पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में लोगों को विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ लेने से रोकने के लिए उनके आधार कार्ड निष्क्रिय कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार आधार कार्ड नहीं होने के बावजूद राज्य संचालित कल्याण कार्यक्रम जारी रखेगी.
नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को आरोप लगाया कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में लोगों को विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ लेने से रोकने के लिए उनके आधार कार्ड ‘निष्क्रिय’ कर दिए हैं.
बीरभूम में एक सार्वजनिक वितरण कार्यक्रम में बोलते हुए बनर्जी ने कहा कि उनकी सरकार लाभार्थियों के पास आधार कार्ड नहीं होने के बावजूद राज्य द्वारा संचालित कल्याण कार्यक्रम जारी रखेगी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने दावा किया, ‘सावधान रहें, वे (भाजपा के नेतृत्व वाला केंद्र) आधार कार्ड निष्क्रिय कर रहे हैं. बंगाल के कई जिलों में कई आधार कार्ड निष्क्रिय कर दिए गए हैं. वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं, ताकि लोगों को बैंक हस्तांतरण के माध्यम से ‘लक्ष्मी भंडार’ और चुनाव से पहले मुफ्त राशन जैसी योजनाओं का लाभ न मिल सके.’
उन्होंने कहा, ‘मुख्य सचिव को मेरा स्पष्ट निर्देश है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि सक्रिय आधार कार्ड न होने पर भी लोगों को लाभ से वंचित न किया जाए. बंगाल के लोगों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है. मैं आपके लिए हूं.’
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पूर्व बर्धमान जिले के जमालपुर में 50 लोगों और बीरभूम, उत्तर और दक्षिण 24 परगना के साथ-साथ उत्तर बंगाल में कई अन्य लोगों के आधार कार्ड डीलिंक (निष्क्रिय) कर दिए गए हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगर मुझे पता चलता है कि आधार कार्ड को निष्क्रिय करने के पीछे उनका (भाजपा नीत केंद्र) एक छिपा हुआ एजेंडा है, तो मैं एक भी योजना को उन दस्तावेजों से जोड़ने की अनुमति नहीं दूंगी.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘पहले, केंद्र सरकार ने लोगों से स्कूलों में प्रवेश के लिए भी आधार कार्ड प्राप्त करने के लिए कहा और अब यह आपको सूचित किए बिना उन्हें निष्क्रिय कर रही है. लोगों को ऐसे कितने कार्डों की आवश्यकता है? वे इनमें से इतने सारे कार्डों के साथ क्या करेंगे?’
बनर्जी ने मुख्य सचिव को एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू करने का भी निर्देश दिया, जहां लोग, जिनके ‘आधार कार्ड निष्क्रिय कर दिए गए हैं’, अपनी शिकायतें दर्ज करा सकें.
उन्होंने कहा कि अगर बैंक आधार कार्ड के बिना ग्राहकों को लेनदेन की अनुमति नहीं देते हैं, तो सहकारी बैंक एक विकल्प हो सकते हैं.
बनर्जी ने कहा, ‘अगर बैंक सोचते हैं कि वे आधार कार्ड के बिना काम नहीं करेंगे, तो हम उनके बिना काम करेंगे. हमारे पास बहुत सारे सहकारी बैंक और अन्य वित्तीय संगठन हैं.’
अपनी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी गारंटी की मांग को लेकर किसानों के आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बंगाल में किसानों को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है.