मतदाताओं को पार्टियों के वादों की व्यवहारिकता जानने का अधिकार है: मुख्य चुनाव आयुक्त

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने चुनाव घोषणापत्रों में वादे करने का अधिकार है और मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि क्या ये असली हैं और इनकी फंडिंग कैसी होगी. 

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार. (फोटो साभार: निर्वाचन आयोग यूट्यूब)

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने चुनाव घोषणापत्रों में वादे करने का अधिकार है और मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि क्या ये असली हैं और इनकी फंडिंग कैसी होगी.

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार. (फोटो साभार: निर्वाचन आयोग यूट्यूब)

नई दिल्ली: मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने शनिवार को कहा कि मतदाताओं को राजनीतिक दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों को पूरा करने की व्यवहारिकता के बारे में जानने का अधिकार है.

एनडीटीवी के अनुसार, उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को अपने चुनाव घोषणापत्रों में वादे करने का अधिकार है और मतदाताओं को यह जानने का अधिकार है कि क्या ये असली हैं और इनकी फंडिंग कैसी होगी. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह पूरा मामला अदालत में चल रहे एक केस का हिस्सा है, जो विचाराधीन है.

चेन्नई में एक संवाददाता सम्मेलन में राजीव कुमार ने सवालों का जवाब देते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को उनके चुनावी वादों का खुलासा करने के लिए एक ‘प्रोफार्मा’ तैयार किया है. हालांकि, यह पहलू अदालत में लंबित मामले से भी संबंधित है.

उन्होंने कहा कि प्रवर्तन एजेंसियों को सतर्क रहने और कैश तथा फ्रीबीज़ बांटने से रोकने का निर्देश दिया गया है, साथ ही नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को भी ऑनलाइन लेनदेन पर नजर रखने का काम सौंपा गया है.

चुनावों की घोषणा पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आपने बताया कि चुनाव की तारीखों की घोषणा हो चुकी है, यह फर्जी खबरें चल रही हैं. हालांकि, इस फर्जी खबर का आधे घंटे के भीतर ही खंडन कर दिया गया और यह स्पष्ट कर दिया गया कि यह फेक न्यूज़ है.’

राज्य के राजनीतिक दलों के साथ बैठकें करने के बाद राजीव कुमार ने कहा, ‘अधिकांश दलों ने कहा कि कई दलों ने मतदाताओं को देने के लिए धन जमा करना शुरू कर दिया है. हमने विभिन्न राजनीतिक दलों से मुलाकात की – भाजपा, कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय और अन्नाद्रमुक, द्रमुक जैसे राज्य दलों से. उनकी अधिकांश मांगें एक चरण में चुनाव कराने, धन वितरण और मुफ्त सुविधाओं पर अंकुश लगाने की थीं.’

पार्टियों ने ‘फर्जी वोटर’, शराब के वितरण और ऑनलाइन मोड के माध्यम से कैश ट्रांसफर रोकने के लिए कार्रवाई की भी मांग की.

ज्ञात हो कि तमिलनाडु में पिछले चुनावों के दौरान पार्टियां अक्सर एक-दूसरे पर कैश और तोहफे बांटकर मतदाताओं को ‘लुभाने’ का आरोप लगाती रही हैं.