चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का अधिकार प्रधानमंत्री को देने वाले क़ानून पर रोक से कोर्ट का इनकार

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 में प्रावधान है कि राराष्ट्रपति एक चयन समिति की सिफारिश पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री तथा विपक्ष के नेता इसके सदस्य होंगे.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति एक चयन समिति की सिफारिश पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. चयन समिति के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री तथा विपक्ष के नेता इसके सदस्य होंगे.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम-2023 के तहत एक धारा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है, जिसके अनुसार प्रधानमंत्री, एक केंद्रीय मंत्री और विपक्ष के नेता की अध्यक्षता वाली एक चयन समिति मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति करेगी.

अधिनियम की धारा 7 के अनुसार, राष्ट्रपति एक चयन समिति की सिफारिश पर सीईसी और ईसी की नियुक्ति करेंगे. प्रधानमंत्री समिति के अध्यक्ष होंगे, प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री और विपक्ष के नेता इसके सदस्य होंगे.

यह धारा मार्च 2022 में शीर्ष अदालत की पांच न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के खिलाफ है, जिसने केंद्र सरकार द्वारा लाई गई व्यवस्था को अस्वीकार कर दिया था और सुझाव दिया था कि चयन समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) शामिल हों. इसका उद्देश्य देश में चुनाव कराने वाले शीर्ष अधिकारियों की नियुक्ति को प्रभावित करने से तत्कालीन सरकार को रोकना था.

हालांकि, 13 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने चयन समिति की वैधता को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर सुनवाई करते हुए कानून के क्रियान्वयन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता ने एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई इसी मुद्दे पर अन्य याचिकाओं के साथ अप्रैल में सूचीबद्ध की है.

एडीआर की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि यह धारा पांच-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले का उल्लंघन है. चूंकि दो चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इसलिए अगर कानून के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई गई तो याचिका निरर्थक हो जाएगी.

हालांकि, जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘यह ऐसा मामला नहीं है जिसे इस तरह तय किया जा सकता है. संसद के किसी कानून पर इस तरह रोक नहीं लगाई जा सकती. हमें न्यायिक समीक्षा की शक्ति के संदर्भ में इस मुद्दे की जांच करनी होगी. हम इस याचिका पर इस मुद्दे पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई करेंगे.’

12 जनवरी को कांग्रेस सदस्य जया ठाकुर द्वारा दायर एक याचिका, जिसमें कहा गया था कि अधिनियम की धारा 7 और 8 सीईसी और ईसी की नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र तंत्र प्रदान नहीं करती हैं, पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया था.

जस्टिस खन्ना ने कहा था कि हम वैधानिक संशोधन पर रोक नहीं लगा सकते. जारी नोटिस की अवधि अप्रैल 2024 है.

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