मृतक की पहचान गुजरात के सूरत शहर निवासी हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया के रूप में हुई है. वह दिसंबर 2023 से रूस में थे. 100 से अधिक भारतीय नागरिकों को रूसी सेना द्वारा सुरक्षा सहायकों के रूप में भर्ती किया गया है. उनमें से कुछ को रूसी सेना की तरफ़ से लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि ऐसा कहा गया था कि उन्हें युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाएगा.
नई दिल्ली: बीते 21 फरवरी को रूस-यूक्रेन सीमा पर डोनेट्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी हवाई हमले में गुजरात के एक 23 वर्षीय युवक की मौत हो गई.
मृतक की पहचान सूरत निवासी हेमिल अश्विनभाई मंगुकिया के रूप में हुई है. उन्हें रूसी सेना द्वारा सुरक्षा सहायक के रूप में काम पर रखा गया था और वह दिसंबर 2023 से रूस में थे.
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें इस घटना के बारे में सूचित नहीं किया गया है.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, एक एजेंट ने इस महीने की शुरुआत में हेमिल के पिता की ओर से भारतीय वाणिज्य दूतावास को पत्र लिखकर उसे वापस घर लाने में मदद मांगी थी.
यह खबर उन रिपोर्टों के बीच आई है, जिनमें कहा गया था कि 100 से अधिक भारतीय नागरिकों को रूसी सेना द्वारा सुरक्षा सहायकों के रूप में भर्ती किया गया है और उनमें से कुछ को रूसी सेना की तरफ से लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जबकि ऐसा आश्वासन दिया गया था कि उन्हें युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाएगा.
कर्नाटक के गुलबर्गा के रहने वाले समीर अहमद ने कहा कि हेमिल को एक हमले के दौरान मिसाइल लगी थी. उन्होंने द हिंदू को बताया, ‘हमने एक ड्रोन को अपने ऊपर मंडराते देखा. मैं एक गड्ढा खोद रहा था और हेमिल लगभग 150 मीटर दूर गोली चलाने का अभ्यास कर रहा था. अचानक हमें कुछ शोर सुनाई दिया. मैं और दो अन्य भारतीय अन्य रूसी सैनिकों के साथ गड्ढे में छिप गए. मिसाइल टकराई और धरती हिल गई. कुछ देर बाद जब हम बाहर निकले तो मैंने हेमिल को मृत पाया. मैं ही वह व्यक्ति था जिसने उसके शव को ट्रक में डाला था.’
हेमिल के शरीर की एक तस्वीर, जिसमें चोटें और खून से लथपथ कपड़े दिख रहे हैं, एक अन्य भारतीय श्रमिक द्वारा साझा की गई थी.
अखबार ने एक अन्य भारतीय कर्मचारी के हवाले से कहा, ‘कुल मिलाकर हेमिल सहित चार भारतीय थे, जो उस समूह का हिस्सा थे, जो 21 फरवरी को हमले के दायरे में आ गया था. हेमिल रूसी सैन्य कमांडर के बहुत करीब था और वे उन पर भरोसा करते थे. वे उनसे छोटे-मोटे काम नहीं कराते थे. हवाई हमला तब हुआ, जब गड्ढा खोदा जा रहा था. मारे गए लोगों में नेपाल के एक व्यक्ति भी शामिल थे.’
हेमिल के पिता की ओर से बीते 2 फरवरी को भारतीय वाणिज्य दूतावास को भेजे गए एक ईमेल में सरकार से उनके बेटे की जान को खतरा बताते हुए उसकी वापसी की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया था.
केंद्र सरकार ने शुक्रवार (23 फरवरी) को कहा कि उसने रूसी सेना के साथ काम करने वाले भारतीयों की ‘जल्दी सेवा-मुक्ति’ के लिए रूसी अधिकारियों से संपर्क किया था.
दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए आगे आए भारतीय नागरिकों ने कहा कि मॉस्को में भारतीय दूतावास से मदद की उनकी गुहार अनसुनी कर दी गई.
अहमद ने कहा, ‘हम भारत से एक साथ आए थे. हेमिल की मेरे सामने मौत हो गई. हमें डर है कि कहीं वे हमें सीमा पर न भेज दें और हमें भी मरने के लिए छोड़ दिया जाए. जब हमने रूसी कमांडर से हमें सेवा-मुक्ति देने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा कि हमने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. कमांडर ने कहा कि हमें हेमिल का शव दो महीने बाद मिलेगा. कृपया हमें बचाएं.’
अखबार ने एक अन्य श्रमिक के हवाले से कहा, ‘हमें सेना के सुरक्षा सहायकों के रूप में काम पर रखा गया था, लेकिन वे हमें रूस-यूक्रेन सीमा पर लड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं. हम अपनी सुरक्षा और बचाव को लेकर डरे हैं. बार-बार गुहार और अनुरोध के बावजूद सरकार हमें बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है.’
रूसी सेना से जल्द सेवा-मुक्ति चाहने वाले भारतीयों के मामलों को लेकर सक्रिय हैं: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने सोमवार (26 फरवरी) को कहा कि भारत रूसी सेना में भारतीयों की जल्द सेवा-मुक्ति की मांग के सभी प्रासंगिक मामलों को ‘सक्रिय रूप से आगे’ बढ़ा रहा है और इसके परिणामस्वरूप कई भारतीयों को पहले ही सेवा से मुक्त कर दिया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मंत्रालय ने कहा, ‘हमने रूसी सेना से सेवा-मुक्ति के लिए मदद मांगने वाले भारतीयों के बारे में मीडिया में कुछ गलत रिपोर्ट देखी हैं.’
विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘मॉस्को में भारतीय दूतावास के संज्ञान में लाए गए प्रत्येक ऐसे मामले को रूसी अधिकारियों के साथ दृढ़ता से उठाया गया है और जो मामले मंत्रालय के संज्ञान में लाए गए हैं उन्हें नई दिल्ली में रूसी दूतावास के साथ उठाया गया है. परिणामस्वरूप कई भारतीयों को पहले ही सेवा से मुक्त किया जा चुका है.’
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है, ‘हम सर्वोच्च प्राथमिकता के तौर पर भारतीय नागरिकों की रूसी सेना से जल्द सेवा-मुक्ति के लिए सभी प्रासंगिक मामलों को रूसी अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’