पूर्ण राज्य का दर्जा देने समेत विभिन्न मांगों को लेकर लद्दाख के प्रतिनिधि केंद्र सरकार ने बातचीत के लिए दिल्ली में हैं. लद्दाख की संवैधानिक सुरक्षा की मांग के लिए प्रमुख तौर पर अभियान चलाने वाले सोनम वांगचुक मंगलवार से अपनी मांगों के समर्थन में मृत्यु तक भूख हड़ताल शुरू करने वाले थे. फिलहाल उन्होंने इसे टाल दिया है.
नई दिल्ली: लद्दाख की संवैधानिक सुरक्षा की मांग के लिए प्रमुख तौर पर अभियान चलाने वाले सोनम वांगचुक ने मंगलवार (20 फरवरी) को कहा कि वह अपने प्रस्तावित ‘मृत्यु होने तक आमरण अनशन’ की अगले हफ्ते समीक्षा करेंगे, जो केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा देने समेत उनकी विभिन्न मांगों पर केंद्र के साथ बातचीत के नतीजे पर निर्भर करेगा.
वांगचुक ने कहा, ‘हम 26 फरवरी को लेह शहर में एक बहुत बड़ी जनसभा बुलाएंगे और या तो लद्दाख के लोगों की मांगों को स्वीकार करने के लिए सरकार को धन्यवाद देंगे या वार्ता विफल होने की स्थिति में मृत्यु होने आमरण अनशन करेंगे.’
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए लद्दाख के नेतृत्व ने सोमवार (19 फरवरी) को केंद्र सरकार के साथ नए दौर की बातचीत के बाद परिणामों को महत्वपूर्ण बताते हुए अस्थायी रूप से ‘मृत्यु होने तक आमरण अनशन’ की योजना को रोक दिया था.
नेतृत्वकर्ताओं ने कहा कि केंद्र ने लद्दाख को राज्य का दर्जा, इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और एक विशेष लोक सेवा आयोग की स्थापना की मांगों पर विस्तार से चर्चा करने पर सहमति व्यक्त की है.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में लद्दाख के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) और केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले अपेक्स बॉडी ऑफ लेह (एबीएल) तथा करगिल डेमोक्रेटिक अलांयस (केडीए) के 14 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के बीच एक बैठक के दौरान समझौते पर सहमति हुई.
बैठक में मांगों के विवरण पर विचार करने की कवायद को आगे बढ़ाने के लिए एक संयुक्त उप-समिति गठित करने का भी निर्णय लिया गया.
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के विजेता वांगचुक ने कहा, ‘हम 24 फरवरी को उप-समिति की बैठक और 25 फरवरी को लेह में हमारे नेताओं की वापसी तक इंतजार करेंगे. अगले दिन लेह शहर में एक बहुत बड़ी सार्वजनिक सभा बुलाएंगे, ताकि या तो हमारी मांगों को पूरा करने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया जा सके या फिर वार्ता विफल होने पर हमारा ‘मृत्यु होने तक आमरण अनशन’ शुरू हो सके.’
प्रतिनिधिमंडल की मांगों में दो लोकसभा सीटें – एक करगिल के लिए और एक लेह के लिए – और केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों के लिए नौकरी के अवसर शामिल हैं. लद्दाख में वर्तमान में एक लोकसभा सीट है.
लद्दाख, जिसके पास अब कोई विधानसभा क्षेत्र नहीं है, पहले पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का हिस्सा था.
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को 5 अगस्त 2019 को निरस्त कर दिया गया था और तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू कश्मीर और लद्दाख – में विभाजित कर दिया गया था.
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश और लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है.
पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर विधानसभा में लद्दाख के चार प्रतिनिधि हुआ करते थे.
केंद्र की भाजपा सरकार ने दिसंबर 2023 में लद्दाख के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वह केंद्रशासित प्रदेश के तेजी से विकास और क्षेत्र के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. यह आश्वासन उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ हुई बैठक में दिया गया था.
लद्दाख में कई संगठनों ने दशकों से इस क्षेत्र के लिए एक अलग केंद्रशासित प्रदेश की मांग की थी और यह मांग 5 अगस्त 2019 को पूरी हो गई थी.
हालांकि, अपेक्स बॉडी ऑफ लेह तथा करगिल डेमोक्रेटिक अलांयस ने हाल के दिनों में अपनी प्रमुख मांगों को लेकर नई दिल्ली, जम्मू और लद्दाख सहित विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया था.