केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक विफल होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (ग़ैर-राजनीतिक) और किसान मज़दूर संघर्ष समिति फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने और कृषि ऋण माफ़ी समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे चरण का नेतृत्व कर रहे हैं.
नई दिल्ली: बीते सोमवार (12 फरवरी) को केंद्रीय मंत्रियों और किसानों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आम सहमति बनाने में विफल रहने के बाद किसान नेताओं ने मंगलवार (13 फरवरी) को ‘दिल्ली चलो’ मार्च शुरू कर दिया.
भारत के विभिन्न हिस्सों से आए हजारों किसानों ने हरियाणा और दिल्ली में पुलिस की व्यापक तैयारियों के बीच मंगलवार को ‘दिल्ली चलो’ मार्च के रूप में यह विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. इसके मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर धारा 144 लागू करने के साथ व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की गई है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली जा रहे किसानों की शंभू (हरियाणा-पंजाब) सीमा पर पुलिस के साथ झड़प के बाद दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को टिकरी सीमा सील कर दी.
दोनों कैरिजवे पर पांच फीट लंबे सीमेंट ब्लॉकों के साथ-साथ मल्टी-लेयर बैरिकेड्स के साथ आवाजाही को अवरुद्ध करके सीमा को बंद कर दिया गया था. दिल्ली पुलिस ने टिकरी मेट्रो स्टेशन के पास राजमार्ग को जोड़ने वाली आसपास की सड़कों और गांवों के सभी प्रवेश और निकास बिंदुओं को भी बंद कर दिया.
हालांकि, ग्रीन लाइन पर मेट्रो सेवाएं अभी भी आवागमन के उद्देश्य से काम कर रही हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि जब किसानों के मार्च में शामिल युवाओं के एक समूह ने अंबाला में शंभू सीमा पर लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की तो हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले फेंके. किसानों को तितर-बितर करने के लिए शंभू सीमा पर ड्रोन सहित कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि शंभू सीमा के पास भी कुछ किसानों को हिरासत में लिया गया है. पंजाब और हरियाणा सीमा पर कई स्थानों पर वाटर कैनन सहित दंगा नियंत्रण वाहन भी तैनात किए गए हैं.
पुलिस ने सबसे पहले आंसू गैस का इस्तेमाल तब किया, जब किसानों ने शंभू सीमा पर लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने और घग्गर नदी पुल से फेंकने की कोशिश की.
पंजाब से दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों को आंसू गैस के गोले और पानी की बौछारों का सामना करना पड़ा, क्योंकि पुलिस ने बड़े समूहों को जींद जिले में खनौरी सीमा के माध्यम से हरियाणा में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की.
#WATCH | Haryana: Concrete slabs, iron nails, barricades, barbed wires, police and paramilitary personnel deployed in Haryana's Jind as a measure to maintain law and order in view of farmers 'Delhi Chalo' march pic.twitter.com/GNFrVaoxIy
— ANI (@ANI) February 13, 2024
VIDEO | Visuals from Punjab-Haryana Shambhu Border where farmers, who have gathered in large numbers for the Delhi Chalo protest march, have been stopped by police. pic.twitter.com/XBaBWQpQXp
— Press Trust of India (@PTI_News) February 13, 2024
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार शाम के लिए प्रदर्शन पर अस्थायी विराम की घोषणा करते हुए किसान नेताओं ने आगे की चर्चा को बुधवार सुबह तक के लिए स्थगित करने के अपने फैसले से अवगत कराया.
किसान नेताओं ने कहा, हमारे लगभग 60 लोगों को चोटें आई हैं. सरकार हम पर आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों से हमला करके हमें उकसा रही है.
एमएसपी क़ानून जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता: कृषि मंत्री
केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाला कानून सभी हितधारकों से परामर्श किए बिना जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता है और उन्होंने प्रदर्शनकारी किसान समूहों से इस मुद्दे पर सरकार के साथ एक संरचित चर्चा करने का आग्रह किया.
मुंडा ने प्रदर्शनकारी किसानों को कुछ तत्वों के बारे में ‘जागरूक और सतर्क’ रहने के लिए आगाह किया, जो राजनीतिक लाभ के लिए उनके विरोध को बदनाम कर सकते हैं.
उन्होंने कहा, दो दौर की चर्चा में हम उनकी कई मांगों पर सहमत हुए हैं, लेकिन कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई. बातचीत अभी भी जारी है.’
हाईकोर्ट ने राज्यों में किसानों के प्रदर्शन की अनुमति दी
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्यों में किसानों के विरोध प्रदर्शन की अनुमति देते हुए कहा कि भारत के नागरिक के रूप में, ‘उन्हें बढ़ने का अधिकार है’.
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मंगलवार को पंजाब और हरियाणा राज्यों से दिल्ली पहुंचे आंदोलन से संबंधित दो जनहित याचिकाओं (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य सरकारों को अपने नागरिकों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करनी चाहिए और उन्हें होने वाली किसी भी असुविधा को रोकने के लिए उपाय करना चाहिए.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और जस्टिस लपीता बनर्जी की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रदर्शनकारियों को राज्य में प्रवेश करने और दिल्ली की ओर बढ़ने से रोकने के लिए अपनी सीमाओं को सील करने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी.
दूसरी जनहित याचिका प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने अवैध रूप से राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया था.
हाईकोर्ट ने राज्यों को एक नोटिस जारी किया, जिसमें पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया. अदालत ने कहा कि वह ‘संबंधित पक्षों को बैठकर समस्या सुलझाने के लिए कहकर विवाद को सुलझाने के पक्ष में है.’
अगली सुनवाई 15 फरवरी को है.
लंबा प्रदर्शन करने की तैयारी
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की ओर मार्च कर रहे हजारों किसानों का कहना है कि वे लंबा प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं. उनके पास महीनों तक चलने वाला पर्याप्त राशन और डीजल है, क्योंकि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाएं सील कर दी गई हैं.
ताजा विरोध उनके 2020 के विरोध प्रदर्शन का अगला कदम है, जिसमें उन्होंने 13 महीने तक सीमा बिंदुओं पर डेरा डाला था, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार को तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेना पड़ा था.
केंद्र ने 9 दिसंबर 2021 को उनकी अन्य लंबित मांगों पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की थी. उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक साल से अधिक समय से चल रहे उनके आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की थी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों ने मंगलवार सुबह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब से अपना मार्च शुरू किया है. किसानों ने कहा कि धैर्य की परीक्षा उन्हें तब तक अपना प्रदर्शन जारी रखने से नहीं रोकेगी, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.
पंजाब के गुरदासपुर से विरोध प्रदर्शन में शामिल किसान हरभजन सिंह अपने ट्रैक्टर पर सामान से भरी दो ट्रॉलियां खींचकर दिल्ली जा रहे हैं.
एनडीटीवी से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘सुई से लेकर हथौड़े तक हमारी ट्रॉलियों में वह सब कुछ है, जो हमें चाहिए, जिसमें पत्थर तोड़ने के उपकरण भी शामिल हैं. हम अपने साथ छह महीने का राशन लेकर अपने गांव से निकले है. हमारे पास पर्याप्त डीजल, यहां तक कि हरियाणा के अपने भाइयों के लिए भी है.’
किसान आरोप लगा रहे हैं कि ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों का उपयोग करके उनके मार्च को विफल करने के लिए उन्हें डीजल उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. सिंह ने कहा कि वह 2020 के किसानों के विरोध का हिस्सा थे. वे इस बार तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं.
उन्होंने कहा, ‘पिछली बार हम 13 महीने तक नहीं झुके. हमसे वादा किया गया था कि हमारी मांगें पूरी की जाएंगी, लेकिन सरकार ने अपना वादा नहीं निभाया. इस बार हम अपनी सभी मांगें पूरी होने के बाद ही वहां से हटेंगे.’
दिल्ली में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए
कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिल्ली पुलिस ने धारा 144 लागू की है, जो ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बड़ी सभाओं के प्रवेश पर रोक लगाती है.
एनडीटीवी के अनुसार, किसानों को शहर में प्रवेश करने से रोकने के लिए दिल्ली की किलेबंदी कर दी गई है. प्रमुख सीमा बिंदुओं – गाजीपुर, टिकरी और सिंघू – पर बैरिकेडिंग कर दी गई है. सीमा बिंदुओं पर मल्टी-लेयर बैरिकेड्स, कंक्रीट ब्लॉक, लोहे की कीलें और कंटेनरों की दीवारों के साथ सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
इसके अलावा ट्रैक्टरों और ट्रॉलियों को शहर में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर कंक्रीट के ब्लॉक और कीलें लगाई गई हैं. पुलिस ने पूरे शहर में सार्वजनिक समारोहों पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया है. कई मार्ग परिवर्तन और पुलिस जांच चौकियों के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों से भारी यातायात जाम की सूचना मिली है.
केंद्रीय मंत्रियों के साथ सोमवार को बैठक विफल होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत अन्य मांगों को लेकर किसानों के विरोध प्रदर्शन के दूसरे चरण का नेतृत्व कर रहे हैं.
किसानों ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, बिजली अधिनियम 2020 को निरस्त करने और उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को मुआवजा देने की मांग भी की है.
द मिंट के अनुसार, नेताओं ने दावा किया है कि 200 से अधिक संगठनों के किसान इसमें शामिल होंगे और राष्ट्रीय राजधानी में इकट्ठा होंगे. उन्होंने दावा किया है कि किसान भारत के सभी हिस्सों से आते हैं, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, 90% से अधिक किसान हरियाणा और दिल्ली से होने की उम्मीद है.
दिल्ली और हरियाणा में प्रशासन किसानों के विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने के लिए विस्तृत प्रावधान कर रहा है.
दिल्ली सीमा सहित विभिन्न स्थानों पर धारा 144 लागू है और पुलिस ने किसान समूहों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने का प्रयास करने पर सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है.
पुलिस ने कई स्थानों पर मजबूत बैरिकेड्स और बाड़ लगा दी है और किसी भी अप्रिय घटना के लिए तैयार रहने के लिए अपने आंसू गैस के गोले का परीक्षण भी कर रही है. इस बीच पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर प्रदर्शनकारी किसानों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े हैं.
