चुनावी बॉन्ड सबसे बड़ा वसूली रैकेट, भाजपा का खाता फ्रीज़ कर कोर्ट को जांच करनी चाहिए: कांग्रेस

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट’ बताया. वहीं, पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुप्रीम कोर्ट से सत्तारूढ़ भाजपा के ख़िलाफ़ उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को फ्रीज़ करने की मांग की.

(प्रतीकात्मक फोटो: Pexels/pexels license)

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट’ बताया. वहीं, पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सुप्रीम कोर्ट से सत्तारूढ़ भाजपा के ख़िलाफ़ उच्च स्तरीय जांच और उसके बैंक खातों को फ्रीज़ करने की मांग की.

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नई दिल्ली: भाजपा और प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को चुनावी बॉन्ड योजना को ‘दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट’ बताया, जबकि उनकी पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच और उसकी बैंक खातों को फ्रीज करने की मांग की.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि बॉन्ड योजना ‘रिश्वतखोरी को वैध बनाने’ के लिए तैयार की गई थी और यह सुनिश्चित किया गया था कि सत्तारूढ़ दल इसका सबसे बड़ा लाभार्थी बने.

चुनाव आयोग द्वारा बॉन्ड खरीदने वालों का विवरण जारी करने के एक दिन बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने कहा कि आंकड़ों से पता चलता है कि भाजपा को कुल चुनावी बॉन्ड का 50 प्रतिशत धन मिला, जबकि कांग्रेस को केवल 11 प्रतिशत धन मिला.

प्रधानमंत्री मोदी पर तंज कसते हुए खरगे ने कहा, ‘प्रधानमंत्री कहते हैं ‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने इसका पर्दाफाश कर दिया है कि भाजपा ने कैसा हाल बना लिया है’ चुनावी बॉन्ड से निकला पैसा एसबीआई डेटा से पता चलता है कि भाजपा को 50 फीसदी चंदा मिला और कांग्रेस को केवल 11 फीसदी चंदा मिला.’

उन्होंने कहा, ‘कई संदिग्ध चंदा देने वाले हैं. ये लोग हैं कौन? ये कौन सी कंपनियां हैं? इतनी सारी कंपनियों ने ईडी, आईटी और सीबीआई छापों के बाद ही चंदा क्यों दिया है? ऐसी कंपनियों पर दबाव किसने डाला? हम भाजपा द्वारा भ्रष्टाचार की इस गाथा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘जांच के साथ-साथ हम मांग करते हैं कि चुनावी बॉन्ड योजना के माध्यम से प्राप्त धन की अवैध प्रकृति के कारण भाजपा के बैंक खातों को तत्काल प्रभाव से फ्रीज कर दिया जाना चाहिए.’

वहीं, राहुल गांधी ने मुंबई के पास भिवंडी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह दुनिया के सबसे बड़े जबरन वसूली रैकेट और भ्रष्टाचार घोटाले के अलावा कुछ नहीं है. यह कॉरपोरेट्स से शेयर लेने का एक जरिया है… उन्हें उनसे हफ्ता लेने का ठेका देना है. इस (चुनावी बॉन्ड) सूची में शेल कंपनियां और सीबीआई और ईडी द्वारा दबाव वाली कंपनियां शामिल हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यह पता चला है कि यह भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट्स से पैसे ऐंठने का एक तरीका है, यह देश के सबसे बड़े कॉन्ट्रैक्ट से पैसे चुराने का एक तरीका है. यह कॉरपोरेट्स को डराने और उन्हें भाजपा को पैसा देने के लिए मजबूर करने का एक तरीका है. तो यह दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला है, यह दुनिया का सबसे बड़ा जबरन वसूली रैकेट है और इसे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा चलाया जाता है.’

यह याद दिलाने पर कि विपक्षी दलों को भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन प्राप्त हुआ, गांधी ने कहा, ‘किसी भी विपक्षी दल के पास राष्ट्रीय स्तर पर कॉन्ट्रैक्ट तक पहुंच नहीं है. कोई भी विपक्षी दल इन लोगों को राजमार्ग और रक्षा क़रार नहीं दे रहा है. कोई भी विपक्षी दल सीबीआई, आयकर विभाग को नियंत्रित नहीं कर रहा है… ये सभी सीधे तौर पर भाजपा और प्रधानमंत्री द्वारा नियंत्रित हैं और हम जो देख रहे हैं वह कॉरपोरेट भारत से आपराधिक जबरन वसूली है. हर एक कॉरपोरेट यह जानता है. वह डरे हुए है.’

गांधी ने दावा किया कि भाजपा को मिले पैसे का इस्तेमाल देश भर में राज्य सरकारों को गिराने के लिए किया गया. उन्होंने कहा, ‘शिवसेना और एनसीपी को उस पैसे का उपयोग करके तोड़ा गया था. पूरा महाराष्ट्र जानता है कि इन पार्टियों को तोड़ने के लिए पैसा दिया गया था. यह (चुनावी बॉन्ड) वह जगह है जहां से पैसा आया है.’

