पिछले महीने मेयर पद पर भाजपा के मनोज सोनकर का चुनाव पीठासीन अधिकारी द्वारा वोट में गड़बड़ी के आरोपों के बीच हुआ था. 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई होनी थी. इधर आम आदमी पार्टी के तीन पार्षदों के भाजपा में शामिल होने से उसकी कुल संख्या बढ़कर 19 हो गई है, जबकि आप-कांग्रेस गठबंधन के सिर्फ़ 17 सदस्य रह गए हैं.
नई दिल्ली: भाजपा से चंडीगढ़ के मेयर मनोज सोनकर ने रविवार (18 फरवरी) को ‘नैतिक आधार’ का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया. उनका चुनाव पिछले महीने पीठासीन अधिकारी द्वारा वोट में गड़बड़ी के आरोपों के बीच हुआ था. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के एक दिन पहले ही यह घटनाक्रम सामने आया है.
संयोग से यह उस दिन हुआ, जब आप के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए – यह एक ऐसा घटनाक्रम है, जिसकी वजह से अब सोनकर के इस्तीफे के बाद होने वाले नए मेयर चुनाव में भाजपा को आप-कांग्रेस गठबंधन पर बढ़त मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, आप पार्षद नेहा मुसावत, पूनम देवी और गुरुचरण काला पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में दिल्ली में भाजपा में शामिल हो गए.
नेहा मुसावत ने संवाददाताओं से कहा, ‘आम आदमी पार्टी ने मुझे मेयर पद का उम्मीदवार बनाने का वादा किया था. जब कुलदीप कुमार को (आप-कांग्रेस) उम्मीदवार घोषित किया गया तो मुझे आश्चर्य हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों और दलितों के लिए जो किया है, उससे मैं प्रभावित हूं.’
बीते 30 जनवरी के हुए मेयर चुनाव में मनोज सोनकर ने कुलदीप कुमार के खिलाफ जीत हासिल की थी, जब पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ वोटों को अवैध घोषित कर दिया था. इसके खिलाफ कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 5 फरवरी को चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी के आचरण को गंभीरता से लिया और उन्हें सोमवार (19 फरवरी) को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में पेश होने के लिए कहा था.
पार्टी पार्षदों के पाला बदलने पर प्रतिक्रिया देते हुए आप चंडीगढ़ प्रभारी सनी अहलूवालिया ने आरोप लगाया कि तीनों को भाजपा में शामिल होने की धमकी दी गई थी.
उन्होंने कहा, ‘पूरा देश जानता है कि 30 जनवरी को क्या हुआ और हमारे उम्मीदवार के पक्ष में 20 वोट पड़े. अब उन्होंने हमारे पार्षदों को धमकाकर अपने साथ मिला लिया है. हर कोई जानता है कि क्या हो रहा है और उन्होंने उन्हें कैसे धमकी दी है.’
आम आदमी पार्टी के इन तीन पार्षदों के पार्टी में शामिल होने के साथ भाजपा के पार्षदों की संख्या 14 से बढ़कर 17 हो गई है. इसके साथ ही उनके पास भाजपा सांसद किरण खेर और एकमात्र शिरोमणि अकाली दल पार्षद के वोट हैं, जिससे वोटों की संख्या 19 हो गई है.
दूसरी ओर 36 सदस्यीय सामान्य सदन में आप-कांग्रेस की ताकत घटकर 17 रह गई है, जिसमें आप के 10 और कांग्रेस के 7 सदस्य हैं.
सोनकर के इस्तीफे की पुष्टि करते हुए चंडीगढ़ भाजपा प्रमुख जतिंदर मल्होत्रा ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मेयर ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया है. आप और कांग्रेस वोटों में गड़बड़ी के बेबुनियाद आरोप लगाकर माहौल खराब कर रहे हैं. अब जब नए सिरे से चुनाव होंगे तो लोगों को पता चल जाएगा कि बहुमत किसे मिलता है.’
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में पार्टी आलाकमान के साथ भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक हुई, जिसके बाद शीर्ष नेतृत्व ने सोनकर से तुरंत इस्तीफा देने को कहा था.
सूत्रों ने कहा कि भाजपा नेताओं के एक वर्ग को इस बात की आशंका थी कि सुप्रीम कोर्ट सोमवार (19 फरवरी) को प्रतिकूल टिप्पणी कर सकता है, इसलिए यह महसूस किया गया कि सोनकर को इस्तीफा दे देना चाहिए.
कुछ दिन पहले चंडीगढ़ भाजपा ने पीठासीन अधिकारी मसीह को अपने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से हटा दिया था, जो कथित तौर पर मतपत्रों को विकृत करने के आरोप में आलोचनाओं का सामना कर रहे थे.
कांग्रेस और आप मेयर चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सोनकर को हटाने की मांग कर रहे थे. इसमें आरोप लगाया गया कि मसीह द्वारा मतपत्रों में गड़बड़ी करने और कांग्रेस-आप गठबंधन के आठ वोटों को अमान्य करने के बाद सोनकर की जीत हुई थी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह ‘लोकतंत्र का मजाक’ है. बीते 5 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे.’
चंडीगढ़ मेयर का चुनाव आप-कांग्रेस गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है, जिसकी घोषणा 18 जनवरी को मतदान की शुरुआती तारीख से सिर्फ तीन दिन पहले की गई थी. आप सांसद राघव चड्ढा ने घोषणा की थी कि यह विपक्ष के इंडिया गठबंधन की पहली जीत होगी.
हालांकि, 18 जनवरी को पीठासीन अधिकारी मसीह की अचानक तबीयत खराब होने के कारण पार्षदों को वापस भेज दिया गया.
इसके बाद केंद्रशासित चंडीगढ़ प्रशासन ने चुनाव को 6 फरवरी तक स्थगित करने की मांग की, जिसके बाद आप के मेयर पद के उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने 30 जनवरी को चुनाव फिर से कराने के लिए हस्तक्षेप किया था.
मतदान के बाद, जिसमें भाजपा के सोनकर विजयी हुए, उन्हें आप-कांग्रेस उम्मीदवार के 12 के मुकाबले 16 वोट मिले. इसके खिलाफ विपक्ष ने हाईकोर्ट से राहत मांगी. जब अंतरिम राहत से इनकार कर दिया गया तो उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कथित तौर पर मतपत्रों पर कुछ लिखते हुए मसीह के वीडियो सामने आए, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मसीह को सोमवार को पेशी के लिए बुलाया था.