महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने सोमवार सुबह राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने सोशल साइट एक्स पर पोस्ट किया कि उन्होंने विधायक पद छोड़ दिया है. 2008 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले चह्वाण को आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसायटी घोटाले में नाम आने के बाद 2010 में पद छोड़ना पड़ा था.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चह्वाण ने कांग्रेस पार्टी और राज्य विधानसभा के सदस्य का पद छोड़ दिया है. कांग्रेस राज्य समिति के प्रमुख नाना पटोले को लिखे उनके त्याग-पत्र में बस इतना कहा गया है, ‘मैं कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे रहा हूं.’
चह्वाण ने सुबह राज्य विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से मुलाकात की. इसके बाद उन्होंने सोशल साइट एक्स पर पोस्ट किया कि उन्होंने विधायक पद छोड़ दिया है.
उन्होंने लिखा, ‘आज यानी सोमवार, 12 फरवरी, 2024 को मैंने विधानसभा अध्यक्ष राहुलजी नार्वेकर को भोकर विधानसभा क्षेत्र से विधानसभा सदस्य (एमएलए) के रूप में अपना इस्तीफा सौंप दिया है.’
आज सोमवार, दि. १२ फेब्रुवारी २०२४ रोजी मी ८५-भोकर विधानसभा मतदारसंघाच्या सदस्यत्वाचा राजीनामा विधानसभा अध्यक्ष राहुलजी नार्वेकर यांच्याकडे दिला आहे.
Today i.e. on Monday, February 12, 2024, I have tendered my resignation as Member of Legislative Assembly (MLA) from 85-Bhokar…— Ashok Chavan (@AshokChavanINC) February 12, 2024
एनडीटीवी के अनुसार, पत्रकारों से बात करते हुए चह्वाण ने कहा कि उन्होंने किसी अन्य पार्टी में शामिल होने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है.
उन्होंने कहा, ‘मैं अगले कुछ दिनों में फैसला लूंगा. मैंने अभी तक किसी भी पार्टी से बात नहीं की है.’ हालांकि, उन्होंने बताया कि वह महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन के भीतर सीट-बंटवारे को अंतिम रूप देने में देरी से परेशान थे, जबकि चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं.
महा विकास अघाड़ी में शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट, राकांपा का शरद पवार खेमा और कांग्रेस शामिल हैं.
कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, उम्मीदवारों के चयन पर राज्य पार्टी प्रमुख नाना पटोले के साथ चह्वाण के मतभेदों ने उनके पाला बदलने के फैसले में प्रमुख भूमिका निभाई होगी.
चह्वाण के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, ‘जब मित्र और सहकर्मी उस राजनीतिक दल को छोड़ देते हैं, जिसने उन्हें बहुत कुछ दिया है – शायद उससे भी अधिक जिसके वे हकदार थे – तो यह हमेशा पीड़ा का विषय होता है. लेकिन जो लोग असुरक्षित हैं, उनके लिए वह वॉशिंग मशीन हमेशा वैचारिक प्रतिबद्धता या व्यक्तिगत वफादारी से अधिक आकर्षक साबित होगी.’
When friends and colleagues leave a political party that has given them much—perhaps much more they deserved—it is always a matter of anguish. But to those who are vulnerable, THAT Washing Machine will always prove more attractive than ideological commitment or personal…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 12, 2024
उन्होंने कहा, ‘इन विश्वासघातियों को यह एहसास नहीं है कि उनके बाहर निकलने से उन लोगों के लिए बड़े पैमाने पर नए अवसर खुलेंगे जिनके विकास को उन्होंने हमेशा रोका है.’
‘वॉशिंग मशीन’ एक बार-बार दोहराया जाने वाला संदर्भ है, जिसका उपयोग कांग्रेस भाजपा पर विपक्षी नेताओं के खिलाफ आपराधिक जांच को रोकने का आरोप लगाने के लिए करती है, जो उनके पक्ष में चले जाते हैं.
ऐसी अटकलें हैं कि वह आज देर रात भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे.
राज्यसभा सांसद और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) नेता संजय राउत ने एक्स पर लिखा कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा है कि चह्वाण ने कांग्रेस छोड़ दी है.
उन्होंने कहा, ‘वह कल तक यहीं थे और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे. और आज उन्होंने पार्टी छोड़ दी है. क्या एकनाथ शिंदे और अजीत पवार की तरह अब चह्वाण भी पार्टी चुनाव चिह्न पर दावा करेंगे? इस देश में कुछ भी संभव है.’
एनसीपी (शरद पवार गुट) के विधायक रोहित पवार ने कहा, ‘उस समय जब एक विचारधारा के लिए लड़ने की वास्तविक आवश्यकता है, वरिष्ठ नेता (चह्वाण) अपने पूरे जीवन में उसी राजनीतिक विचारधारा को त्याग रहे हैं और भाजपा से हाथ मिला रहे हैं. यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है.’
पवार ने कहा, ‘चूंकि पार्टियों को तोड़ने की यह कोशिश जारी रहेगी, इसलिए पहचान और विचारधारा की असली लड़ाई आम लोगों को लड़नी होगी और लोग इसके लिए तैयार हैं.’
2008 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले अशोक चह्वाण को आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसायटी घोटाले में नाम आने के बाद 2010 में पद छोड़ना पड़ा था.
वह राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री शंकरराव चह्वाण के बेटे हैं.
चह्वाण ने 2014 और 2019 के बीच लोकसभा में अपने गृहनगर और गढ़ नांदेड़ का भी प्रतिनिधित्व किया है. 2014 के चुनावों में वह महाराष्ट्र में सीट जीतने वाले केवल दो कांग्रेस नेताओं में से थे. 2015 में उन्हें कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. हालांकि, 2019 में वह नांदेड़ में बीजेपी से हार गए थे.