मीरा रोड हिंसा: भाजपा विधायक नितेश राणे ने कमिश्नर कार्यालय में बैठकर सांप्रदायिक बयान दिया था

मुंबई के मीरा रोड स्थित नयानगर इलाके में 21 जनवरी की रात सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसके बाद भाजपा विधायक नितेश राणे ने 23 जनवरी को क्षेत्र का दौरा किया. दौरे के बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को खुली धमकी दी. कुछ ही घंटों बाद ही इलाके में दूसरे दौर की हिंसा भड़क उठी थी.

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पुलिस कमिश्नर कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते नितेश राणे.

मुंबई के मीरा रोड स्थित नयानगर इलाके में 21 जनवरी की रात सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसके बाद भाजपा विधायक नितेश राणे ने 23 जनवरी को क्षेत्र का दौरा किया. दौरे के बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर कार्यालय में बैठकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को खुली धमकी दी. कुछ ही घंटों बाद ही इलाके में दूसरे दौर की हिंसा भड़क उठी थी.

पुलिस कमिश्नर कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते नितेश राणे.

मुंबई: 23 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक नितेश राणे ने मुंबई के उत्तर में स्थित मीरा रोड का दौरा किया. उनका यह दौरा 21 जनवरी की रात को मीरा रोड के नयानगर इलाके में भड़की हिंसा के आलोक में था. कथित तौर पर मुस्लिम युवकों के एक समूह ने हिंदू युवकों के साथ उनके द्वारा देर रात मुस्लिम इलाके में हॉर्न, तेज संगीत बजाने और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने के बाद मारपीट की थी.

क्षेत्र की विधायक गीता जैन और कई अन्य भाजपा सदस्यों के साथ राणे ने मीरा भायंदर क्षेत्र के पुलिस कमिश्नर से मुलाकात की. इसके तुरंत बाद उन्होंने प्रेस को संबोधित किया.

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भाजपा के प्रतिनिधि राणे ने मुस्लिम समुदाय और पुलिस को खुलेआम धमकी दी. राणे तटीय महाराष्ट्र स्थित अपने निर्वाचन क्षेत्र कंकावली से लगभग 500 किलोमीटर दूर दौरा करने आए थे.

उन्होंने मुस्लिम समुदाय को संबोधित करने के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया, उत्तेजक बयान दिए और हिंदू समुदाय से ‘एकजुट होने और जवाबी कार्रवाई’ करने का आग्रह किया. उन्होंने कथित तौर पर मुस्लिम समुदाय का पक्ष लेने के लिए नया नगर पुलिस थाने के पुलिस इंस्पेक्टर पर मौखिक हमला किया.

राणे की 23 जनवरी की हरकत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आपराधिक कार्रवाई के दायरे में आती है, सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि उन्होंने ये बयान कमिश्नर कार्यालय के अंदर दिए थे. राणे को मीरा भयंदर, वसई विरार पुलिस कमिश्नरालय के सम्मेलन कक्ष से प्रेस को संबोधित करने की अनुमति दी गई थी.

उसी सम्मेलन कक्ष से प्रेस को संबोधित करते हुए पुलिस कमिश्नर के वीडियो का स्क्रीनशॉट.

राणे की प्रेस कॉन्फ्रेंस सबके लिए नहीं थी. हिंदुत्व समर्थक छवि वाले कुछ चुनिंदा पत्रकारों को ही सम्मेलन में शामिल होने की अनुमति दी गई थी.

पत्रकारिता का करीब दो दशकों का अनुभव रखने वाले पत्रकार और लोकप्रिय यूट्यूब चैनल ‘ऑन रिकॉर्ड मीरा भायंदर’ के संपादक सबीर शेख उस दिन के घटनाक्रम को याद करते हुए बताते हैं, ‘उस दिन पत्रकारों का एक समूह पुलिस कमिश्नर से मिलने गया था. कमिश्नर के साथ अचानक हुई बैठक के बाद हममें से कुछ लोग जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले. हमारे जाने के तुरंत बाद राणे कमिश्नर से मिलने आए. और राणे द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए केवल कुछ चुने हुए पत्रकारों को बुला लिया गया था.’

इलाके के एक अन्य स्वतंत्र पत्रकार अजीम तंबोली ने भी शेख के दावों की पुष्टि की. एक दशक से अधिक समय से क्षेत्र में पत्रकारिता कर रहे एक राष्ट्रीय समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार ने भी इसकी पुष्टि की है.

द वायर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए कई पत्रकारों से भी बात की. उन्होंने पुष्टि की कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन ‘संवाद’ कक्ष में किया गया था, जो पुलिस की प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए समर्पित स्थान है.

उनमें से एक पत्रकार शशि शर्मा भी थे, जो यूट्यूब पर ‘दबंग खबरें’ चैनल चलाते हैं. क्षेत्र के कई अन्य चैनलों की तरह उनके यूट्यूब चैनल पर भी राणे का भाषण जस का तस प्रसारित हुआ था. कुछ ही देर में वीडियो वायरल हो गया था.

