वॉट्सऐप ग्रुप में मैसेज फॉरवर्ड करना अनुशासनात्मक कार्रवाई का आधार नहीं हो सकता: हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में एक सरकारी कर्मचारी के ख़िलाफ़ एक वॉट्सऐप ग्रुप में कथित आपत्तिजनक संदेश फॉरवर्ड करने के लिए सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. अब हाईकोर्ट ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप में संदेश फॉरवर्ड करना नियम 3 के किसी भी प्रावधान के दायरे में नहीं आता.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Allen Allen/Flickr CC BY 2.0)

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर में एक सरकारी कर्मचारी के ख़िलाफ़ एक वॉट्सऐप ग्रुप में कथित आपत्तिजनक संदेश फॉरवर्ड करने के लिए सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था. अब हाईकोर्ट ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप में संदेश फॉरवर्ड करना नियम 3 के किसी भी प्रावधान के दायरे में नहीं आता.

(प्रतीकात्मक फोटो साभार: Allen Allen/Flickr CC BY 2.0)

नई दिल्ली: एक सरकारी कर्मचारी को राहत देते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार वॉट्सऐप ग्रुप पर कथित तौर पर राजनीतिक संदेश फॉरवर्ड करने के लिए उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अलीराजपुर में एक सरकारी कर्मचारी के खिलाफ एक वॉट्सऐप ग्रुप, जिसमें कई अन्य कर्मचारी शामिल थे, में कथित आपत्तिजनक संदेश फॉरवर्ड करने के लिए सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1965 के नियम 3 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया था.

याचिकाकर्ता का कहना था कि उनकी छह वर्षीय बेटी उनका मोबाइल चला रही थी और अनजाने में उसने ग्रुप में संदेश फॉरवर्ड कर दिया, इसलिए, यह जानबूझकर और वास्तविक गलती नहीं थी और माफी मांगी थी.

जस्टिस विवेक रूसिया की एकल-न्यायाधीश पीठ ने 28 फरवरी को पारित अपने आदेश में कहा, ‘वैसे भी वॉट्सऐप ग्रुप में किसी भी संदेश को फॉरवर्ड करना नियम 3(1)(i) और (iii) 1965 के किसी भी प्रावधान के दायरे में नहीं आता है.’

अदालत ने कहा, ‘यदि कोई सदस्य वॉट्सऐप ग्रुप में कोई संदेश फॉरवर्ड करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह उसकी निजी राय है. वॉट्सऐप ग्रुप में भेजा गया टेक्स्ट, फोटो या वीडियो के रूप में कोई भी संदेश उक्त ग्रुप के सदस्यों तक ही सीमित है. यह नहीं कहा जा सकता कि संदेश सार्वजनिक कर दिया गया था.’

अदालत ने कहा कि ‘वॉट्सऐप ग्रुप हमेशा संपर्क सूची में से दोस्तों और समान विचारधारा वाले लोगों द्वारा बनाया जाता है.’

आदेश में कहा गया है, ‘पूर्व अनुमति के बिना किसी तीसरे व्यक्ति को ग्रुप में नहीं जोड़ा जा सकता है. यदि ग्रुप का कोई सदस्य जारी रखने का इच्छुक नहीं है, तो वह ग्रुप से बाहर निकल सकता है या अपने मोबाइल से ग्रुप को हटा सकता है. अत: यह एक व्यक्तिगत एवं निजी ग्रुप है जिसका सरकार के कार्यालय के कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है. सरकार ने सरकारी कर्मचारी/कार्यालय के लिए वॉट्सऐप ग्रुप बनाने के लिए कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है या कोई वैधानिक प्रावधान नहीं किया है, इसलिए, ग्रुप में सरकारी कर्मचारी की किसी भी गतिविधि को गंभीर अनुशासनात्मक नियमों से नहीं जोड़ा जा सकता है.’

याचिकाकर्ता के वकील अभिषेक शारदा ने अपने मुवक्किल के खिलाफ आरोप पत्र को इस आधार पर चुनौती दी थी कि उन्होंने ‘सार्वजनिक रूप से कोई अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है और यह ग्रुप केवल ग्रुप के सदस्यों तक ही सीमित है.’

शारदा ने तर्क दिया, ‘फॉरवर्ड किया गया संदेश उनकी निजी राय नहीं है, यह केवल एक संदेश था जो उनके मोबाइल पर दूसरे ग्रुप से आया था, जिसे उन्होंने बिना किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति या धर्म को बदनाम करने के इरादे से फॉरवर्ड किया था.’

वहीं, राज्य सरकार, जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों ने तर्क दिया था कि ‘याचिकाकर्ता से वॉट्सऐप ग्रुप में भी इस तरह के राजनीतिक संदेश को फॉरवर्ड करने की उम्मीद नहीं की जाती है.’