हरियाणा पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों के ख़िलाफ़ एनएसए लगाने वाले बयान को वापस लिया

किसानों के आंदोलन को रोकने के दौरान हरियाणा पुलिस की द्वारा की गईं कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती इलाकों में 170 से अधिक किसान घायल हो गए और 22 वर्षीय शुभकरन सिंह की मौत हो गई. पुलिस विरोध कर रहे किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स/@VibhuGroverr)

किसानों के आंदोलन को रोकने के दौरान हरियाणा पुलिस की द्वारा की गईं कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती इलाकों में 170 से अधिक किसान घायल हो गए और 22 वर्षीय शुभकरन सिंह की मौत हो गई. पुलिस विरोध कर रहे किसानों के ख़िलाफ़ आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: एक्स/@VibhuGroverr)

नई दिल्ली: हरियाणा में अंबाला पुलिस ने बीते गुरुवार (22 फरवरी) को कहा था कि वे ‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहे किसान नेताओं के खिलाफ कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका/एनएसए) के तहत कार्रवाई करेंगे. हालांकि शुक्रवार को पुलिस ने इस बयान को वापस ले लिया.

पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी सीमाओं पर पुलिस ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया है और किसानों को दिल्ली जाने की अनुमति नहीं दी गई है.

अंबाला पुलिस ने गुरुवार को हिंदी में एक बयान में कहा था, ‘रोजाना हंगामा कर कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है. इस दौरान उपद्रवियों द्वारा सरकारी और निजी संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया गया है. आंदोलनकारियों द्वारा सरकारी और निजी संपत्ति को पहुंचाए गए नुकसान का आकलन किया जा रहा है.’

बयान के अनुसार, ‘विरोध में सक्रिय रूप से शामिल कई नेता कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. नियमित रूप से सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम आदि पर भड़काऊ भाषण दिए जा रहे हैं. सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले पोस्ट किए जा रहे हैं.’

आगे कहा गया, ‘आंदोलन में लगातार भाषण देकर प्रदर्शनकारियों को प्रशासन के खिलाफ भड़काया जा रहा है. प्रशासनिक अधिकारियों, सरकार के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है. आंदोलन के बदले में गुंडों ने गंभीर हिंसा की है.’

अंबाला पुलिस की ओर से कहा गया था, ‘​इस संबंध में प्रशासन द्वारा आंदोलनकारियों और (किसान) यूनियनों के पदाधिकारियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 2 (3) के तहत कार्रवाई की जा रही है, ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे और सांप्रदायिक सौहार्द्र न बिगड़े.’

हालांकि, शुक्रवार की सुबह, पुलिस का मन बदल गया.

इस बार एक ताजा बयान में कहा गया है, ‘सभी संबंधित पक्षों को यह स्पष्ट करना है कि जिला अंबाला के कुछ किसान यूनियन नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के मामले पर पुनर्विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा.’

आगे कहा गया, ‘हरियाणा पुलिस प्रदर्शनकारियों और उनके नेताओं से शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अधिकारियों के साथ सहयोग करने की अपील करती है.’

मालूम हो कि किसानों के आंदोलन को रोकने के दौरान हरियाणा पुलिस की द्वारा की गई कार्रवाइयों की आलोचना हो रही है, जिसमें राज्य के सीमावर्ती इलाकों में 170 से अधिक किसान घायल हो गए और 22 वर्षीय शुभकरन सिंह की मौत हो गई.

पुलिस विरोध कर रहे किसानों के खिलाफ आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल कर रही है, क्योंकि उनका मानना है कि केंद्र सरकार ने उनसे किए वादे तोड़े हैं.

किसानों के समर्थन में सोशल मीडिया पोस्ट को ब्लॉक करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी व्यापक स्तर पर प्रयास किया गया है, यहां तक कि सोशल मीडिया दिग्गज ‘एक्स’ ने कहा है कि वह भारत सरकार के कदमों से सहमत नहीं है.

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