बीते 10 फरवरी को लिखे अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान पश्चिम बंगाल में मनरेगा श्रमिकों की ‘विनाशकारी दुर्दशा’ की ओर आकर्षित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मार्च 2022 से राज्य को केंद्रीय धनराशि बंद होने के कारण मनरेगा के तहत काम और मज़दूरी से लाखों लोगों को काम से वंचित कर दिया गया है.
नई दिल्ली: मनरेगा मजदूरी के भुगतान को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान में पड़ते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर लंबित फंड के भुगतान के लिए धन जारी करने की सुविधा देने को कहा है.
राहुल का पत्र बनर्जी की उस घोषणा के कुछ दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) राज्य में आगामी लोकसभा चुनाव विपक्ष के ‘इंडिया गठबंधन’ के हिस्से के रूप में नहीं, बल्कि अकेले लड़ेगी.
राहुल का पत्र एक तरह से ममता बनर्जी के इस आरोप को सही ठहराता है कि केंद्र राज्य के मनरेगा श्रमिकों को लंबित वेतन के भुगतान के लिए धन जारी नहीं कर रहा है. कांग्रेस भी अकसर यह आरोप लगाती रहती है कि भाजपा सरकार विपक्ष शासित राज्यों के साथ भेदभाव कर रही है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके पूरे मंत्रिमंडल के साथ-साथ कांग्रेस के विधायकों और सांसदों ने केंद्र सरकार पर राज्य के साथ ‘अन्याय’ करने का आरोप लगाते हुए पिछले हफ्ते जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन भी किया था.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीते 10 फरवरी को लिखे अपने पत्र में प्रधानमंत्री का ध्यान बंगाल में मनरेगा श्रमिकों की ‘विनाशकारी दुर्दशा’ की ओर आकर्षित करते हुए राहुल ने कहा कि मार्च 2022 से पश्चिम बंगाल को केंद्रीय धनराशि बंद होने के कारण मनरेगा के तहत काम और मजदूरी से लाखों लोगों को काम से वंचित कर दिया गया है.
पिछले महीने बंगाल में अपनी यात्रा के दौरान मनरेगा श्रमिकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ हुई बैठक के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे बताया गया कि धन की कमी के कारण कई श्रमिकों को 2021 में पूरे किए गए काम के लिए भुगतान नहीं किया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘इसके अलावा काम का लाभ उठाने वाले परिवारों की संख्या में भारी गिरावट आई है, जो 2021-22 में 75 लाख से घटकर 2023-24 में 8,000 से कम हो गई है. बड़े पैमाने पर की गई यह कटौती सबसे कमज़ोर – महिलाओं, और एससी और एसटी – परिवारों को प्रभावित किया.’
उन्होंने कहा, ‘मनरेगा में काम की कमी और लंबित वेतन ने कई लोगों को कठिन विकल्प चुनने के लिए मजबूर किया है, विशेष रूप से संकटपूर्ण प्रवासन के लिए बाध्य होना पड़ा.’
इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत राज्य को बकाया भुगतान न करने को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र के खिलाफ कोलकाता में धरना दिया था. इसके बाद उन्होंने घोषणा की थी कि उनकी सरकार 21 लाख मनरेगा श्रमिकों को भुगतान करेगी.