सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च 2024 को अधिसूचित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को चुनौती देने वाले आवेदनों पर मंगलवार को केंद्र को नोटिस जारी किया, लेकिन इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने वाला कोई भी आदेश पारित करने से इनकार कर दिया. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2019 के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी नोटिस जारी किया, जिन पर इसने पहले नोटिस जारी नहीं किया था. केंद्र के पास अपना जवाब दाखिल करने के लिए 2 अप्रैल तक का समय है, जिसके बाद याचिकाकर्ताओं को 8 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करना होगा. पीठ ने कहा कि वह मामले पर 9 अप्रैल को सुनवाई करेगी. पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. लाइव लॉ के मुताबिक, केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चार हफ्ते का समय मांगते हुए कहा कि 237 याचिकाओं में अधिनियम को चुनौती दी गई है और नियमों को चुनौती देने वाली 20 याचिकाएं हैं.
असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत आयोजित और 31 अगस्त 2019 को प्रकाशित राज्य के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से धर्म के आधार पर विवरण का खुलासा किया है. राज्य के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा कि एनआरसी के अंतिम मसौदे से बाहर किए गए 16 लाख नामों में से सात लाख मुस्लिम थे. उन्होंने कहा कि सूची में 5 लाख बंगाली हिंदू, 2 लाख असमिया हिंदू और 1.5 लाख गोरखा थे. स्क्रॉल के मुताबिक, उन्होंने एक स्थानीय टीवी चैनल न्यूज लाइव से कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत 3 से 6 लाख लोग नागरिकता के लिए आवेदन करेंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों पर बाबा रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी किया और उन्हें अदालत के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, शीर्ष अदालत ने अवमानना कार्यवाही पर जवाब दाखिल नहीं करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद और इसके प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्णन के प्रति कड़ी आपत्ति जताई. सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु और बालाकृष्ण को उसके समक्ष पेश होने और कंपनी के उत्पादों तथा उनकी औषधीय प्रभावकारिता के विज्ञापन से संबंधित अवमानना कार्यवाही का जवाब देने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ रामदेव द्वारा अभियान चलाने का आरोप लगाया गया था.
केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) को बिहार में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए कोई भी सीट नहीं मिलने के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. यह कदम उन्होंने सोमवार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा उनके भतीजे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान के साथ सीट बंटवारे के बाद उठाया है. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, एक संवाददाता सम्मेलन में पारस ने कहा कि एनडीए द्वारा बिहार में लोकसभा चुनाव के लिए 40 उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की गई है, हमारी पार्टी के पांच सांसद थे, लेकिन हमें कोई सीट नहीं मिली. मैंने पूरी ईमानदारी के साथ काम किया, हमारे साथ अन्याय हुआ है. इसलिए मैं केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देता हूं. बिहार में एनडीए के सीट बंटवारे में भाजपा को 17, जदयू को 16 और चिराग पासवान की एलजेपी (राम विलास) को 5 सीटें मिली हैं. एक सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और एक सीट उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा को मिली है.
उत्तर प्रदेश के अमेठी में लोकसभा चुनाव से पहले स्थानीय लोगों ने अपनी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए गौरीगंज तहसील में अपने गांव के बाहर ‘सड़क नहीं, तो वोट नहीं’ का बैनर लगाया है. डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक, सोमवार को जामो विकासखंड के सरमें गांव स्थित अल्पी तिवारी ग्राम सभा के बाहर एक बैनर सामने आया, जिसमें स्थानीय लोगों ने नारे लगाते हुए आगामी चुनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी दी. अमेठी लोकसभा क्षेत्र वीवीआईपी माना जाता है, जहां से वर्तमान में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सांसद हैं और 2019 से पहले यह नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ माना जाता रहा था. बहरहाल, गौरीगंज के एसडीएम दिग्विजय सिंह ने मंगलवार को कहा कि ग्रामीणों के विरोध की जानकारी मिली है और आगे की जांच कर समस्या का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा.