भाजपा नेता एसवी शेखर ने 2018 के फेसबुक पोस्ट में एक महिला पत्रकार के बारे में अपमानजनक टिप्पणी थी और महिला पत्रकारों को ‘अनपढ़’, ‘बेवकूफ़’ और ‘बदसूरत’ भी कहा था. अदालत ने उन्हें जेल सज़ा सुनाई और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया था. जुर्माना भरने के बाद अदालत ने उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने के लिए जेल की सजा को निलंबित कर दिया.
नई दिल्ली: चेन्नई की एक अदालत ने सोमवार (19 फरवरी) को तमिल अभिनेता, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक एसवी शेखर को एक आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट साझा करने के मामले में एक महीने की कैद की सजा सुनाई और 15,000 रुपये का जुर्माना लगाया.
2018 में सोशल मीडिया पर किए गए इस पोस्ट में उन्होंने महिला पत्रकारों के बारे में अपमानजनक, अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि शेखर ने जुर्माना भर दिया है, अदालत ने उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने की अनुमति देने के लिए उनकी जेल की सजा को निलंबित करने का फैसला किया है.
अदालत ने यह भी कहा कि एसवी शेखर के खिलाफ आरोप सही साबित हुए हैं.
यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट द्वारा 2023 में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामलों को रद्द करने से इनकार करने के बाद आया है.
एसवी शेखर ने 2018 में फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें एक महिला पत्रकार के बारे में अपमानजनक टिप्पणी थी, जिसने एक आधिकारिक कार्यक्रम में तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा गाल थपथपाए जाने के बाद आपत्ति जताई थी. पोस्ट में कहा गया कि राज्यपाल को उन्हें छूने के लिए ‘अपने हाथ फिनाइल से धोने चाहिए.’
एसवी शेखर ने 2018 में फेसबुक पर एक पोस्ट साझा की थी, जिसमें एक महिला पत्रकार के बारे में अपमानजनक टिप्पणी थी, जिसने एक आधिकारिक कार्यक्रम में तमिलनाडु के तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा गाल थपथपाए जाने के बाद आपत्ति जताई थी.
पोस्ट में कहा गया था कि राज्यपाल को उन्हें छूने के लिए ‘अपने हाथ फिनाइल से धोने चाहिए’.
इस पोस्ट को उन्होंने बाद में डिलीट कर दिया था. उनके इस पोस्ट में महिला पत्रकारों को ‘अनपढ़’, ‘बेवकूफ’ और ‘बदसूरत’ कहा गया था, जिससे उनके खिलाफ भारी आक्रोश फैल गया था. पोस्ट डिलीट करने के बाद उन्होंने माफी मांगते हुए कहा था कि उन्होंने पोस्ट का कंटेंट पूरी तरह पढ़े बिना ही शेयर कर दिया था.
एसवी शेखर ने अदालत में यही बचाव पेश किया. हालांकि, उनके तर्क को अदालत ने इस आधार पर खारिज कर दिया कि पोस्ट को ऑनलाइन साझा करते समय उन्हें सामाजिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए थी.
कांग्रेस में जाने और अंतत: भाजपा में शामिल होने से पहले एसवी शेखर अन्नाद्रमुक से विधायक चुने गए थे.
द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने तमिलनाडु जर्नलिस्ट प्रोटेक्शन वीलफेयर एसोसिएशन की शिकायत के आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था. हालांकि शेखर मामले को रद्द करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ में गए, लेकिन अदालत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान), 505 (1) (सी) (सार्वजनिक शरारत के लिए उकसाने वाले बयान), और 509 (शब्द, इशारा या कार्य जिसका उद्देश्य किसी महिला की गरिमा का अपमान करना हो) और तमिलनाडु महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम की धारा 4 (महिला के उत्पीड़न के लिए जुर्माना) के तहत मामला दर्ज किया गया था.