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोलते हुए राहुल गांधी ने कहा कि ईडी, सीबीआई और देश की चुनाव आयोग जैसी एजेंसियां ‘भाजपा के हथियार’ हैं. उन्होंने कहा, ‘देश की संस्था चाहे वह ईडी हो, भारत का चुनाव आयोग हो या सीबीआई हो, अब वे देश की संस्था नहीं बल्कि भाजपा और आरएसएस के हथियार हैं.’

उन्होंने कहा, ‘अगर इन संस्थाओं ने अपना काम किया होता तो ऐसा नहीं होता. उन्हें (भाजपा को) इस बारे में सोचना चाहिए कि एक दिन जब भाजपा की सरकार बदलेगी, तब कार्रवाई की जाएगी और कार्रवाई ऐसी होगी कि ये चीजें दोबारा नहीं दोहराई जाएंगी. मैं गारंटी देता हूं.’

वहीं, कांग्रेस नेता और मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि चुनावी बॉन्ड पर डेटा सामने आने के बाद पहले विश्लेषण में भाजपा की चार भ्रष्ट नीति सामने आई थी: 1. चंदा दो, धंधा लो 2. ⁠हफ्ता वसूली 3. ⁠ठेका लो, रिश्वत दो 4. फ़र्ज़ी कंपनी – डकैत संगनी.

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सामने आए भ्रष्टाचार के ये चारों पैटर्न गंभीर चिंता के विषय हैं. इस पूरे मामले की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच होना बेहद आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, ‘असल, कल से हम इस तरह के स्मारकों के उदाहरण सामने देखते हैं. भारत के रिकॉर्ड से हजारों करोड़ रुपये उगेंगे और गरीब हो गए. हजारों करोड़ की सार्वजनिक संपत्ति लूटी गई. इससे संबंधित चार विशेष उदाहरण हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘पहला, इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कंपनियों ने भारी मात्रा में चंदा दिया है. उदाहरण के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी चंदाकर्ता, मेघा इंजीनियरिंग, तेलंगाना में कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई परियोजना पर काम रही थी, जिसे ‘दुनिया की सबसे बड़ी मल्टी-स्टेज लिफ्ट सिंचाई परियोजना’ कहा गया. मेघा ने मेडीगड्डा बैराज के कुछ हिस्से का निर्माण किया, जो इस परियोजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. ऐसा हुआ कि बैराज सिकुड़ने लगा, जिससे करदाताओं का 1 लाख करोड़ रुपये बर्बाद हो गए. पिछले कुछ वर्षों में इस तरह बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स ख़राब होने के कई उदाहरण देखे गए हैं. ऐसा ही एक और उदाहरण गुजरात का मोरबी है.’

उन्होंने सवाल किया, ‘क्या पूरे भारत में घटिया ढंग से बनाए गए इन बैराजों, इमारतों और पुलों को कुछ भारी चुनावी बॉन्ड चंदा से ढक दिया गया है? क्या चंदा लेने के लिए भारतीयों की जान जोख़िम में डाली गई है?’

उन्होंने आगे कहा, ‘दूसरा, कई कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड खरीदने के बाद ग्रीन क्लियरेंस प्राप्त किया. चुनावी बॉन्ड से कितनी वन भूमि नष्ट हुई? भाजपा का खज़ाना भरा रखने का बोझ किन आदिवासी समुदायों को उठाना पड़ा है?’

रमेश ने कहा, ‘तीसरा, फार्मा कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड में हज़ारों करोड़ रुपये दिए हैं. कुछ बड़े चंदादाताओं, जैसे कि हेटेरो ड्रग्स को अमेरिकी नियामकों द्वारा पाई गई अशुद्धियों के कारण अमेरिकी बाज़ार से दवाएं वापस बुलानी पड़ी हैं. क्या भारत के दवा नियामकों ने चुनावी बॉन्ड के बदले में ख़राब दवाओं को बाज़ार में लाने की अनुमति दी है?’

उन्होंने कहा, ‘चौथा, लगभग 1,400 करोड़ रुपये का सबसे बड़ा चुनावी बॉन्ड दाता, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स है. पता चला कि फ्यूचर के मालिक का बेटा भाजपा का सदस्य है, और कई सीबीआई मामलों का सामना करने के बावजूद, मालिक ने ख़ुद अप्रैल 2023 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाक़ात की थी. सूची में और कितनी फर्जी कंपनियों का भाजपा से क़रीबी संबंध है?’

जयराम रमेश ने कहा, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड घोटाले के माध्यम से सामने आए इन भ्रष्ट कार्यों के अलावा, आज सुबह, पीएम मोदी के पसंदीदा बिजनेस ग्रुप की अमेरिकी जांच से संबंधित खबरें सामने आई है. कांग्रेस ने इससे पहले अपनी HAHK (हम अडानी के हैं कौन) सीरीज में मोदानी घोटाले पर 100 सवाल पूछे थे. मोदानी घोटाले और #ElectoralBondScam के बीच प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार के माउंट एवरेस्ट को फतह कर लिया है.’