छत्तीसगढ़: परिजनों का दावा- पुलिस की ‘फ़र्ज़ी’ मुठभेड़ में मारे गए तीन लोग नक्सली नहीं थे

मामला कांकेर ज़िले का है, जहां 25 फरवरी को पुलिस ने दावा किया था कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में कोयलीबेड़ा थानाक्षेत्र के भोमरा-हुरतराई गांवों के बीच एक पहाड़ी पर तीन 'नक्सली' मारे गए थे. कुछ स्थानीय लोगों और मृतकों के परिजनों ने पुलिस पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ का आरोप लगाया है.

(फोटो साभार: फेसबुक/Kanker Police)

मामला कांकेर ज़िले का है, जहां 25 फरवरी को पुलिस ने दावा किया था कि नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में कोयलीबेड़ा थानाक्षेत्र के भोमरा-हुरतराई गांवों के बीच एक पहाड़ी पर तीन ‘नक्सली’ मारे गए थे. कुछ स्थानीय लोगों और मृतकों के परिजनों ने पुलिस पर फ़र्ज़ी मुठभेड़ का आरोप लगाया है.

कांकेर जिले में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए तीन लोगों के परिवारों ने दावा किया है वे नक्सली नहीं थे और मुठभेड़ फर्जी थी. (फोटो साभार: फेसबुक/Kanker Police)

नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में दो दिन पहले पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए तीन लोगों के परिवारों ने दावा किया है कि वे नक्सली नहीं थे और मुठभेड़ फर्जी थी, पुलिस ने इस आरोप से इनकार किया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कांकेर के पुलिस अधीक्षक इंदिरा कल्याण एलेसेला ने कहा कि कोई गलत काम नहीं हुआ है और स्थानीय लोग और मृतकों के परिवार के सदस्य हर मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के दबाव में ऐसे दावे करते हैं.

पुलिस ने पहले दावा किया था कि रविवार (25 फरवरी) सुबह नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में कोयलीबेड़ा पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत भोमरा-हुरतराई गांवों के बीच एक जंगली पहाड़ी पर तीन ‘नक्सली’ मारे गए.

पुलिस ने तब यह भी कहा था कि तीन मृतकों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है.

कुछ स्थानीय लोग और मृतक के परिजन सोमवार (26 फरवरी) को कोयलीबेड़ा थाने पहुंचे और पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ करने का आरोप लगाया.

मृतकों की पहचान – मरदा गांव के मूल निवासी रामेश्वर नेगी, सुरेश तेता और क्षेत्र के पैरवी गांव के अनिल कुमार हिडको के रूप में की गई है.

पत्रकारों से बात करते हुए बदरगी ग्राम पंचायत, जिसके अंतर्गत मरदा गांव आता है, के सरपंच मनोहर गावड़े ने कहा कि आदिवासी लकड़ी, पत्तियों और अन्य उपज के लिए जंगल पर निर्भर हैं.

उन्होंने कहा, ‘तेंदूपत्ता संग्रहण का मौसम शुरू होने वाला है और इसी उद्देश्य से तीनों पेड़ों की छाल और तने और अन्य चीजों से तैयार रस्सियों को इकट्ठा करने के लिए जंगल में गए थे. वे दो दिनों के लिए गए थे और इसलिए वे खाना पकाने के लिए चावल और बर्तन ले जा रहे थे.’

गाडवे ने दावा किया कि वे नक्सली नहीं थे और ‘फर्जी’ मुठभेड़ में मारे गए थे.

हिडको की पत्नी सुरजा ने भी दावा किया कि उसका पति रस्सी लेने के लिए जंगल गया था और अपने साथ एक मशाल और एक कुल्हाड़ी भी ले गया था. उन्होंने कहा, ‘हम किसान हैं और केवल अपने खेत और घर पर काम करते हैं.’

तेता की पत्नी ने भी दावा किया कि पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ की थी और उनके पति नक्सली नहीं थे.

संपर्क करने पर कांकेर एसपी एलेसेला ने किसी भी फ़र्ज़ी काम से इनकार किया और कहा कि अगर परिवार के सदस्यों को कुछ गड़बड़ी का संदेह है, तो वे मजिस्ट्रेट जांच (मुठभेड़ के बाद आयोजित) के दौरान अपने दावे पेश कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने कुछ भी गलत नहीं किया है. मुठभेड़ हुई थी और नक्सली नेता राजू सलाम और उसकी सैन्य कंपनी इसमें शामिल थी. हर मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के दबाव में स्थानीय ग्रामीणों और मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा ऐसे दावे किए जाते हैं.’

उन्होंने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा. अधिकारी ने कहा कि पुलिस मारे गए तीनों ‘नक्सलियों’ के रिकॉर्ड और पिछली घटनाओं में उनकी संलिप्तता का पता लगा रही है.