#WATCH | Police fire tear gas to disperse protesting farmers at Punjab-Haryana Shambhu border.
The protesters are demanding a law guaranteeing MSP for crops. pic.twitter.com/TRCI8gZ2M9
— ANI (@ANI) February 13, 2024
इस प्रदर्शन के मद्देनजर बवाना स्टेडियम को जेल बनाने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को दिल्ली सरकार ने खारिज कर दिया है. केंद्र के प्रस्ताव पर दिल्ली सरकार के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, ‘किसानों की मांगें वास्तविक हैं. शांतिपूर्ण विरोध करना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, इसलिए किसानों को गिरफ्तार करना गलत है.’
Delhi Government rejects the central government's proposal to convert Bawana Stadium into a jail in view of the farmers' march to Delhi today.
On the Centre's proposal, Delhi Government Home Minister Kailash Gehlot says "The demands of the farmers are genuine. It is the… pic.twitter.com/dxjvYTrKbq
— ANI (@ANI) February 13, 2024
समाधान खोजने की पूरी कोशिश की गई: किसान मज़दूर संघर्ष समिति
पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति की ओर से कहा गया है कि सरकार के साथ टकराव से बचने के लिए समाधान खोजने की पूरी कोशिश की गई है.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम पूरे भारत के सामने अपना विचार रखना चाहते हैं कि हमने कल (सोमवार) की बैठक में किसी तरह का निर्णय लेने की पूरी कोशिश की, ताकि हम सरकार के साथ टकराव से बच सकें और हमें वह मिल सके जिसकी हमें उम्मीद थी. हम केवल आशा और विश्वास कर सकते हैं. ऐसा करने के बाद हम 5 घंटे तक मीटिंग में बैठे रहे.’
किसान नेता पंढेर ने मंगलवार को विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर पंजाब और हरियाणा की सीमाओं पर भारी बैरिकेडिंग की निंदा करते हुए कहा कि राज्य की सीमाओं को ‘अंतरराष्ट्रीय सीमाओं’ में बदल दिया गया है. उन्होंने मनोहर लाल खट्टर सरकार पर हरियाणा में किसानों को परेशान करने का भी आरोप लगाया.
पंधेर ने कहा है, ‘कांग्रेस पार्टी हमारा समर्थन नहीं करती है. हम कांग्रेस को भी उतना ही जिम्मेदार मानते हैं, जितना बीजेपी को. ये कानून कांग्रेस ही लेकर आई है. हम किसी के पक्ष में नहीं हैं, हम किसानों की आवाज उठाते हैं.’
#WATCH: Fatehgarh Sahib: Punjab Kisan Mazdoor Sangharsh Committee General Secretary Sarwan Singh Pandher says "…Congress party does not support us, we consider Congress equally responsible as much as the BJP. These laws were brought by Congress itself…We are not in favour of… pic.twitter.com/N0SBK4mXBI
— ANI (@ANI) February 13, 2024
किसानों के मार्च पर मंगलवार सुबह केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, ‘हमें किसानों के हितों की परवाह है. अगर कोई इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है तो यह हमारी चिंता नहीं है. हम हमेशा बातचीत और चर्चा के लिए तैयार रहे हैं और इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए हरसंभव प्रयास करने को तैयार हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यह मुद्दा राज्य सरकारों से भी जुड़ा है. हमें इस मुद्दे को समझने और इसे हल करने का तरीका ढूंढने के लिए समय चाहिए.’
#WATCH | On farmers' march, Union Minister Arjun Munda says "We care about the interests of the farmers. It is not our concern if someone is doing politics over this issue. We have always been ready for talks and discussions and we are ready to do everything possible to find a… pic.twitter.com/8Dh2ajhDhk
— ANI (@ANI) February 13, 2024
मुंडा ने कहा, ‘परामर्श की जरूरत होगी. हमें राज्यों के साथ इस पर चर्चा करने की जरूरत है. हमें चर्चा के लिए एक मंच तैयार करने और समाधान खोजने की जरूरत है. भारत सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए बाध्य है. इससे (विरोध प्रदर्शन) जनता को असुविधा नहीं होनी चाहिए. किसान यूनियन को यह समझने की जरूरत है.’
द वायर की एक रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा सोमवार को किसानों के साथ करीब पांच घंटे तक चली बैठक का हिस्सा थे.
बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के संयोजक जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मीडिया से कहा था कि सरकार उनकी किसी भी मांग को लेकर गंभीर नहीं है. इन मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को वैध बनाना, 2020 के कृषि विरोध के दौरान दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेना, कृषि ऋण माफी और कई अन्य मुद्दे शामिल हैं.
उन्होंने कहा था, ‘कुछ सकारात्मक नतीजे की हमारी उम्मीद के बावजूद वे (सरकार) कुछ समितियां बनाकर मामले को लंबा खींचने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए हमने योजना के अनुसार कल (मंगलवार) सुबह 10 बजे दिल्ली की ओर मार्च करने का फैसला किया है.’