निर्वाचन आयोग द्वारा प्रकाशित जानकारी की अवधि में कुल 12,155 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स खरीदे गए थे. इस राशि का लगभग 7.4% फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने खरीदा था. इसमें से यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में सर्वाधिक छह चरणों में 80 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 80 करोड़ रुपये है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार चुनाव आयोग ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से मिली चुनावी बॉन्ड की जानकारी अपनी वेबसाइट पर गुरुवार को सार्वजनिक कर दी है. इस डेटा से कई अहम खुलासे हुए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 30 फार्मा और हेल्थकेयर कंपनियों ने 5 करोड़ रुपये से अधिक के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिसकी कीमत लगभग 900 करोड़ रुपये है. यह जारी किए गए डेटा में उल्लिखित कुल 12,155 करोड़ रुपये की राशि का लगभग 7.4% है.
चुनावी बॉन्ड के इन शीर्ष खरीदारों में यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल (162 करोड़ रुपये), हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लेबोरेटरी (80 करोड़ रुपये), अहमदाबाद की टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स (77.5 करोड़ रुपये), हैदराबाद स्थित नैटको फार्मा (69.25 करोड़ रुपये) और हैदराबाद-हेटेरो फार्मा और इसकी सहायक कंपनियां शामिल हैं.
इन कंपनियों के अलावा बायोकॉन लिमिटेड की संस्थापक किरण मजूमदार शॉ ने भी 6 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. उद्योग जगत से चुनावी बॉन्ड के अन्य बड़े खरीदारों में सिप्ला (39.2 करोड़ रुपये) का नाम भी इस सूची में है.
कौन हैं चुनावी बॉन्ड के बड़े खरीदार?
सबसे बड़े खरीदार यशोदा सुपर-स्पेशियलिटी अस्पताल ने अप्रैल 2022 में सबसे अधिक छह चरणों में 80 बॉन्ड खरीदे, जिसकी कीमत 80 करोड़ रुपये है. हालांकि पप्रकाशित किए डेटा से इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है कि इस चुनावी बॉन्ड का खरीदार हैदराबाद स्थित अस्पताल था या गाजियाबाद अस्पताल, क्योंकि इसमें दोनों का नाम एक ही है.
कथित तौर पर 550 करोड़ रुपये की बेहिसाब आय को लेकर पड़े आयकर विभाग के छापे के बाद हेटेरो फार्मा ने अप्रैल 2022 और जुलाई और अक्टूबर 2023 में चुनावी बॉन्ड खरीदे. हेटेरो फार्मा सक्रिय तौर पर फार्मास्युटिकल सामग्री के निर्माण के साथ-साथ हृदय रोगों, कैंसर और डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों के लिए दवा बनाने के लिए जाना जाता है.
डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरीज जेनेरिक, ब्रांडेड जेनेरिक और बायोलॉजिक्स के बाजार में एक बड़ा नाम है. हालांकि ये कंपनी सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) बनाने वाली बड़ी कंपनियों में से एक हैं.
गौरतलब है कि महामारी के दौरान सरकार ने एपीआई के स्वदेशी विनिर्माण पर जोर दिया और अपनी उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के जरिये इसे निर्माण करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता दी.
कोविड-19 टीके बनाने वाली कंपनियों ने भी दिया चंदा
स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से छठा सबसे बड़ा चुनावी बॉन्ड खरीदार, डिविज़ लेबोरेटरी है, जो दुनिया में सबसे बड़े एपीआई निर्माताओं में से एक है. इसके अलावा, नैटको और टोरेंट दोनों फार्मास्यूटिकल्स अपनी हृदय और मधुमेह दवाओं के लिए जाने जाते हैं.
हैदराबाद स्थित वैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक (10 करोड़ रुपये) और बायोलॉजिकल ई (5 करोड़ रुपये), जिन्हें कोविड-19 टीकों के लिए सरकारी मंजूरी मिली थी, इन कंपनियों का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं.
बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 12 मार्च तक चुनावी बॉन्ड की ख़रीद से जुड़ी जानकारी निर्वाचन आयोग को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था. आयोग को इस जानकारी को 15 मार्च की शाम पांच बजे तक अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करने निर्देश दिया गया था. आयोग ने 14 मार्च की शाम इस डेटा को सार्वजनिक किया.
द वायर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि चुनावी बॉन्ड के बड़े खरीददारों के रूप में सूचीबद्ध कई कंपनियां केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में हैं और उन्हें दर्ज मामलों और छापों का सामना करना पड़ा है. अन्य ख़बरों में यह भी सामने आया है कि कुछ कंपनियों ने अपने वार्षिक मुनाफे से कहीं अधिक मूल्य के चुनावी बॉन्ड खरीदे थे.