‘चुनावी बॉन्ड फैसला मोदी सरकार के भ्रष्टाचार और लेन-देन की कलई खुलने की पहली सीढ़ी है’

भारतीय स्टेट बैंक की चुनावी बॉन्ड के विवरण जारी करने के लिए मांगे गए समय विस्तार की याचिका ख़ारिज किए जाने का स्वागत करते हुए मामले के याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज़ ने कहा है कि यह फैसला भारतीय नागरिकों के यह 'जानने के अधिकार' को बरक़रार रखता है कि किस पार्टी को कौन, कितना पैसा दे रहा है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

भारतीय स्टेट बैंक की चुनावी बॉन्ड के विवरण जारी करने के लिए मांगे गए समय विस्तार की याचिका ख़ारिज किए जाने का स्वागत करते हुए मामले के याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज़ ने कहा है कि यह फैसला भारतीय नागरिकों के यह ‘जानने के अधिकार’ को बरक़रार रखता है कि किस पार्टी को कौन, कितना पैसा दे रहा है.

(इलस्ट्रेशन: द वायर)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (11 मार्च) को चुनावी बॉन्ड योजना मामले में सुनवाई करते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को बॉन्ड संबंधी विवरण जारी करने के लिए एक दिन यानी 12 मार्च तक का समय दिया है.

हालांकि, इससे पहले 15 फरवरी को शीर्ष अदालत ने चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था और 6 मार्च तक इनका विवरण भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को जमा करने के निर्देश दिए थे. एसबीआई ने इस आदेश का अनुपालन न करते हुए एक आवेदन के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से 30 जून तक के समय विस्तार की मांग की थी.

आदेश की अवहेलना करने पर मामले के याचिकाकर्ता एनजीओ कॉमन कॉज और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने अवमानना याचिका के साथ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल के लिए अवमानना कार्रवाई से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यदि एसबीआई नवीनतम आदेश का अनुपालन करने में विफल होता है, तब जानबूझकर न्यायालय के आदेश की अवज्ञा करने को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी.

याचिकाकर्ता कॉमन कॉज ने एक बयान जारी करके शीर्ष अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है.

एनजीओ ने सोमवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है, ‘एडीआर और कॉमन कॉज़ की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत मिले ‘सूचना के अधिकार’ का उल्लंघन मानकर रद्द कर दिया था. चुनावी बॉन्ड योजना की संवैधानिकता को सबसे पहले (वर्ष 2017 में) कॉमन कॉज़ और एडीआर ने चुनौती दी थी, जबकि अन्य (माकपा और कांग्रेस की जया ठाकुर) क्रमशः 2018 और 2022 में शामिल हुए थे.’

उन्होंने आगे कहा है, ‘याचिकाकर्ताओं ने इस योजना से भारत की स्वायत्तता और उसके स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों के समक्ष पैदा हुए खतरों की तरफ सर्वोच्च न्यायालय का ध्यान खींचा था. सीजेआई ने सुनवाई के दौरान एसबीआई से पूछा कि हमने 15 फरवरी को फैसला दिया था. आज 11 मार्च है. 26 दिन बीतने को आए हैं, आपने अभी तक क्या काम किया है? सीजेआई की टिप्पणियों ने एसबीआई के अहंकार और अवज्ञा को उजागर किया है.’

कॉमन कॉज़ 1980 से सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा और शासन-व्यवस्था में सुधारों के लिए काम कर रहा है. कॉमन कॉज ने पुलिस सुधारों पर विस्तृत रिपोर्ट भी तैयार की है, जिसे स्टेटस ऑफ पुलिसिंग इन इंडिया (एसपीआईआर) के नाम से जाना जाता है.

कॉमन कॉज ने अपने बयान में कहा है, ‘आज का फैसला भारतीय नागरिकों के इस बात को ‘जानने के अधिकार’ को बरकरार रखता है कि किस राजनीतिक दल को कौन, और कितना पैसा दे रहा है.’

साथ ही कहा  है, ‘कॉमन कॉज भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए लड़ी जा रही लोकतांत्रिक लड़ाई को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है.’

वहीं, एक अन्य याचिकाकर्ता माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने एएनआई से बातचीत में कहा, ‘हम इसका स्वागत करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की याचिका खारिज कर दी. यह देश में राजनीतिक फंडिंग को लेकर पारदर्शिता के हित में है, विशेष तौर पर चुनावी फंडिंग…’

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर विवरण डाले जाने के साथ ही यह भी स्पष्ट सामने आ जाएगा कि जिन्होंने बॉन्ड खरीदकर सत्तारूढ़ दल को दान दिए, उन्हें इसके बदले में क्या लाभ पहुंचाया गया.

इस बीच, मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए कहा है कि यह फैसला मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, घपलों और लेन-देन की कलई खुलने की ये पहली सीढ़ी है.

पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर किए पोस्ट में कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पारदर्शिता, जवाबदेही, और लोकतंत्र में बराबरी के मौक़े की जीत है.

उन्होंने लिखा, ‘चुनावी बॉन्ड प्रकाशित करने के लिए एसबीआई  द्वारा साढ़े चार महीनें मांगने के बाद साफ़ हो गया था कि मोदी सरकार अपने काले कारनामों पर पर्दा डालने की हर संभव कोशिश कर रही है. आज के माननीय सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से देश को जल्द चुनावी बॉन्ड से भाजपा के चंदा देने वालों की लिस्ट पता चलेगी. मोदी सरकार के भ्रष्टाचार, घपलों और लेन-देन की कलई खुलने की ये पहली सीढ़ी है.’

उन्होंने जोड़ा, ‘अब भी देश को ये नहीं पता चलेगा कि भाजपा के चुनिंदा पूंजीपति चंदाधारक किस-किस ठेके के लिए मोदी सरकार को चंदा देते थे, उसके लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट को उचित निर्देश देने चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स से ये तो उजागर हुआ ही है कि भाजपा किस तरह ईडी-सीबीआई-आईटी रेड डलवाकर जबरन चंदा वसूलती थी. सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला पारदर्शिता, जवाबदेही, और लोकतंत्र में बराबरी के मौक़े की जीत है.’

एक्स पर किए एक पोस्ट में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र को इस सरकार की कुटिल साजिशों से बचाने के लिए आया है. एक दिन के साधारण से काम के लिए एसबीआई द्वारा और समय की मांग करना हास्यास्पद था. सच तो यह है कि सरकार को अपने सारे राज़ सामने आ जाने का डर है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रमाणित यह महाभ्रष्टाचार घोटाला भाजपा और उसके भ्रष्ट कॉरपोरेट आकाओं के बीच अपवित्र सांठगांठ का पर्दाफाश कर देगा.’

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