गुजरात में पिछले तीन वर्षों में 25,478 लोगों ने आत्महत्या की: राज्य सरकार

गुजरात सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, आत्महत्या करने वालों में 495 छात्र थे. सबसे अधिक आत्महत्या के 3,280 मामले अहमदाबाद शहर में, इसके बाद सूरत शहर में 2,862 और राजकोट शहर में 1,287 मामले दर्ज किए गए. आत्महत्या के प्रमुख कारणों में मानसिक स्वास्थ्य, प्रेम संबंध, गंभीर बीमारी आदि शामिल हैं.

(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन साभार: American Psychological Association)

गुजरात सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, आत्महत्या करने वालों में 495 छात्र थे. सबसे अधिक आत्महत्या के 3,280 मामले अहमदाबाद शहर में, इसके बाद सूरत शहर में 2,862 और राजकोट शहर में 1,287 मामले दर्ज किए गए. आत्महत्या के प्रमुख कारणों में मानसिक स्वास्थ्य, प्रेम संबंध, गंभीर बीमारी आदि शामिल हैं.

(प्रतीकात्मक इलस्ट्रेशन साभार: American Psychological Association)

नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने सोमवार (26 फरवरी) को विधानसभा को सूचित किया कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान राज्य में विभिन्न कारणों से 25,000 से अधिक लोगों ने आत्महत्या की,  जिनमें से लगभग 500 छात्र हैं.

गुजरात सरकार द्वारा सदन में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान गुजरात के विभिन्न हिस्सों में 25,478 लोगों ने आत्महत्या की है और इनमें से 495 छात्र थे.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के इमरान खेड़ावाला के एक प्रश्न के उत्तर में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, जो गृह विभाग संभालते हैं, ने एक लिखित उत्तर में कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में 8,307 लोगों, वित्तीय वर्ष 2021-22 में 8,614 और वित्तीय वर्ष 2022-23 में 8,557 लोगों ने आत्महत्या की है.

इनमें सबसे अधिक आत्महत्या के 3,280 मामले अहमदाबाद शहर में दर्ज किए गए, इसके बाद सूरत शहर में 2,862 और राजकोट शहर में 1,287 मामले दर्ज किए गए.

सरकार द्वारा बताए गए आत्महत्या के कुछ कारणों में मानसिक स्वास्थ्य, प्रेम संबंध, गंभीर बीमारी, पारिवारिक समस्याएं, वित्तीय संकट और परीक्षा में असफल होने का डर शामिल है.

मुख्यमंत्री ने बताया कि लोगों को आत्महत्या करने से रोकने के लिए राज्य सरकार ‘181 अभयम’ और ‘1096 जिंदगी’ हेल्पलाइन नंबरों के माध्यम से परामर्श प्रदान करती है. मुख्यमंत्री ने अपने जवाब में कहा कि सरकार ने अवसादग्रस्त लोगों को परामर्श प्रदान करने के लिए विभिन्न पुलिस स्टेशनों पर ‘एसएचई/SHE’ टीमें भी तैनात की हैं.

मुख्यमंत्री पटेल द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान 249 छात्रों और 246 छात्राओं (कुल 495) ने आत्महत्या की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को अपनी जान लेने से रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता सेमिनार आयोजित करना, विद्यार्थियों के मन से परीक्षा का डर दूर करने के लिए प्रेरक वक्ताओं को आमंत्रित करना और बोर्ड परीक्षाओं से पहले विशेषज्ञों द्वारा उनकी काउंसलिंग करना आदि शामिल है.