शेख ने द वायर को बताया कि उन्होंने अपने चैनल पर एक वीडियो डाला था, जिसमें राणे को अपने कार्यालय से प्रेस को संबोधित करने की अनुमति देने के पुलिस के फैसले पर सवाल उठाया गया था. उनका कहना है कि एक ‘वरिष्ठ अधिकारी’ के कॉल के बाद इस वीडियो को जल्द ही हटाना पड़ा.

वह वीडियो स्टोरी जिसे पत्रकार सबीर शेख को एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी द्वारा कथित तौर पर धमकी दिए जाने के बाद हटाना पड़ा.

द वायर ने पुलिस कमिश्नर मधुकर पांडे, अतिरिक्त कमिश्नर श्रीकांत पाठक और पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अविनाश अंबुरे को लिखा, जिन्होंने कथित तौर पर प्रेस वार्ता से पहले राणे से मुलाकात की थी. तीनों अधिकारियों में से किसी ने भी द वायर द्वारा भेजे गए मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया.

पाठक ने लिखा कि वह छुट्टी पर हैं और उन्होंने डीसीपी प्रकाश गायकवाड़ से बात करने के लिए कहा. गायकवाड़ ने भी कोई जवाब नहीं दिया. उनके जवाब देने पर रिपोर्ट में जोड़ा जाएगा.

भाजपा नेता नितेश राणे की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ ही घंटों बाद इलाके में दूसरे दौर की हिंसा भड़क उठी. भगवा झंडे लहराते और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए युवकों ने शहर के कुछ हिस्सों में उत्पात मचाया और मुसलमानों की दुकानों में तोड़फोड़ की. हमले में कई मुस्लिम युवक घायल हो गए.

राणे की पुलिस परिसर तक पहुंच क्यों महत्वपूर्ण है? एक विधायक द्वारा पुलिस परिसर का इस तरह इस्तेमाल करना पुलिस की स्वतंत्र रूप से काम करने में विफलता दर्शाता है. 23 जनवरी की शाम को हिंसा भड़काने में राणे की संभावित भूमिका यहां सवालों के घेरे में है.

मीरा रोड के कई नागरिकों और कई अधिकार संगठनों ने मुसलमानों के खिलाफ हिंदू भीड़ को भड़काने में उनकी सीधी भागीदारी पर सवाल उठाए हैं. वह लंबे समय से भड़काऊ भाषण देते रहे हैं और मुस्लिम समुदाय को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी देते रहे हैं.

मीरा रोड की प्रेस वार्ता में भी राणे ने निराधार दावे करके उन्माद फैलाया कि शहर में हिंदू महिलाएं ‘असुरक्षित’ हैं, मीरा रोड ‘मिनी-पाकिस्तान’ बन गया है और 35 से अधिक हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया है.

इतना ही नहीं राणे ने पुलिस इंस्पेक्टर को धमकी देते हुए कहा, ‘तुम्हें वे (मुसलमान) बिरयानी खिला रहे हैं. यह मत भूलो कि हमारी पार्टी सत्ता में है. आगामी विधानसभा सत्र में तुम्हें निलंबित करवा दूंगा. फिर रोते हुए (मेरे पास) मत आना.’

पिछले वर्ष राणे ने कई ऐसे सार्वजनिक भाषण – जिनमें हाल ही में मुंबई के पंढरपुर और गोवंडी के भाषण भी शामिल हैं – दिए हैं, जिनमें उन्होंने खुलेआम हिंदुओं से कानून अपने हाथ में लेने के लिए कहा, साथ ही कहा कि उन्हें और उनके समर्थकों को उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बचा लेंगे.

मीरा रोड में हिंसा भड़के हुए तीन सप्ताह से अधिक समय हो गया है. द वायर ने इस घटना पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें पीड़ितों और हिंसा के प्रत्यक्षदर्शियों ने हमले में पुलिस की मिलीभगत के बारे में बात की थी.

तब से पुलिस ने 21 से 23 जनवरी के बीच हुए कई हमलों में आठ एफआईआर दर्ज की हैं. चार एफआईआर मुसलमानों द्वारा दर्ज कराई गई हैं, जिन पर कि हिंसा के दौरान हमला हुआ था, अन्य चार एफआईआर में मुसलमानों को आरोपी बनाया गया है.

यहां एक स्पष्ट पैटर्न देखा जा सकता है. जिन मामलों में मुस्लिम आरोपी हैं, उनमें कई गिरफ्तारियां की गई हैं. ऐसे मामलों में जहां मुस्लिम युवाओं को गंभीर चोट लगी है या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा है, पुलिस ने अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है.

गिरफ्तार मुस्लिम युवक की पैरवी कर रहे वकील शाहूद अनवर ने द वायर को बताया कि किशोर न्याय बोर्ड द्वारा रिहा किए गए दो नाबालिग लड़कों के अलावा, अभी तक किसी को भी जमानत पर रिहा नहीं किया गया है.

उन्होंने बताया, ‘हमने चार लोगों की जमानत के लिए आवेदन किया है और इसकी सुनवाई 15 फरवरी को ठाणे सत्र अदालत में होनी है.’ उन्होंने मामले में जांच की पक्षपातपूर्ण प्रकृति की ओर भी इशारा किया. उन्होंने कहा, ‘कई मामलों को पुलिस ने केवल गैर-संज्ञेय अपराध मानकर एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया है.’

इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.