यह आपसी हित में होगा यदि केंद्र 13 फरवरी से पहले एक और बैठक की योजना बनाए और हमारी मांगों का ठोस समाधान दे. अन्यथा 13 फरवरी को दिल्ली की ओर मार्च करने का हमारा आह्वान कायम रहेगा.’
डल्लेवाल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष रखी गई कई मांगें खुद सरकार के दिए पिछले आश्वासन थे. उदाहरण के लिए, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो वे एमएसपी कानून के प्रबल समर्थक थे. उन्होंने कहा, ‘केंद्र ने हमें 2020 में हुए किसान आंदोलन के समय हुई बातचीत में भी इसका आश्वासन दिया था, लेकिन कभी कुछ ठोस नहीं हुआ.’
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सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ाई गई, किसानों को नोटिस
कई लोगों का मानना है कि तीन केंद्रीय मंत्रियों का बैठक के लिए चंडीगढ़ पहुंचने की वजह आगामी लोकसभा चुनाव हैं. दो महीने से भी कम समय में होने वाले लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार जीत की उम्मीद कर रही सत्तारूढ़ भाजपा 2020 के किसान आंदोलन की पुनरावृत्ति नहीं चाहती.
केंद्र ने कृषि संघों के साथ बातचीत शुरू की है, लेकिन पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से दिल्ली की पहुंचने वाले सभी प्रवेश बिंदुओं पर सुरक्षा कड़ी की जा रही है.
कहा जा रहा है कि सरकार किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आह्वान को टालने के लिए मनाने की पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन अगर उनका कार्यक्रम योजना के मुताबिक जारी रहा तो सरकार किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने के लिए भी कदम उठा रही है.
सूत्रों ने बताया कि आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेताओं की गतिविधियों पर पुलिस कड़ी नजर रख रही है.
अंबाला पुलिस ने पेट्रोल पंप मालिकों को नोटिस जारी कर लोगों को कैन और ड्रम में पेट्रोल-डीजल न देने को कहा है. खास तौर पर उन्हें, जिनके वाहनों पर किसान संघ के झंडे लगे हों.
इस बीच, हरियाणा पुलिस ने अंबाला जिले में भारतीय किसान यूनियन (शहीद भगत सिंह) के लगभग 20 नेताओं को भी नोटिस जारी किया.
नोटिस पाने वाले किसान यूनियन के एक नेता ने बताया कि हरियाणा पुलिस ने उनसे 10 फरवरी से पहले अपने बैंक खातों के बारे में विवरण देने अन्यथा कार्रवाई का सामना करने को कहा था.
इससे पहले, भाकियू (एसबीएस) के प्रवक्ता तेजवीर सिंह अंबाला ने कहा था कि एक तरफ हरियाणा पुलिस किसानों को नोटिस जारी करके निशाना बना रही थी और पेट्रोल पंप मालिकों से उन्हें पेट्रोल-डीजल न देने के लिए कह रही थी, दूसरी तरफ केंद्र सरकार के मंत्री हमारे साथ बैठकें कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि दिल्ली किसानों से डरती है. हम 13 फरवरी को दिल्ली जाएंगे. हमने लड़ाई जीत ली है.’
तेजवीर ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पहला ‘चाय पे चर्चा’ कार्यक्रम महाराष्ट्र के यवतमाल से शुरू किया था और एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, मराठवाड़ा क्षेत्र में किसान आत्महत्याओं की संख्या बढ़ गई है, जो भारत के कृषि संकट की गंभीरता को दिखाता है.
उन्होंने आगे कहा, ‘किसान किसी के लिए परेशानी का सबब नहीं बनना चाहते. हालांकि, अगर 13 फरवरी को आईजीआई एयरपोर्ट या शादियों में जाने वाले लोगों को आने-जाने में परेशानी हुई तो किसान नहीं बल्कि केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी. किसानों को दिल्ली पहुंचने दीजिए, हमें विरोध करने और लोगों को यह बताने का पूरा अधिकार है कि मोदी सरकार किसानों को कैसे बर्बाद कर रही है.’
इसी तरह, राजस्थान के श्री गंगानगर जिले से ग्रामीण किसान मजदूर समिति (जीकेएमएस) के अध्यक्ष रणजीत सिंह राजू ने भी कहा कि मोदी सरकार जानबूझकर किसानों को कर्ज के जाल में धकेल रही है.
उन्होंने कहा, ‘हनुमानगढ़, अनूपगढ़ और श्रीगंगानगर के किसान 13 फरवरी के दिल्ली चलो विरोध के लिए ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे थे. किसी भी किसान के घर में कभी भी गेहूं की कमी नहीं होती. एक किसान को जिंदगी चलाने के लिए शायद ही किसी सुख-सुविधा की जरूरत होती है. हमें गुजारा करने के लिए बस आटा और अचार चाहिए होता है, बाकी चीजें मायने नहीं रखतीं.’
विरोध प्रदर्शन में कौन-कौन शामिल होगा
200 से अधिक किसान संघों ने 13 फरवरी को दिल्ली तक मार्च करने की योजना बनाई है, जिसमें एसकेएम (गैर-राजनीतिक) के लगभग 150 संघ और केएमएससी के बैनर तले लगभग 76 संघ शामिल होंगे.
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) एसकेएम से अलग हुआ गुट है, जिसने 2020 में दिल्ली की सीमाओं पर सालभर के विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मोदी सरकार को तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
2020 के विरोध के बाद एसकेएम की कई यूनियनें अलग-अलग दिशाओं में चली गईं. कुछ ने चुनाव लड़ा और कुछ ने गैर-राजनीतिक बने रहने की प्रतिबद्धता जताई.
एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का जन्म इसी मंथन से हुआ है और उनका दावा है कि पंजाब, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के 150 किसान संघ उसके सदस्य हैं.
दूसरी ओर, केएमएससी का नेतृत्व सरवन सिंह पंढेर कर रहे हैं और उनका दावा है कि उन्हें 50 किसान संघों का समर्थन प्राप्त है.
इस बीच, डॉ. दर्शन पाल, यादविन्द्र यादव और अन्य के नेतृत्व में एसकेएम के दूसरे गुट ने उन्हें ‘दिल्ली चलो’ विरोध आह्वान से अलग कर लिया.
पिछले हफ्ते एक बयान में एसकेएम ने कहा था कि 13 फरवरी को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने के कुछ किसान संगठनों के फैसले से एसकेएम का कोई लेना-देना नहीं है.
जहां एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल और राकेश टिकैत देशभर में 16 फरवरी के ‘ग्रामीण भारत बंद’ के लिए तैयारी कर रहे थे, भाकियू (एकता उगराहां) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उगराहां पहले से ही पंजाब में अलग-अलग विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे.
भारत बंद का आह्वान किसानों, आशा, आंगनवाड़ी और मिडडे मील कर्मियों सहित असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों के लिए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और स्वतंत्र क्षेत्रीय संघों के संयुक्त मंच एसकेएम द्वारा किया गया था.
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