दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और भारतीय रिज़र्व बैंक को नोटिस जारी करते हुए कहा कि नए नोटों की पहचान में दृष्टिबाधितों को हो रही है परेशानी.
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि दृष्टिबाधितों को सरकार द्वारा चलाए गए नए मुद्रा नोटों व सिक्कों के इस्तेमाल में दिक्कत हो रही है. अदालत ने इस बारे में केंद्र सरकार व भारतीय रिज़र्व बैंक को नोटिस जारी किया है.
इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर लोकहित वाला मामला है और इस पर गंभीरता से ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायाधीश सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने कहा कि देश में अनेक दृष्टिबाधित लोगों को इन नए नोटों के साथ दिक्कत है. कई लोगों के साथ हमारी बातचीत में उन्होंने हमें बताया कि नोटों के आकार में बदलाव के कारण उन्हें बड़ी दिक्कत हो गई है.
अदालत ने इस मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक तथा केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इस बारे में एक याचिका अदालत में दायर की गई है जिसमें मांग है कि नए नोटों को इस तरह डिजाइन किया जाए ताकि दृष्टिबाधित लोग उनकी पहचान कर सकें.
इस मामले में छह दिसंबर को सुनवाई होगी.
सुनवाई में केंद्र सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से पेश हुए अधिवक्ता संजीव नरुला ने कहा कि इस याचिका को अभिवेदन के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता और न्यायालय द्वारा इसे ख़ारिज कर दिया जाना चाहिए.
हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर याचिका को ख़ारिज नहीं किया जा सकता.
आॅल इंडिया कनफेडरेशन आॅफ ब्लाइंड नाम के एनजीओ की ओर से दाख़िल की गई याचिका में कहा गया है कि नोटबंदी के बाद जारी किए गए दो हज़ार, पांच सौ, 200 और 50 के नए नोटों की पहचान, इस्तेमाल और लेन-देन में दृष्टिबाधित लोगों को गंभीर रूप से दिक्कत आ रही है.
याचिका में यह भी दर्शाया गया है नए और पुराने नोटों के आकार में भिन्नता है. याचिकाकर्ता ने दस, पांच, दो और एक रुपये के सिक्कों में यह कहते हुए बदलाव की मांग की है कि ये सिक्के संरचना में लगभग एक समान हैं.
याचिका में कहा गया है नए नोट अक्षम लोगों लिए उपयुक्त होंगे या नहीं इसकी जांच किए बिना ही इन्हें जारी कर दिया गया है. इसके अलावा कुछ नोट पर बने स्पर्श योग्य चिह्न भी मुश्किल से किसी के द्वारा पहचान में आ रहे हैं.
याचिका में इन नए नोटों को एक तय समयसीमा में रद्द करने या फिर इन्हें बदलने का निर्देश अधिकारियों को देने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता का कहना है कि नए जारी हुए नोटों की वजह से दृष्टिबाधितों को रोज़मर्रा के वित्तीय कामों को ख़ुद करने में दिक्कत आ रही है. उन्हें इन नोटों और सिक्कों की पहचान के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)