राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि ‘हवाई चप्पल वालों को हवाई जहाज़ की यात्रा’ का सपना दिखाकर नरेंद्र मोदी ‘ग़रीबों की सवारी’ रेलवे को भी उनसे दूर करते जा रहे हैं. प्रचार के लिए चुनी गई ट्रेन के लिए आम आदमी की ट्रेनों को जहां-तहां खड़ा कर दिया जाता है, ग़रीब और मध्यमवर्ग रेलवे की प्राथमिकता से बाहर कर दिए गए हैं.
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को आरोप लगाया कि सरकार द्वारा भारतीय रेलवे के लिए नीतियां केवल अमीरों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं और दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा ‘विश्वासघात की गारंटी’ है.
एक्स पर एक पोस्ट में गांधी ने आरोप लगाया कि ‘हवाई चप्पल’ वालों को हवाई जहाज की यात्रा का सपना दिखाकर नरेंद्र मोदी ‘गरीबों की सवारी’ रेलवे को भी उनसे दूर करते जा रहे हैं.
'हवाई चप्पल' वालों को हवाई जहाज की यात्रा का सपना दिखा, नरेंद्र मोदी ‘गरीबों की सवारी’ रेलवे को भी उनसे दूर करते जा रहे हैं।
हर साल 10% बढ़ता किराया, डायनामिक फेयर के नाम पर लूट, बढ़ते कैंसलेशन चार्जेस और महंगे प्लेटफार्म टिकट के बीच लोगों को एक ऐसी ‘एलीट ट्रेन’ की तस्वीर दिखाकर…
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 3, 2024
उन्होंने कहा, ‘हर साल 10% बढ़ता किराया, डायनामिक फेयर के नाम पर लूट, बढ़ते कैंसलेशन चार्जेस और महंगे प्लेटफार्म टिकट के बीच लोगों को एक ऐसी ‘एलीट ट्रेन’ की तस्वीर दिखाकर बहलाया जा रहा है जिस पर गरीब पांव तक नहीं रख सकता.’
उन्होंने दावा किया कि सरकार ने पिछले तीन वर्षों में वरिष्ठ नागरिकों को दी गई छूट ‘छीन’ कर उनसे 3,700 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं.
गांधी ने कहा कि प्रचार के लिए चुनी गई ट्रेन के लिए आम आदमी की ट्रेनों को जहां-तहां खड़ा कर दिया जाता है। गरीब और मध्यमवर्गीय यात्री रेलवे की प्राथमिकता से बाहर कर दिए गए हैं।
उन्होंने दावा किया कि एसी डिब्बों की संख्या बढ़ाने के लिए जनरल डिब्बों की संख्या कम की जा रही है, जिसमें मजदूर और किसान ही नहीं बल्कि छात्र और नौकरी पेशा लोग भी यात्रा करते हैं. उन्होंने कहा, ‘सामान्य डिब्बों के मुकाबले ऐसी डिब्बों का निर्माण भी 3 गुना कर दिया गया है।’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘वास्तविक रेल बजट को पेश करने की अलग परंपरा खत्म करना इन ‘कारनामों’ को छिपाने की साजिश थी.’
उन्होंने कहा कि रेलवे की नीतियां केवल अमीरों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही हैं और यह भारत की 80 प्रतिशत आबादी के साथ ‘विश्वासघात’ है जो इस पर निर्भर है.
गांधी ने दावा किया कि मोदी पर भरोसा ‘विश्वासघात की गारंटी’ है.
कांग्रेस ने रेल किराये में भारी बढ़ोतरी की निंदा की
कांग्रेस ने एक दशक से भी कम समय में 107 फीसदी रेलवे किराये की बढ़ोतरी पर मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि कि रेलवे भारत के समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ‘वसूली’ का साधन नहीं है.
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति किलोमीटर के लिए प्रति रेल यात्री औसत किराया 2013-14 में 0.32 रुपये से बढ़कर 2021-22 में 0.66 रुपये हो गया, जो 107 प्रतिशत की वृद्धि है – भारतीय रेलवे द्वारा रिपोर्ट किया गया एक तथ्य है, लेकिन रेल बजट खत्म होने के बाद शायद ही कभी इस पर प्रकाश डाला गया.
समय के साथ सेवाएं महंगी होती जाती हैं, लेकिन कीमतों को नियंत्रित करने के वादे पर सत्ता में आई सरकार के लिए किराये में 107 फीसदी की बढ़ोतरी सामान्य बात नहीं है. 2003-04 और 2013-14 के बीच मनमोहन सिंह सरकार के तहत प्रति यात्री प्रति किलोमीटर औसत किराया 0.24 रुपये से केवल 33 प्रतिशत बढ़कर 0.32 रुपये हो गया था.
मोदी सरकार में गरीबों से दूर हुई रेल pic.twitter.com/ENkHMc2RID
— Congress (@INCIndia) March 3, 2024
कांग्रेस ने रविवार को इन आंकड़ों को जारी करते हुए कहा कि इससे यह उजागर हो सके कि कैसे बुलेट ट्रेनों के सपने और वंदे भारत के प्रचार ने नरेंद्र मोदी सरकार के तहत भारतीय रेलवे की असलियत को छिपा दिया है.
The first means for ticket vasooli is the fake ‘superfast surcharges.’ Originally meant to apply only to premium trains, it has now been applied to any train service the Modi government chooses.
In October 2022, for example, over 130 ordinary mail express trains across the… pic.twitter.com/KuFKOv1lm4
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 3, 2024
यह तर्क देते हुए कि रेलवे भारत के समाज और अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ‘वसूली’ का साधन नहीं है, कांग्रेस संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा, ‘किसी भी तरह का चालाक पीआर, मंत्रियों द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट और भव्य घोषणाएं इस तरीके को छिपा नहीं सकती हैं. भारतीय रेलवे को पूरी तरह से कुप्रबंधित किया गया है.’