वोटों में गड़बड़ी के आरोपों के बीच भाजपा के मनोज सोनकर ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत दर्ज की थी. हालांकि मामले की सुनवाई से एक दिन पहने उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया. अब चुनाव के पीठासीन अधिकारी ने मत-पत्रों पर निशान बनाने की बात स्वीकार की, जिसे बाद में उन्होंने अवैध घोषित किया था. सीजेआई ने कहा कि उन पर मुक़दमा चलाया जाना चाहिए.
नई दिल्ली: पिछले महीने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बैलेट-टेम्परिंग मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ मत-पत्रों पर एक निशान बनाने की बात स्वीकार की, जिसे बाद में उन्होंने अवैध घोषित कर दिया और जिससे अब इस्तीफा दे चुके भाजपा से मेयर मनोज सोनकर की जीत का रास्ता साफ हो गया था.
हालांकि, उन्होंने यह कहकर अपने कृत्य को उचित ठहराया कि उन्होंने केवल उन मत-पत्रों पर ‘X’ मार्क लगाए, जिन्हें मतदान प्रक्रिया के दौरान पार्षदों द्वारा पहले ही विरूपित कर दिया गया था. पीठासीन अधिकारी ने कहा कि वह उन्हें अलग से चिह्नित कर रहे थे, ताकि वे बाकी वोटों के साथ मिल न जाएं.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘आपको (मसीह) केवल मत-पत्रों पर हस्ताक्षर करना था. नियमों में यह कहां दिया गया है कि आप मत-पत्रों में अन्य चिह्न लगा सकते हैं?’
फिर सॉलिसिटर जनरल की ओर मुखातिब होते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने आगे कहा, ‘मिस्टर सॉलिसिटर, उन पर मुकदमा चलाना होगा. वह चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे.’
इसके बाद सीजेआई ने कहा कि पीठ खुद मंगलवार (20 फरवरी) को मत-पत्रों की जांच करेगी. इसने निर्देश दिया कि मत-पत्र, जिन्हें पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की हिरासत में रखा गया है, को सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए.
पीठ ने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल द्वारा नामित न्यायिक अधिकारी की सुरक्षित आवाजाही के साथ-साथ मतपत्रों की सुरक्षित हिरासत सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्थाएं की जानी चाहिए.
पीठ ने पीठासीन अधिकारी मसीह को कल 20 फरवरी की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का भी आदेश दिया.
बाद में अदालत ने कहा कि वह (पार्षदों की) खरीद-फरोख्त (Horse Trading) को लेकर बेहद चिंतित है.
हालांकि रविवार (18 फरवरी) को धांधली के आरोपों के बीच भाजपा से मेयर चुने गए मनोज सोनकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया थी, लेकिन पुनर्मतदान की स्थिति में माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए आप के तीन पार्षद (नेहा मुसावत, पूनम देवी और गुरुचरण काला) भी इसी दिन भाजपा में शामिल हो गए थे.
दरअसल, आम आदमी पार्टी के इन तीन पार्षदों के पार्टी में शामिल होने के साथ भाजपा के पार्षदों की संख्या 14 से बढ़कर 17 हो गई है. इसके साथ ही उनके पास भाजपा सांसद किरण खेर और एकमात्र शिरोमणि अकाली दल पार्षद के वोट हैं, जिससे वोटों की संख्या 19 हो गई है.
दूसरी ओर 36 सदस्यीय सामान्य सदन में आप-कांग्रेस की ताकत घटकर 17 रह गई है, जिसमें आप के 10 और कांग्रेस के 7 सदस्य हैं. इस कारण अब सोनकर के इस्तीफे के बाद होने वाले नए मेयर चुनाव में भाजपा को आप-कांग्रेस गठबंधन पर बढ़त मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को दिल्ली में कहा कि सोनकर के इस्तीफे से साबित होता है कि चुनाव में हेरफेर किया गया था.
केजरीवाल ने कहा, ‘अब जब भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती तो हमारे पार्षदों को खरीदा और तोड़ा जा रहा है.’
आप पंजाब के प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि पहले भाजपा के गलत काम कैमरे में कैद हो गए थे और सुप्रीम कोर्ट ने भी उन पर गौर किया है. अब भाजपा ‘ऑपरेशन लोटस’ के ज़रिये रातों-रात आप पार्षदों को अपने पाले में कर रही है.
उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि भारतीय लोकतंत्र का इससे बड़ा कोई मजाक उड़ाया गया है.’
सोनकर के इस्तीफे और तीन आप पार्षदों की कथित खरीद-फरोख्त पर आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘सत्ता के लिए भाजपा के लालच को दुनिया देख रही है.’
इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें