बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया. इस दौरान राजद नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि ‘बिना किसी वैध कारण के’ साथ छोड़ने के नीतीश कुमार के क़दम से महागठबंधन आश्चर्यचकित और निराश है.
नई दिल्ली: बीते सोमवार (12 फरवरी) को राज्य विधानसभा में बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने नीतीश पर बार-बार कटाक्ष किया. तेजस्वी ने नीतीश के बार-बार पाला बदलने, महागठबंधन (महागठबंधन) से एनडीए में जाने के अलावा उनके ‘वैचारिक ढुलमुलपन’ को लेकर उनकी आलोचना की.
सदन में नीतीश सरकार द्वारा पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव पर बहस में भाग लेते हुए तेजस्वी ने पिछली नीतीश के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के 17 महीने के कार्यकाल के दौरान बड़े पैमाने पर नियुक्तियों के लिए रास्ता साफ करने का श्रेय लिया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तेजस्वी ने नए उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा पर भी निशाना साधा. उन्होंने सम्राट को जदयू प्रमुख नीतीश के खिलाफ उनके हमलों की याद दिलाते हुए उनसे अपनी पगड़ी उतारने के लिए कहा, जिसे उन्होंने एक बार नीतीश के मुख्यमंत्री बनने के बाद ही हटाने की कसम खाई थी.
उन्होंने विजय कुमार सिन्हा से यह पूछा कि क्या उन्होंने कभी सोचा था कि नीतीश के यू-टर्न के बाद वह तीन साल के भीतर विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता और वर्तमान में डिप्टी सीएम बन सकते हैं.
बिना किसी विद्वेष के नीतीश पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा, ‘मैं आपका बहुत सम्मान करता हूं और आगे भी ऐसा ही करता रहूंगा. मैं सदैव आपको अपने दशरथ के समान मानता हूं. मैं आपके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करता हूं. मेरी आपको सलाह है कि आपको अपनी कैकेयी को पहचानना होगा. दशरथ ने राम को वनवास दे दिया था, लेकिन मैं निर्वासन नहीं बल्कि लोगों के पास जाने का अवसर चाह रहा हूं. मुझे आश्चर्य है कि आप अपने नवीनतम बदलाव को कैसे उचित ठहराएंगे.’
जब एक एनडीए विधायक ने उन्हें टोका कि राजद लोगों को क्या बताएगा, तो तेजस्वी ने कहा, ‘मैं उन्हें बताऊंगा कि कैसे मैंने उन्हें राजद (पिछली महागठबंधन सरकार में) के तहत विभागों में बहुत सारी नौकरियां दी थीं. हमने साबित कर दिया कि कैसे एक विभाग (शिक्षा) 17 महीनों में दो लाख से अधिक नौकरियां दे सकता है, यह उपलब्धि किसी भी सरकार ने हासिल नहीं की.’
उन्होंने दावा किया कि मुख्यमंत्री नीतीश और तत्कालीन वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने वित्त सचिव एस. सिद्धार्थ को यह समझाने के लिए उनके पास भेजा था कि सरकार के पास सामूहिक नियुक्तियां शुरू करने के लिए पैसे नहीं हैं.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन मैंने स्पष्ट शब्दों में जोर देकर कहा कि यह करना ही होगा और यह किया गया. यह तब था जब मुख्यमंत्री ने 2020 के विधानसभा अभियान भाषण के दौरान कहा था कि क्या मुझे अपने पिता (राजद प्रमुख लालू प्रसाद) से बड़े पैमाने पर नियुक्तियों के लिए पैसे मिलेंगे. मैं श्रेय क्यों लूं. मैं भाजपा से भी पूछता हूं कि जब नीतीश आपको आपके काम का श्रेय देने से इनकार करेंगे तो वे क्या करेंगे.’
हाल ही में भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत कर्पूरी ठाकुर पर तेजस्वी ने नीतीश से कहा, ‘लेकिन मैं आपको यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि यह जनसंघ (भाजपा का पूर्ववर्ती अवतार) था, जिसने 1979 में ओबीसी और ईबीसी के लिए कोटा लाने के लिए कर्पूरी को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था. लेकिन अब आप भाजपा में शामिल हो गए हैं, जिसके लिए भारत रत्न सम्मान नहीं बल्कि सौदा और वोट की राजनीति है.’
‘मोदी की गारंटी’ की बात को लेकर भाजपा पर कटाक्ष करते हुए तेजस्वी ने पूछा, ‘क्या पीएम मोदी गारंटी दे सकते हैं कि नीतीश कुमार एक और यू-टर्न नहीं लेंगे?’
उन्होंने नीतीश को यह भी याद दिलाया कि कैसे उन्होंने अगस्त 2022 में भाजपा से नाता तोड़ लिया था और आरोप लगाया था कि वह ‘जदयू को विभाजित करने’ की कोशिश कर रहे थे.
तेजस्वी ने कहा, ‘बिना किसी वैध कारण के’ साथ छोड़ने के नीतीश के कदम से महागठबंधन आश्चर्यचकित और निराश है. उन्होंने कहा, ‘आपने (नीतीश) यह भी कहा था कि आप पीएम नहीं बनना चाहते हैं और सिर्फ भाजपा के खिलाफ विपक्ष को मजबूत करना चाहते हैं.’
मालूम हो कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत जीत लिया. कुछ हफ्तों के नाटकीय घटनाक्रम के बाद उन्होंने राजद का साथ छोड़कर भाजपा से गठबंधन कर रिकॉर्ड नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
विपक्ष (राजद, कांग्रेस और लेफ्ट) के बहिर्गमन के बाद 243 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन को 129 वोट मिले, जबकि विपक्षी राजद के तीन सदस्यों ने भी सरकार के साथ मतदान किया.