एसबीआई चुनिंदा जानकारी नहीं दे सकता, चुनावी बॉन्ड से जुड़े यूनिक कोड जारी करें: सुप्रीम कोर्ट

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को अपने पास उपलब्ध सभी विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है. हम स्पष्ट करते हैं कि इसमें खरीदे गए चुनावी बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या और सीरियल नंबर, यदि कोई हो, शामिल होंगे.

(फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमंस)

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (18 मार्च) को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 12 अप्रैल 2019 के बाद खरीदे और भुनाए गए चुनावी बॉन्ड से जुड़े सभी विवरण भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को गुरुवार शाम 5 बजे तक देने का निर्देश दिया है. विवरण में बॉन्ड से संबंधित विशिष्ट या यूनिक कोड (unique codes) भी शामिल हैं. वहीं, चुनाव आयोग से कहा गया है कि वह विवरण प्राप्त होने के बाद उन्हें अपनी वेबसाइट पर ‘तुरंत’ प्रकाशित करे.

रिपोर्ट के मुताबिक, अदालत ने इन विवरणों को पहले ही जारी नहीं करने के लिए एसबीआई की खिंचाई की और कहा कि आदेश से यह स्पष्ट होना चाहिए था कि सभी विवरणों को सार्वजनिक किया जाना है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘… इसमें कोई संदेह नहीं है कि एसबीआई को अपने पास उपलब्ध सभी विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है. हम स्पष्ट करते हैं कि इसमें खरीदे गए बॉन्ड की अल्फान्यूमेरिक संख्या और सीरियल नंबर, यदि कोई हो, शामिल होंगे. ‘.

एसबीआई की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि अदालत जो भी विवरण चाहती है, बैंक उसे देने में राजी है.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘फैसले में हमने भारतीय स्टेट बैंक से ‘सभी विवरण’ का खुलासा करने के लिए कहा था. जिसमें बॉन्ड नंबर भी शामिल हैं. बैंक सभी विवरणों का खुलासा करने में चयनात्मक नहीं हो सकता. इस अदालत के आदेशों का इंतजार न करें.’

जैसा कि द वायर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर एसबीआई और ईसीआई द्वारा जारी की गई जानकारी में वो महत्वपूर्ण विवरण शामिल नहीं थे जो यह पता लगाने में मदद करते कि कौन से व्यवसाय और व्यक्ति किन पार्टियों को भुगतान कर रहे थे. इसका मतलब यह हुआ कि संभावित आदान-प्रदान की व्यवस्था का विवरण अभी भी सार्वजनिक नहीं हुआ है.

इस बीच, सोमवार को एक औद्योगिक निकाय एसोचैम ने चुनावी बॉन्ड से जुड़े विशिष्ट नंबरों के सार्वजनिक खुलासे के खिलाफ कथित तौर पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सोमवार को अदालत में हस्तक्षेप करने और फिक्की तथा एसोचैम की ओर से बात रखने का प्रयास किया, लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने यह कहते हुए उन्हें रोक दिया कि ‘हमारे पास ऐसा कोई आवेदन नहीं आया है.’