महाराष्ट्र: डिप्टी सीएम अजीत पवार ने शिक्षा-नौकरियों में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की मांग की

यह पहली बार है कि भारतीय जनता पार्टी के किसी सहयोगी दल ने खुले तौर पर अल्पसंख्यकों के आरक्षण की वकालत की है. महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजीत पवार ने यह भी कहा कि जब तक वह सत्ता में हैं, तब तक अल्पसंख्यकों को डरना नहीं चाहिए.

अजीत पवार. (फोटो साभार: फेसबुक)

यह पहली बार है कि भारतीय जनता पार्टी के किसी सहयोगी दल ने खुले तौर पर अल्पसंख्यकों के आरक्षण की वकालत की है. महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजीत पवार ने यह भी कहा कि जब तक वह सत्ता में हैं, तब तक अल्पसंख्यकों को डरना नहीं चाहिए.

अजीत पवार. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजीत पवार ने रविवार (18 फरवरी) को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें जाति जनगणना कराने के बाद शिक्षा और नौकरियों में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण की मांग की गई है.

पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘यह सभा अल्पसंख्यकों की विशेष सुरक्षा और जाति जनगणना की मांग करती है. जाति जनगणना के नतीजों के आधार पर अल्पसंख्यकों को उसी अनुपात में शैक्षणिक और नौकरी में आरक्षण दिया जाना चाहिए.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नवी मुंबई के वाशी में सम्मेलन को संबोधित करते हुए अजीत पवार ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि सम्मेलन में पारित सभी प्रस्तावों को लागू किया जाए.

यह पहली बार है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के किसी सहयोगी दल ने खुले तौर पर अल्पसंख्यकों के आरक्षण की वकालत की है. यह पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के नेतृत्व वाली कांग्रेस-एनसीपी सरकार थी, जिसने 2014 में एक अध्यादेश के माध्यम से शिक्षा और नौकरियों में मुसलमानों के लिए 5 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ मराठों के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण बढ़ाया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुस्लिम आरक्षण को रद्द नहीं किया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली अगली भाजपा सरकार ने अध्यादेश को एक अधिनियम में नहीं बदला और तब से यह मामला लंबित है.

रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, एक बड़ी गड़बड़ी में प्रस्ताव के शुरू में अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक आरक्षण का उल्लेख किया गया था, जिसे बाद में पार्टी (एनसीपी) ने वापस ले लिया.

अजीत पवार ने यह भी कहा कि जब तक वह सत्ता में हैं, तब तक अल्पसंख्यकों को डरना नहीं चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘जब सतारा में दो समुदायों के बीच कोई घटना हुई, तो सब कुछ नियंत्रित करने के लिए मैं व्यक्तिगत रूप से वहां गया था. जब तक मैं यहां हूं, तुम्हें डरने की जरूरत नहीं है. हम सभी कानून का पालन करते हैं. मैं आप सभी को बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र में कानून का शासन कायम रहेगा और किसी को भी अन्याय का सामना नहीं करना पड़ेगा. मैं आप सभी से वादा करता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘मीरा रोड पर भी एक घटना हुई थी. मैंने तुरंत हस्तक्षेप किया और पुलिस कमिश्नर से प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए कहा. मैंने हमेशा कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए काम किया है. हमें हर समुदाय, हर धर्म के त्योहारों को खुशी और गर्मजोशी के साथ मनाना चाहिए.’

जब से अजीत पवार ने अपने चाचा और एनसीपी (शरद पवार) गुट के अध्यक्ष शरद पवार का साथ छोड़कर भाजपा से हाथ मिलाया है, तब से वह लगातार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने धर्मनिरपेक्षता की मूल विचारधारा को नहीं छोड़ा है.

उन्होंने कहा, ‘हम हर समुदाय को साथ लेकर राज्य पर शासन कर रहे हैं. सभी की सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है. हमारी एनसीपी बहुजनों और अल्पसंख्यकों की पार्टी है.’

डिप्टी सीएम पवार ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को दूसरों के दावों से विचलित नहीं होना चाहिए कि उनकी पार्टी ने मूल विचारधारा को छोड़ दिया है.

इससे पहले अजीत पवार ने घोषणा की थी कि सरकार उन छात्राओं की कॉलेज शिक्षा का भुगतान करेगी, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम है.

उन्होंने कहा था, ‘ऐसा देखा गया है कि कई बार परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण छात्राओं की शिक्षा अधूरी रह जाती है. इस पर काबू पाने के लिए राज्य सरकार ने 8 लाख रुपये से कम आय वाले माता-पिता की बेटियों की कॉलेज शिक्षा का भुगतान करने का निर्णय लिया है. यह आगामी जून से लागू होगा.’