सुप्रीम कोर्ट के रिश्वत के मामले में सांसदों-विधायकों का विशेषाधिकार रद्द करने समेत अन्य ख़बरें

द वायर बुलेटिन: आज की ज़रूरी ख़बरों का अपडेट.

(फोटो: द वायर)

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सुप्रीम कोर्ट ने झामुमो रिश्वत मामले में अपने साल 1998 के बहुमत के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि संसद और विधानसभाओं के सदस्यों को मतदान के लिए रिश्वत लेने या सदन में एक निश्चित तरीके से बोलने के लिए अभियोजन से छूट दी गई थी. लाइव लॉ के अनुसार, सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली की सात न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि पिछले फैसले का सार्वजनिक हित, सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और संसदीय लोकतंत्र पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. अगर इस पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो इस अदालत द्वारा त्रुटि को बरकरार रखने की अनुमति देने का गंभीर खतरा है. साल 2012 में झारखंड मुक्ति मोर्चा नेता सीता सोरेन पर राज्यसभा वोट के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था और उन्होंने अनुच्छेद 194(2) के तहत छूट का दावा किया था. जब झारखंड हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी, तो सोरेन ने इसे शीर्ष अदालत में चुनौती दी, जिसने अक्टूबर 2023 में मामले की सुनवाई शुरू की थी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिश्वत का अपराध रिश्वत लेते ही ‘पूर्ण’ हो जाता है और यह इस बात पर निर्भर नहीं हो सकता है कि इसे पाने वाले ने वादा पूरा किया है या नहीं.

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी से भाजपा सांसद उपेंद्र सिंह रावत ने लोकसभा चुनाव का टिकट लौटा दिया है. एनडीटीवी के अनुसार, रावत ने यह निर्णय एक कथित आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने के बाद लिया है. उनका कहना है कि जब तक उन्हें इस मामले में क्लीन चिट नहीं मिल जाती है, वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. शनिवार को जारी भाजपा के 195 प्रत्याशियों की पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई मौजूदा सांसदों का नाम था. उपेंद्र सिंह रावत को भी उनकी बाराबंकी सीट से दोबारा टिकट दिया गया था. रावत ने उक्त आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद कहा था कि यह एडिटेड वीडियो है जो डीपफेक एआई द्वारा जेनरेटेड है, जिस बाबत उन्होंने एफआईआर दर्ज करवाई है. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से जांच का  जोड़ा है कि ‘जब तक मैं निर्दोष साबित नहीं होता सार्वजनिक जीवन में कोई चुनाव नहीं लडूंगा.’

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में शर्मनाक हार के कुछ दिनों बाद भाजपा ने दोनों डिप्टी मेयर पदों पर जीत दर्ज की है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सोमवार को हुए पुनर्मतदान में ‘इंडिया’ गठबंधन- आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस, द्वारा संयुक्त रूप से मैदान में उतारे गए प्रत्याशियों को हराया. भाजपा के कुलजीत संधू ने गठबंधन उम्मीदवार गुरप्रीत सिंह गबी के खिलाफ 3 वोटों के अंतर से जीत हासिल की. भाजपा ने डिप्टी मेयर का पद भी दो वोटों के अंतर से जीत लिया. भाजपा के राजिंदर शर्मा को जहां 19 वोट मिले, वहीं गठबंधन प्रत्याशी निर्मला देवी को 17 वोट मिले. कुल 36 वोट पड़े. 30 जनवरी को भाजपा के मेयर पद के उम्मीदवार मनोज सोनकर – जो मेयर घोषित होने के बाद इस चुनाव के प्रारंभिक पीठासीन अधिकारी थे- ने संधू और शर्मा को क्रमशः वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर घोषित किया था.हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ नगर निगम का वैध रूप से निर्वाचित मेयर घोषित फैसले के बाद इस निर्णय को रद्द कर दिया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी (आप) को दिल्ली के राउज़ एवेन्यू में उस जमीन को खाली करने का निर्देश दिया है जहां उसका पार्टी मुख्यालय बना हुआ है. लाइव लॉ के मुताबिक, इसे ‘अतिक्रमण’ बताते हुए शीर्ष अदालत ने आगामी लोकसभा चुनावों के चलते पार्टी को दफ्तर खाली करने के लिए 15 जून तक का समय दिया है. शीर्ष अदालत ने फरवरी में पाया था कि आम आदमी पार्टी उस जमीन पर अतिक्रमण कर रही है, जो दिल्ली उच्च न्यायालय को एक विस्तार परियोजना – राउज़ एवेन्यू कोर्ट के लिए अतिरिक्त कोर्ट रूम के निर्माण के लिए आवंटित की गई थी. शीर्ष अदालत ने देश भर में न्यायिक बुनियादी ढांचे से संबंधित मामले के दौरान इस मामले पर ध्यान दिया था. आप  ने तर्क दिया है कि राउज़ एवेन्यू कोर्ट के पास उसका पार्टी कार्यालय ‘अतिक्रमण’ नहीं है क्योंकि इसे कोर्ट के विस्तार के लिए आवंटित किए जाने से बहुत पहले आवंटित किया गया था. हालांकि, अदालत ने आप से इसके कार्यालयों के लिए भूमि आवंटन के लिए भूमि एवं विकास कार्यालय (एलडीओ) से संपर्क करने को भी कहा है.

केंद्र सरकार के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत पतंजलि के संस्थान को दूसरा प्रोजेक्ट दिया गया है. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, सरकार ने हरिद्वार स्थित पतंजलि ऑर्गेनिक रिसर्च इंस्टिट्यूट (पीओआरआई) को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उत्पन्न गाद (sludge) को प्राकृतिक खेती के लिए जैव-ठोस में बदलने और मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने के लिए एक अध्ययन करने के एक परियोजना सौंपी है. परियोजना के प्रस्ताव को राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा अनुमोदित किया गया है जो जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत आता है और केंद्र के महत्वाकांक्षी नमामि गंगे कार्यक्रम को लागू करता है. यह पहली बार नहीं है जब केंद्र ने पतंजलि के संस्थान को कोई प्रोजेक्ट सौंपा है. इससे पहले दिसंबर 2022 में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने गंगा के किनारे पुष्प विविधता की ‘वैज्ञानिक खोज’ के लिए इस संस्थान के साथ पतंजलि अनुसंधान संस्थान को 4.32 करोड़ रुपये की एक परियोजना सौंपी थी.