आंध्र प्रदेश: स्पीकर ने दलबदल विरोधी क़ानून के तहत आठ विधायकों को अयोग्य घोषित किया

आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तम्मीनेनी सीताराम ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी के चार-चार विधायकों दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने का आदेश जारी किया. अयोग्यता आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से दो सप्ताह पहले की गई है.

आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तम्मीनेनी सीताराम. (फोटो साभार: फेसबुक)

आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तम्मीनेनी सीताराम ने सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी के चार-चार विधायकों दल-बदल विरोधी क़ानून के तहत अयोग्य ठहराने का आदेश जारी किया.

नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष तम्मीनेनी सीताराम ने सोमवार देर रात आठ विधायकों को दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराने का आदेश जारी किया, जिनमें सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी के चार-चार विधायक शामिल हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अयोग्य ठहराए गए वाईएसआरसीपी विधायक हैं – वेंकटगिरी विधायक अनम रामनारायण रेड्डी, ताड़ीकोंडा विधायक उंदावल्ली श्रीदेवी, नेल्लोर ग्रामीण विधायक कोटामरेड्डी श्रीधर रेड्डी और उदयगिरी विधायक मेकापति चंद्रशेखर रेड्डी.

अयोग्य घोषित किए गए टीडीपी के चार विधायक हैं – गुंटूर पश्चिम विधायक मद्दली गिरी, चिराला विधायक करणम बलराम, गन्नावरम विधायक वल्लभनेनी वामसी और वैजाग पश्चिम विधायक वासुपल्ली गणेश.

अयोग्यता आंध्र प्रदेश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से दो सप्ताह पहले की गई है.

राज्य विधानमंडल के महासचिव डॉ. पीपीके रामाचार्युलु ने आठ विधायकों को व्यक्तिगत रूप से भेजे गए एक पत्र में कहा कि वे 15वीं आंध्र प्रदेश राज्य विधानसभा के सदस्यों के रूप में अयोग्य हैं और उनकी सीटें खाली हो गई हैं.

मामले से वाकिफ लोगों ने बताया है कि इसकी प्रतियां चुनाव आयोग को भी भेजी गईं ताकि वह रिक्तियों को अधिसूचित कर सके.

आठ विधायकों की अयोग्यता सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और टीडीपी द्वारा जनवरी में स्पीकर को दायर की गई याचिकाओं के बाद की गई. सरकार के मुख्य सचेतक मुदुनुरु प्रसाद राजू ने चार बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी ह्विप का उल्लंघन किया और पिछले साल मार्च में हुए विधान परिषद चुनाव में टीडीपी उम्मीदवार के पक्ष में मतदान किया.

एक जवाबी याचिका में टीडीपी सचेतक डोला बाला वीरंजनेयस्वामी ने भी स्पीकर को एक याचिका सौंपी, जिसमें 2019 के विधानसभा चुनावों के तुरंत बाद वाईएसआरसीपी में शामिल होने वाले चार टीडीपी विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की गई.

25 जनवरी को स्पीकर ने आठ विधायकों को नोटिस जारी कर उन्हें व्यक्तिगत रूप से उनके सामने पेश होने और स्पष्टीकरण देने के लिए कहा कि उन्हें अयोग्य क्यों नहीं ठहराया जाना चाहिए. बागी वाईएसआरसीपी विधायक अपना पक्ष रखने के लिए सीताराम के सामने पेश हुए और मांग की कि उन्हें सबूत दिया जाना चाहिए कि उन्होंने पार्टी ह्विप का उल्लंघन किया है.

वे फिर से स्पीकर के सामने पेश हुए और लिखित में अपना पक्ष पेश किया. हालांकि, टीडीपी के बागी विधायक अपना बचाव करने के लिए स्पीकर के सामने पेश नहीं हुए. आखिरकार कानूनी सलाह के बाद स्पीकर ने बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का आदेश जारी कर दिया.

संवैधानिक विशेषज्ञ और पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त मदाभुशी श्रीधर ने कहा कि इस स्तर पर आठ विधायकों की अयोग्यता का कोई महत्व नहीं है, जब राज्य में नए सिरे से विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.

श्रीधर ने कहा, ‘किसी भी स्थिति में सभी विधायक केवल कुछ हफ्तों के लिए अपने पद पर रहेंगे. इसलिए, अयोग्य ठहराए जाने के बाद इन आठ विधायकों को कुछ भी नुकसान नहीं होने वाला है. यदि वे अंतिम दिन तक विधायक बने रहना चाहते हैं, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं और स्पीकर के आदेश पर रोक लगा सकते हैं.’

राजनीतिक विश्लेषक और पूर्व विधायक प्रोफेसर के नागेश्वर ने कहा कि दलबदल विरोधी कानून अयोग्य विधायकों को दोबारा चुनाव लड़ने से नहीं रोकेगा. उन्होंने कहा, ‘तो, अयोग्यता का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. यह सिर्फ रिकॉर्ड के लिए है.’

उन्होंने बताया कि अगर टीडीपी ने उम्मीदवार खड़ा किया होता तो बागी विधायकों की अयोग्यता का राज्यसभा चुनाव पर कुछ प्रभाव पड़ता, जिससे मुकाबला अपरिहार्य हो जाता. उन्होंने कहा, ‘लेकिन उसने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया, इस प्रकार वाईएसआरसीपी के सभी तीन सदस्य राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो गए. ऐसे में बागी विधायकों की अयोग्यता का कोई महत्व नहीं है.’

जहां अयोग्य ठहराए गए चार टीडीपी सदस्यों ने कोई टिप्पणी नहीं की है, वहीं वेंकटगिरी के बागी वाईएसआरसीपी विधायक अनम रामनारायण रेड्डी ने कहा कि वह अपने वकीलों से परामर्श करने के बाद अदालत में जाने पर विचार करेंगे. उन्होंने कहा, ‘मुझे अभी तक इस संबंध में विधान सचिवालय से आधिकारिक अधिसूचना नहीं मिली है.’