बिलकीस बानो गैंगरेप मामले के एक और दोषी को शादी में शामिल होने के लिए 10 दिन की पैरोल मिली

गुजरात हाईकोर्ट ने बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी रमेश चांदना को भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल दे दी. इससे पहले एक अन्य दोषी प्रदीप मोढिया को हाईकोर्ट द्वारा 7 से 11 फरवरी तक पैरोल पर गोधरा जेल से रिहा किया गया था.

बिलकीस बानो. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)

गुजरात हाईकोर्ट ने बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले के दोषी रमेश चांदना को भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल दे दी. इससे पहले एक अन्य दोषी प्रदीप मोढिया को हाईकोर्ट द्वारा 7 से 11 फरवरी तक पैरोल पर गोधरा जेल से रिहा किया गया था.

बिलकीस बानो. (फोटो साभार: यूट्यूब वीडियोग्रैब)

नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार (23 फरवरी) को बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले के दोषी रमेश चांदना को 5 मार्च को होने वाली उनके भतीजे की शादी में शामिल होने के लिए 10 दिन की पैरोल दे दी.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चांदना, जिन्होंने पिछले सप्ताह पैरोल के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था, इस मामले में पैरोल पाने वाले दूसरे दोषी हैं, क्योंकि मामले के सभी 11 दोषियों ने 21 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गोधरा शहर की एक जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था.

उन्हें 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था.

जस्टिस दिव्येश जोशी ने शुक्रवार को जारी अपने आदेश में कहा, ‘इस आवेदन के द्वारा दोषी-आवेदक ने अपनी बहन के बेटे के विवाह समारोह में शामिल होने के लिए पैरोल पर छुट्टी की प्रार्थना की है. इस आवेदन में आग्रह किए गए आधारों को ध्यान में रखते हुए उसे 10 दिनों की अवधि के लिए पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है.’

सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार के हलफनामे के अनुसार, चांदना ने 2008 में कैद के बाद से 1,198 दिनों की पैरोल और 378 दिनों की छुट्टी का आनंद लिया था.

इससे पहले मामले में एक अन्य दोषी प्रदीप मोढिया को हाईकोर्ट द्वारा उसकी पैरोल याचिका की अनुमति के बाद 7 से 11 फरवरी तक पैरोल पर गोधरा जेल से रिहा किया गया था.

मालूम हो कि बिलकीस बानो मामले में रमेश चांदना और प्रदीप मोढिया समेत 11 अन्य आजीवन कारावास के दोषियों ने 21 जनवरी की आधी रात से कुछ देर पहले गोधरा उप-जेल में आत्मसमर्पण कर दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 8 जनवरी को इन 11 दोषियों की समय-पूर्व रिहाई को खारिज करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार के पास उन्हें समय से पहले रिहा करने की शक्ति नहीं है. उनकी रिहाई का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते के अंदर वापस जेल में सरेंडर करने को कहा था.

यह समयसीमा 22 जनवरी तक ही थी.

इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से आत्मसमर्पण के लिए और समय देने की गुहार भी लगाई थी, लेकिन बीते 19 जनवरी को अदालत ने उनकी इस मांग को अस्वीकार कर दिया था.

इन दोषियों में राधेश्याम शाह, जसवंत नाई, गोविंद नाई, केसर वोहनिया, बाका वोहनिया, राजू सोनी, रमेश चांदना, शैलेश भट्ट, बिपिन जोशी, प्रदीप मोढिया और मितेश भट्ट शामिल हैं.

पांच महीने की गर्भवती बिलकीस बानो 21 वर्ष की थीं, जब 2002 में साबरमती ट्रेन नरसंहार के बाद भड़के दंगों के दौरान अपने परिवार के साथ रणधीकपुर गांव से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था. इस दौरान उनकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के 14 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी.

मालूम हो कि 15 अगस्त 2022 को केंद्रीय गृह मंत्रालय से मंजूरी मिलने और अपनी क्षमा नीति के तहत गुजरात की भाजपा सरकार द्वारा माफी दिए जाने के बाद सभी 11 दोषियों को 16 अगस्त 2022 को गोधरा के उप-जेल से रिहा कर दिया गया था.

सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में जेल से बाहर आने के बाद बलात्कार और हत्या के दोषी ठहराए गए इन लोगों का मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर स्वागत किया गया था. भारतीय जनता पार्टी के एक नेता ने तो यहां तक कह दिया था कि वे ‘अच्छे संस्कारी ब्राह्मण’ हैं.

इसे लेकर कार्यकर्ताओं ने आक्रोश जाहिर किया था. इसके अलावा सैकड़ों महिला कार्यकर्ताओं समेत 6,000 से अधिक लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दोषियों की सजा माफी का निर्णय रद्द करने की अपील की थी.