आंध्र प्रदेश: संघ पदाधिकारी बताकर चुनावी बॉन्ड के नाम पर पूर्व जज से ढाई करोड़ रुपये की ठगी

आंध्र प्रदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएसआर वर्मा ने हैदराबाद पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि उनके साथ फ्रॉड करने वालों ने दावा किया था कि वे उस धन से चुनावी बॉन्ड खरीदेंगे और बदले में उन्हें और उनके पोते-पोतियों को अमेरिका में अच्छी तरह सेटल करेंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Unsplash)

आंध्र प्रदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट में सेवाएं दे चुके सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीएसआर वर्मा ने हैदराबाद पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि उनके साथ फ्रॉड करने वालों ने दावा किया था कि वे उस धन से चुनावी बॉन्ड खरीदेंगे और बदले में उन्हें और उनके पोते-पोतियों को अमेरिका में अच्छी तरह सेटल करेंगे.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Unsplash)

नई दिल्ली: पूर्व न्यायाधीश डीएसआर वर्मा ने उनके परिवार को धोखा देने और चुनावी बॉन्ड जारी करने के नाम पर 2.5 करोड़ रुपये की ठगी करने के लिए मंगलवार (27 फरवरी) को हैदराबाद में दो घोटालेबाजों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया.

रिपोर्ट के अनुसार, वर्मा ने हैदराबाद के फिल्म नगर पुलिस थाने में दर्ज कराई शिकायत में लिखा, ‘हमारे रिश्तेदारों के एक परिचित व्यक्ति नरेंद्र ने इसका फायदा उठाते हुए मुझसे संपर्क किया और केंद्र में सत्तारूढ़ दल के लिए कुछ राशि मांगी, जिसे बॉन्ड के माध्यम से स्वीकार किया जाता.’

आंध्र प्रदेश और इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपनी सेवाएं दे चुके 72 वर्षीय सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने कहा, ‘उनकी बातों पर विश्वास करते हुए मेरी बेटियों और पत्नी ने वर्ष 2021 में समय-समय पर बैंक के जरिये कुल 2.5 करोड़ रुपये भेजे हैं, जिसे वॉट्सऐप टेक्स्ट मैसेज में देखा जा सकता है.’

द न्यूज मिनट से बात करते हुए वर्मा ने बताया कि जिन दो लोगों के खिलाफ उन्होंने शिकायत की है, उनमें से एक अनिल (परिवर्तित नाम) उनके दामाद को जानता था और वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में ‘बड़े नेता’ होने का दावा करते थे.

द न्यूज मिनट ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि अनिल की लिंक्डइन प्रोफाइल में उल्लेख है कि वह विश्व हिंदू कांग्रेस के समन्वयक और विश्व हिंदू आर्थिक मंच (एक संगठन जो आरएसएस के साथ मिलकर काम करता है) का हिस्सा हैं.

वहीं, रिपोर्ट के अनुसार अनिल ने जज के दावे का खंडन करते हुए कहा है कि उनका ‘आरएसएस या भाजपा से कोई संबंध नहीं है.’

अपनी शिकायत में वर्मा ने उल्लेख किया कि फ्रॉड करने वालों ने दावा किया था कि वे पैसे से चुनावी बॉन्ड खरीदेंगे और बदले में ‘उन्हें और उनके पोते-पोतियों को अमेरिका में अच्छी तरह सेटल कर देंगे.’

रिटायर जज ने कहा कि उनके दो पोते-पोतियों ने अमेरिका में पोस्टग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी कर ली है.

वर्मा ने पुलिस शिकायत में लिखा, ‘मेरे सहित मेरे परिवार की आम शिकायत यह है कि बड़ी रकम लेने के बाद भी मेरे अनुरोधों के बावजूद कोई बॉन्ड जारी नहीं किया गया है, न ही मुझ पर या अमेरिका में मेरे पोते-पोतियों के लिए ही कुछ किया गया.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह चुनावी बॉन्ड को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है. वर्तमान मामले में मुझे बॉन्ड जारी करने के मेरे आग्रह के बावजूद ऐसा कुछ नहीं हुआ. किसी भी बॉन्ड को जारी किए बिना लगभग 2.5 करोड़ की राशि का उक्त संग्रह इंगित करता है कि उक्त राशि का अपने लिए दुरुपयोग किया गया है.’

द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, रिटायर जज ने कहा कि उन्होंने सारा पैसा ‘सफेद’ (कानूनी तरीके से) भुगतान किया था.

न्यायाधीश ने समाचार पोर्टल को बताया, ‘पिछले दो वर्षों में कई बार पूछने के बावजूद उन्होंने बॉन्ड जारी नहीं किए.’