सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव के पीठासीन अधिकारी और भाजपा के चंडीगढ़ अल्पसंख्यक सेल के पूर्व महासचिव अनिल मसीह के ख़िलाफ़ जांच का आदेश दिया, साथ ही कहा कि उन्होंने शीर्ष अदालत में झूठ बोला था. बीते 30 जनवरी को मसीह ने आठ मत-पत्रों को अवैध घोषित कर दिया था और जिससे अब इस्तीफ़ा दे चुके भाजपा से मेयर मनोज सोनकर की जीत हो गई थी.
चंडीगढ़: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ा झटका देते हुए मंगलवार (20 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर फिर से सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) के कुलदीप कुमार को शहर के नगर निगम का वैध रूप से निर्वाचित मेयर घोषित कर दिया.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ फैसला सुनाया कि चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने कुलदीप कुमार के पक्ष में डाले गए आठ मत-पत्रों को विकृत करने का जान-बूझकर प्रयास किया, ताकि भाजपा के मनोज सोनकर को निर्वाचित उम्मीदवार घोषित किया जा सके.
पीठ ने विरूपित (Defaced) मत-पत्रों की जांच के बाद यह बात कही, ‘कल (19 फरवरी) पीठासीन अधिकारी ने इस अदालत के समक्ष एक गंभीर बयान दिया कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि आठ मत-पत्र विरूपित हो गए थे. यह स्पष्ट है कि (मसीह द्वारा उन पर निशान लगाने से पहले) कोई भी मतपत्र खराब नहीं हुआ था.’
पीठ के अनुसार, पीठासीन अधिकारी के आचरण की दो स्तरों पर निंदा की जानी चाहिए. सबसे पहले उन्होंने गैरकानूनी तरीके से मेयर चुनाव की दिशा बदल दी और दूसरा, सोमवार (19 फरवरी) को अदालत के समक्ष एक गंभीर बयान देते हुए उन्होंने झूठ बोला, जिसके लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
अदालत ने कहा, ‘उपरोक्त कारणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि पीठासीन अधिकारी द्वारा घोषित परिणाम गैरकानूनी हैं और उन्हें रद्द किया जाना चाहिए.’
इसके अलावा मसीह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए पीठ ने फैसला सुनाया कि उसके खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत कार्यवाही शुरू करने के लिए एक उपयुक्त मामला बनता है, जो अदालत की निगरानी में जांच से संबंधित है.’
पीठ ने फैसला सुनाया, ‘रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को निर्देश दिया जाता है कि वह अनिल मसीह को नोटिस जारी कर बताएं कि सीआरपीसी की धारा 340 के तहत उनके खिलाफ कदम क्यों नहीं उठाए जाएं.’
मसीह भाजपा के चंडीगढ़ अल्पसंख्यक सेल के महासचिव भी थे. मेयर चुनाव को लेकर हुए विवाद के बाद 12 फरवरी को उन्हें पद से हटा दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने नए सिरे से चुनाव कराने से इनकार किया
मसीह की ओर से पेश होते हुए सॉलिसिटर जनरल ने नए सिरे से चुनाव कराने की मांग की थी, जो आदर्श रूप से भाजपा चाहती थी, क्योंकि पुनर्मतदान की स्थिति में पर्याप्त संख्या जुटाने के लिए उसने पहले ही तीन आप पार्षदों को अपने पाले में शामिल कर लिया था.
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ फैसला सुनाया. पीठ ने कहा कि उसका विचार है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करना अनुचित है, क्योंकि मतगणना प्रक्रिया में एकमात्र खामी पाई गई थी.
इसमें कहा गया है कि पूरी चुनाव प्रक्रिया को रद्द करने से लोकतांत्रिक सिद्धांतों का विनाश होगा, जो पीठासीन अधिकारी के आचरण के कारण हुआ.
पीठ के अनुसार, अदालत यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है कि इस तरह के छल से लोकतांत्रिक प्रक्रिया शून्य न हो.
पीठ ने कहा, ‘इसलिए हमारा विचार है कि अदालत को ऐसी असाधारण परिस्थितियों में कदम उठाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बुनियादी लोकतांत्रिक जनादेश सुनिश्चित हो.’
इस मामले की पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह ‘लोकतंत्र का मजाक’ है. बीते 5 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था, ‘हम इस तरह लोकतंत्र की हत्या नहीं होने देंगे.’
मालूम हो कि जनवरी महीने में हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बैलेट-टेम्परिंग मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में बीते सोमवार को फिर से शुरू हुई सुनवाई के दौरान चुनाव के पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने आठ मत-पत्रों पर एक निशान बनाने की बात स्वीकार की थी, जिसे बाद में उन्होंने अवैध घोषित कर दिया और जिससे अब इस्तीफा दे चुके भाजपा से मेयर मनोज सोनकर की जीत का रास्ता साफ हो गया था.
