लोकसभा चुनाव से पहले चुनाव आयुक्त का इस्तीफ़ा चौंकाने वाला, सरकार बैठाएगी अपने लोग: विपक्ष

लोकसभा चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल द्वारा निर्वाचन आयोग से इस्तीफ़ा देने पर विपक्षी दलों ने कहा है कि नए क़ानून के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके द्वारा चुने गए एक मंत्री के बहुमत से की जाएगी. फलस्वरूप, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी अब 3 में से 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बहुत ही चिंता का विषय है.

(फोटो साभार: ईसीआई/पीटीआई)

लोकसभा चुनाव से कुछ ही सप्ताह पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल द्वारा निर्वाचन आयोग से इस्तीफ़ा देने पर विपक्षी दलों ने कहा है कि नए क़ानून के मुताबिक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके द्वारा चुने गए एक मंत्री के बहुमत से की जाएगी. फलस्वरूप, लोकसभा चुनावों से पहले मोदी अब 3 में से 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बहुत ही चिंता का विषय है.

(फोटो साभार: ईसीआई/पीटीआई)

नई दिल्ली: विपक्षी दलों ने शनिवार को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयुक्त के पद से अरुण गोयल के इस्तीफे पर चिंता व्यक्त की है.

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, कानून मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना में कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को गोयल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया.

गोयल के इस्तीफे के साथ ही, चुनाव आयोग में अब केवल एक सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार बचे हैं और कोई चुनाव आयुक्त नहीं है.

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले गोयल के इस्तीफे को बेहद चिंताजनक बताया.

उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए यह बेहद चिंताजनक है कि चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने लोकसभा चुनाव के ठीक पहले इस्तीफा दे दिया है. ईसीआई जैसी संवैधानिक संस्था कैसे काम कर रही है और सरकार उन पर किस तरह दबाव डालती है, इसमें बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है.’

उन्होंने लिखा, ‘2019 के चुनावों के दौरान, (पूर्व चुनाव आयुक्त) अशोक लवासा ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए पीएम को क्लीन चिट देने के खिलाफ असहमति जताई थी. बाद में, उन्हें (लवासा) निरंतर जांच का सामना करना पड़ा. यह रवैया दर्शाता है कि शासन लोकतांत्रिक परंपराओं को नष्ट करने पर तुला हुआ है. इसे स्पष्ट किया जाना चाहिए, और ईसीआई को हर समय पूरी तरह से गैर-पक्षपातपूर्ण होना चाहिए.’

तृणमूल सांसद साकेत गोखले ने भी गोयल के इस्तीफे को ‘बहुत चिंताजनक’ बताया.

साकेत ने एक्स पर लिखा, ‘मोदी सरकार ने एक नया कानून पेश किया है, जहां चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति अब पीएम मोदी और उनके द्वारा चुने गए एक मंत्री के बहुमत से की जाएगी. फलस्वरूप, आज के इस्तीफे के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले मोदी अब 3 में से 2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेंगे. यह बहुत ही ज्यादा चिंता का विषय है.’

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने अरुण गोयल के इस्तीफे पर खड़े हो रहे सवालों के संदर्भ में एएनआई से कहा, ‘सिर्फ विपक्ष सवाल खड़े नहीं कर रहा, एक आम आदमी के जहन में क्या चल रहा है… पूरी व्यवस्था के साथ आप खिलवाड़ कर रहे हैं. अभी जो आपने कानून बनाया है उसके बाद तो सारी शक्ति सत्ता में बैठे लोगों के पास है कि वो (चुनाव आयोग में) किसको बैठाएं, किस प्यादे को वहां रख दें और एक स्क्रिप्ट पकड़ा दें.’

वह आगे बोले, ‘चुनाव आयोग में अब सिर्फ एक व्यक्ति बचे हैं, ये हमारे लोकतंत्र के बारे में क्या बोल रहा है, दुनिया में क्या संदेश जा रहा है… सत्तारूढ़ दल के पक्ष में व्यवस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.’

वह केंद्र सरकार और भाजपा पर तंज कसते हुए कहते हैं, ‘हम तो कह रहे हैं कि चुनाव क्यों करवा रहे हो? मन से 400-405 सीट ले लो कहीं से भी.. चुनाव का नाटक क्यों?’

वहीं, राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल एएनआई से बोले, ‘यह यकीनन आश्चर्यचकित करता है. यदि चुनाव के ठीक पहले, जो कुछ ही महीने दूर है, आप इस्तीफा दे देते हैं – तो जाहिर है कि कुछ गंभीर बात है जिसके आधार पर उन्होंने इस्तीफा दिया होगा. मैं संभवतः कारण का अनुमान नहीं लगा सकता, लेकिन जाहिर तौर पर कुछ तो मतभेद हैं, खासकर तब जब उनका कार्यकाल अभी खत्म नहीं हुआ है.’

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाला है कि चुनाव आयोग 13 मार्च के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों की घोषणा करने वाला है, और उससे कुछ दिन पहले चुनाव आयुक्त गोयल अपना इस्तीफा पेश करते हैं.

उन्होंने कहा, ‘संसद में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति का जो विधेयक लाया गया था, मैंने शुरू में ही खुलकर कहा था कि ये गलत तरीके से सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाकर चुनाव आयुक्तों को नियुक्त कर रहे हैं. नियुक्ति करने वाली समिति में दो लोग सरकार के होंगे तो जाहिर है कि वे अपनी पसंद के ही शख्स को चुनाव आयुक्त बनाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समिति में सरकार का बहुमत नहीं होना चाहिए. ‘

 

ओवैसी ने कहा, ‘बेहतर होगा कि स्वयं गोयल या सरकार बताए कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ऐन पहले इस्तीफे का क्या कारण है.’

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