क़तर में क़ैद भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को माफ़ी मिली, सभी की रिहाई के बाद सात देश लौटे

क़तर में एक निजी फर्म के साथ काम कर रहे भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को अगस्त 2022 में हिरासत में लिया गया था. सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि उन्हें रिहा कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि यह निर्णय क़तर के अमीर द्वारा माफ़ी दिए जाने के बाद लिया गया है.

क़तर के अमीर तमीम बिन हम्द अल-थानी. (फोटो साभार: Flickr/Ahmad Thamer Al Kuwari. Public domain)

क़तर में एक निजी फर्म के साथ काम कर रहे भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को अगस्त 2022 में हिरासत में लिया गया था. सोमवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि उन्हें रिहा कर दिया गया है. बताया जा रहा है कि यह निर्णय क़तर के अमीर द्वारा माफ़ी दिए जाने के बाद लिया गया है.

क़तर के अमीर तमीम बिन हम्द अल-थानी. (फोटो साभार: Flickr/Ahmad Thamer Al Kuwari. Public domain)

नई दिल्ली: अगस्त 2022 में क़तर में गिरफ्तार और बाद में मौत की सज़ा पाने वाले आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को अठारह महीने की हिरासत के बाद कतर के अमीर शेख़ तमीम बिन हम्द अल-थानी से मिली माफी के बाद रिहा कर दिया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार, उनकी रिहाई का स्वागत करते हुए विदेश मंत्रालय ने सोमवार सुबह जारी एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है. उनमें से आठ में से सात भारत लौट आए हैं.’

हालांकि स्पष्ट तौर पर कोई विवरण साझा नहीं किया गया है, लेकिन भारत के बयान से ऐसा मालूम चलता है कि संकेत मिलता है कि यह रिहाई कतर के अमीर शेख़ तमीम बिन हम्द अल-थानी द्वारा द्वारा माफ़ करने के फलस्वरूप हुई है. इसने बयान में कहा है, ‘हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं.’

इससे पहले आठ फरवरी को विदेश मंत्रालय की पिछली साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि वे उस समय तक इसी बात पर विचार कर रहे थे कि मौत की सजा को जेल की सजा में बदलने वाले कोर्ट ऑफ अपील के खिलाफ अपील दायर की जाए या नहीं.

ज्ञात हो कि अगस्त 2022 में बिना किसी आरोप के हिरासत में लिए गए पूर्व नौसैनिक निजी फर्म- दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और उससे संबंधित सर्विस दिया करती थी. ख़बरों के अनुसार, उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया था.

26 अक्टूबर को क़तर की एक अदालत ने इन पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई थी. भारत ने फैसले पर हैरानी व्यक्त की थी, लेकिन तब भी उसने कोई टिप्पणी करने से परहेज किया था.

नवंबर 2023 में क़तर की अपीलीय अदालत ने मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ भारत सरकार की अर्ज़ी स्वीकार कर ली थी. अपील अदालत ने 28 दिसंबर को एक फैसले में उनकी मृत्युदंड की सजा को घटाकर अलग-अलग अवधि के कारावास में बदल दिया था.

यह आठ लोग- कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमोडोर अमित नागपाल, कमोडोर पूर्णेंदु तिवारी, कमोडोर सुगुनाकर पकाला, कमोडोर संजीव गुप्ता और नाविक रागेश शामिल हैं. पूर्णेंदु तिवारी को 2019 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया था.