लंबी बीमारी के बाद प्रख्यात ग़ज़ल गायक पंकज उधास का निधन

फिल्म नाम से ‘चिट्ठी आई है’, मोहरा फिल्म से ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘एक तरफ़ उसका घर’ और ‘आहिस्ता’ जैसी यादगार ग़ज़लों के लिए प्रसिद्ध पंकज उधास अपनी मख़मली आवाज़ के लिए जाने जाते थे. उनका पहला ग़ज़ल एलबम ‘आहट’ साल 1980 में आया था. 2006 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

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पंकज उधास. (फोटो साभार: फेसबुक)

फिल्म नाम से ‘चिट्ठी आई है’, मोहरा फिल्म से ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘एक तरफ़ उसका घर’ और ‘आहिस्ता’ जैसी यादगार ग़ज़लों के लिए प्रसिद्ध पंकज उधास अपनी मख़मली आवाज़ के लिए जाने जाते थे. उनका पहला ग़ज़ल एलबम ‘आहट’ साल 1980 में आया था. 2006 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.

पंकज उधास. (फोटो साभार: फेसबुक)

नई दिल्ली: प्रख्यात गजल गायक पंकज उधास का 73 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद सोमवार (26 फरवरी) को मुंबई में निधन हो गया.

उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया पर दुखद समाचार की पुष्टि की, ‘बहुत भारी मन से हम आपको सूचित करते हुए दुखी हैं कि लंबी बीमारी के कारण 26 फरवरी 2024 को पद्मश्री पंकज उधास का निधन हो गया.’

नायाब के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार मंगलवार (27 फरवरी) को होगा.

पंकज उधास के प्रतिनिधि ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. आज सुबह करीब 11 बजे ब्रीच कैंडी अस्पताल (मुंबई) में उनका निधन हो गया.’

गुजरात में संगीत की ओर रुझान रखने वाले परिवार में जन्मे पंकज तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. उनके दोनों भाइयों – मनहर उधास और निर्मल उधास – ने भी गायन में अपना करिअर स्थापित किया और पंकज ने उनके उदाहरण का अनुसरण किया. हालांकि वह शुरू में तबला सीखना चाहते थे, लेकिन धीरे-धीरे उनकी रुचि गजलों की ओर बढ़ी और उन्होंने अपने कौशल को निखारने के लिए उर्दू भी सीखी.

फिल्म नाम से ‘चिट्ठी आई है’, मोहरा फिल्म से ‘ना कजरे की धार’, ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’, ‘एक तरफ उसका घर’ और ‘आहिस्ता’ जैसी यादगार गजलों के लिए प्रसिद्ध पंकज अपनी मखमली आवाज के लिए जाने जाते थे.

उन्हें पहला बड़ा ब्रेक फिल्म ‘कामना’ के एक गाने में मिला, लेकिन आखिरकार उन्हें गजलों से ही पहचान मिली.

उन्होंने अपने कौशल को निखारने के लिए उर्दू भी सीखी और सिनेमा तथा एलबमों में अपने काम से भारत और विदेशों में संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया. उनका पहला गजल एलबम ‘आहट’ 1980 में आया था.

इसके बाद उन्होंने 1981 में ‘मुकर्रर’, 1982 में ‘तरन्नुम’, 1983 में ‘महफिल’, 1985 में ‘नायाब’ और 1986 में ‘आफरीन’ जैसे कई हिट एलबम दिए.

उन्होंने संगीत प्रेमियों को 50 से अधिक एलबम और सैकड़ों संकलन एलबम (Compilation Albums) दिए.

गजल गायक के रूप में सफल होने के बाद उन्हें महेश भट्ट की फिल्म ‘नाम’ में परफॉर्म करने और गाने के लिए आमंत्रित किया गया. 1986 में आई इस फिल्म के गजल ‘चिट्ठी आई है’ से उन्हें काफी प्रसिद्धि भी मिली.

इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के लिए पार्श्वगायन किया. ‘चिट्ठी आई है’ प्रस्तुति देने के बाद पंकज ने ‘ये दिल्लगी’, ‘साजन’ और ‘फिर तेरी कहानी याद आई’ जैसी फिल्मों में भी प्रस्तुति दी थी.

दुनिया भर में एलबम और लाइव कॉन्सर्ट ने उन्हें एक गायक के रूप में प्रसिद्धि दिलाई. 2006 में पंकज उधास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया.

पंकज उधास के परिवार में उनकी पत्नी फरीदा और बेटियां नायाब और रीवा हैं.