हालांकि, उन्होंने यह कहकर अपने कृत्य को उचित ठहराया था कि उन्होंने केवल उन मत-पत्रों पर ‘X’ मार्क लगाए, जिन्हें मतदान प्रक्रिया के दौरान पार्षदों द्वारा पहले ही विरूपित कर दिया गया था. पीठासीन अधिकारी ने कहा था कि वह उन्हें अलग से चिह्नित कर रहे थे, ताकि वे बाकी वोटों के साथ मिल न जाएं.
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा था, ‘आपको (मसीह) केवल मत-पत्रों पर हस्ताक्षर करना था. नियमों में यह कहां दिया गया है कि आप मत-पत्रों में अन्य चिह्न लगा सकते हैं?’ फिर सॉलिसिटर जनरल की ओर मुखातिब होते हुए सीजेआई ने आगे कहा था, ‘मिस्टर सॉलिसिटर, उन पर मुकदमा चलाना होगा. वह चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे.’
इधर, बीते 18 फरवरी को भाजपा के मनोज सोनकर ने ‘नैतिक आधार’ का हवाला देते हुए चंडीगढ़ मेयर पद से इस्तीफा दे दिया था और इसी दिन आम आदमी पार्टी (आप) के तीन पार्षद भाजपा में शामिल हो गए थे, जिससे अगला चुनाव होने की दशा में भाजपा की स्थिति मजबूत हो गई थी.
आम आदमी पार्टी के इन तीन पार्षदों के पार्टी में शामिल होने के साथ भाजपा के पार्षदों की संख्या 14 से बढ़कर 17 हो गई है. इसके साथ ही उनके पास भाजपा सांसद किरण खेर और एकमात्र शिरोमणि अकाली दल पार्षद के वोट हैं, जिससे वोटों की संख्या 19 हो गई है.
दूसरी ओर 36 सदस्यीय सामान्य सदन में आप-कांग्रेस की ताकत घटकर 17 रह गई है, जिसमें आप के 10 और कांग्रेस के 7 सदस्य हैं.
कांग्रेस और आप ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सराहना की
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस कठिन समय में लोकतंत्र को बचाने के लिए अदालत को धन्यवाद दिया.
केजरीवाल ने चंडीगढ़ मेयर कुलदीप कुमार को बधाई दी और कहा कि वह एक गरीब परिवार से हैं. उन्होंने कहा, ‘उनकी जीत सुप्रीम कोर्ट की वजह से संभव हो सकी. यह भारतीय लोकतंत्र की जीत है.’
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘सत्य परेशान हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं. चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत आखिरकार संविधान और लोकतंत्र की हुई. माननीय उच्चतम न्यायालय का बहुत-बहुत शुक्रिया.’
सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में जीत आख़िरकार संविधान और लोकतंत्र की हुई। माननीय उच्चतम न्यायालय का बहुत-बहुत शुक्रिया। https://t.co/JKKQIb6lkj
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) February 20, 2024
अपने बयान में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने लोकतंत्र को निरंकुश भाजपा के दंश से बचा लिया, जो गंदे चुनावी हेरफेर (गड़बड़ी) का सहारा लेती थी.’
The Supreme Court has saved Democracy from the fangs of an autocratic BJP, which resorted to dirty election manipulation.
The institutional sabotage in the #ChandigarhMayorPolls is only a tip of the iceberg in Modi-Shah’s devious conspiracy to trample Democracy.
All Indians…
— Mallikarjun Kharge (@kharge) February 20, 2024
उन्होंने कहा, ‘चंडीगढ़ के मेयर चुनाव में संस्थागत तोड़फोड़ लोकतंत्र को कुचलने की मोदी-शाह की कुटिल साजिश का एक छोटा सा हिस्सा है. सभी भारतीयों को हमारे संविधान पर इस हमले का सामूहिक रूप से मुकाबला करना चाहिए.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि लोकतंत्र की हत्या की भाजपा की कोशिश में पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह सिर्फ एक मोहरा थे.
लोकतंत्र की हत्या की भाजपाई साजिश में मसीह सिर्फ ‘मोहरा’ है, पीछे मोदी का ‘चेहरा’ है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 20, 2024
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पहले सोनकर की जीत के बारे में कहा था कि यह दिखाता है कि कैसे इंडिया गठबंधन, जिसमें कांग्रेस और आप दोनों शामिल हैं, काम नहीं कर रहा है.
सोशल साइट एक्स पर सोनकर को बधाई देते हुए एक पोस्ट में नड्डा ने कहा था, ‘इंडिया गठबंधन ने अपनी पहली चुनावी लड़ाई लड़ी और फिर भी भाजपा से हार गई. यह दर्शाता है कि न तो उनका अंकगणित काम कर रहा है और न ही उनकी केमिस्ट्री काम कर रही है.’
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