मालेगांव बम विस्फोट में मुख्य आरोपी भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर के सोमवार को मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत में पेश न होने पर कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ वॉरंट जारी किया है. बताया गया है कि ठाकुर अदालत में पेश होकर क़ानूनी प्रक्रिया के अनुसार वॉरंट को रद्द करवा सकती हैं.
नई दिल्ली: मुंबई की एक विशेष एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट में मुख्य आरोपी भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ अदालत में पेश नहीं होने पर 10,000 रुपये का जमानती वॉरंट जारी किया.
विशेष अदालत ने प्रज्ञा और अन्य आरोपियों को अपने बयान दर्ज कराने के लिए सोमवार को उपस्थित रहने का निर्देश दिया था.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सुनवाई के दौरान ठाकुर के वकील ने उनकी स्वास्थ्य स्थिति बताते हुए अदालत में पेश होने से छूट की मांग की. हालांकि, विशेष एनआईए न्यायाधीश एके लाहोटी ने याचिका खारिज कर दी और कहा कि यह विशेष रूप से निर्देशित किया गया था कि आरोपी को मूल मेडिकल प्रमाण पत्र के साथ 11 मार्च, 2024 को अदालत में उपस्थित रहनेा होगा, लेकिन न तो वह उपस्थित हुईं, न ही मूल चिकित्सा प्रमाण पत्र रिकॉर्ड पर पेश किया गया.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 5 मार्च को सुनवाई के दौरान जब अदालत ने उसे एक मेडिकल प्रमाणपत्र की फोटोकॉपी के आधार पर उपस्थित होने से छूट दी थी, जिसमें कहा गया था कि उसे आराम की जरूरत है, तब अदालत ने उसे मूल प्रमाणपत्र पेश करने का निर्देश दिया था.
बताया जा रहा है कि ठाकुर अदालत के समक्ष उपस्थित हो सकती हैं और कानूनी प्रक्रिया के अनुसार वॉरंट को रद्द करवा सकती हैं. एनआईए को भी 20 मार्च तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.
संसद सदस्य बनने के बाद ठाकुर कई अदालती तारीखों पर अनुपस्थित रहीं और यहां तक कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत उनके बयान की रिकॉर्डिंग को भी उनकी अनुपस्थिति के कारण स्थगित करना पड़ा.
गौरतलब है कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में मस्जिद के पास मोटरसाइकिल में छिपाकर रखे गए विस्फोटक में हुए धमाके से छह लोगों की मौत हो गई थी और करीब 100 अन्य लोग घायल हुए थे. महाराष्ट्र के नासिक जिला स्थित मालेगांव सांप्रादायिक रूप से संवेदनशील शहर है.
महाराष्ट्र पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक हमले में इस्तेमाल मोटरसाइकिल वर्तमान में भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम रजिस्टर थी, जिसके आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई. इस मामले की जांच बाद में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने अपने हाथ में ली और इस समय सभी आरोपी जमानत पर हैं.
मालूम हो बीते दिसंबर 2022 में प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले से खुद को आरोपमुक्त किए जाने संबंधी अपनी याचिका बॉम्बे हाईकोर्ट से वापस ले ली थी.
आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य करना) और 18 (आतंकी साजिश रचना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
इसके अलावा उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 324 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 153ए (दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं.
वर्तमान में मामले को लेकर प्रज्ञा ठाकुर सहित सात आरोपियों पर मुकदमा चल रहा है, जो आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 313 के तहत आरोपियों के बयान दर्ज करने के चरण में है.
एनआईए ने कुल 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 37 मुकर गए. ट्रायल कोर्ट ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत आरोपियों के बयान भी दर्ज किए हैं – ताकि उन्हें मुकदमे के दौरान उनके खिलाफ परिस्थितियों और सबूतों को समझाने का मौका दिया जा सके.
अभियोजन पक्ष ने 14 सितंबर, 2023 को सात आरोपियों – भाजपा सांसद, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, सुधाकर धर द्विवेदी, मेजर (सेवानिवृत्त) रमेश उपाध्याय, अजय राहिरकर, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी के खिलाफ अपने साक्ष्य बंद कर दिए थे.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले महीने विशेष अदालत ने सभी आरोपियों को उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए कहा था कि अब से यह जरूरी होगा कि वे तय तारीखों पर अदालत में मौजूद रहें.
प्रज्ञा द्वारा खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए एक दिन के लिए पेशी से छूट मांगने के बाद अदालत ने बाद में एक आदेश पारित किया था. इसने उस दिन के लिए छूट की अनुमति दी थी, लेकिन निर्दिष्ट किया कि उसे केवल उस विशेष दिन पर उपस्थिति से छूट दी गई है.
अदालत ने पिछले महीने कहा था, ‘यह देखा गया है कि वर्तमान आरोपी (प्रज्ञा ठाकुर) और कुछ अन्य आरोपी निश्चित तारीखों पर नियमित रूप से अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे हैं. समय-समय पर उनके द्वारा बताए गए कारणों से छूट संबंधी उनके आवेदनों पर न्यायालय द्वारा विचार भी किया जाता है. यह भी देखा गया है कि कुछ आरोपी दूसरे राज्यों के निवासी हैं और आवेदन दायर करते समय वे उल्लेख करते थे कि उन्हें अंतिम समय में टिकट लेने में कठिनाई का होती है. इसी कठिनाई को दूर करने के लिए सभी आरोपियों को अग्रिम तारीखें दी जाती हैं. इसलिए, इसके बाद उक्त मुद्दे पर विचार नहीं किया जाएगा.’